उत्तराखंड में हड़ताल पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के 4500 संविदा कर्मचारी, टीकाकरण अभियान पर पड़ सकता है असर

उत्तराखंड में NRHM के 4500 से ज्यादा संविदा कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। ये कर्मचारी कोविड की फील्ड ड्यूटी और वैक्सीनेशन समेत दूसरे कार्यों में लगे थे, 6 दिन की इस हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
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देहरादून (उत्तराखंड)। उत्तराखंड में कोरोना के टीकाकरण अभियान को ब्रेक लग सकते हैं क्योंकि प्रदेश करीब 4500 राष्ट्रीय हेल्थ मिशन के संविदा स्वास्थ्य कर्मी हड़ताल पर चले गए हैं। इन कर्मचारियों ने स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा, समान वेतन समान काम, लॉयल्टी बोनस समेत 9 मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला दिया है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संविदा कर्मचारी संगठन उत्तराखंड के प्रदेश मीडिया प्रभारी पूजन नेगी गांव कनेक्शन से कहते हैं, “कोविड काल में सभी सैंपल कलेक्शन से लेकर टेस्टिंग और वैक्सीनेशन तक का काम संविदा स्वास्थ्य कर्मी कर रहे हैं। हमें कोरोना वॉरियर्स भी घोषित किया गया है लेकिन इससे हमारा घर तो नहीं चलेगा। हमारी रोजी-रोटी का सवाल है। हमें कोरोना वॉंरियर्स मत बनाओ बस मूलभूत सुविधाएं दे दो। इन्हीं के लिए हम हड़ताल पर हैं।”

उत्तराखंड में राष्ट्रीय हेल्थ मिशन के 4,500 से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनमे एएनएम, डॉक्टर्स, नर्सेज सभी शामिल हैं। ये कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर एक जून से 6 जून हड़ताल पर चले गए हैं। ऑनलाइऩ और ऑफलाइऩ सभी तरह के कार्यों का बहिष्कार किया है।

नेगी कहते हैं, “हम लोग कार्य बहिष्कार कर होम आइसोलेशन में चले गए हैं। फिलहाल हड़ताल 6 जून तक चलेगी। अगर इन दिनों में भी राज्य सरकार हमारी नौ सूत्रीय मांगों पर विचार नहीं करती तो हम सभी अपनी हड़ताल को आगे बढ़ाने के लिए बाध्य होंगे।”

सुनील भंडारी

संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुनील भंडारी के बयान के मुताबिक, “शासन और सरकार अभी तक हमारी माँगों पर सकारात्मक निर्णय नहीं ले पाए हैं। जब तक माँगों पर उचित एवं न्यायसंगत निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक कर्मचारी होम आइसोलेशन पर रहेंगे।”

कोरोना की दूसरी लहर ने उत्तराखंड में काफी नुकसान पहुंचाया है। कोरोना से उत्तराखंड में जो कुल मौतें हुई हैं उनमें से 59 फीसदी मई 2021 में हुई हैं। प्रदेश में हुई कुल 6452 में से 3828 मौतें अकेले मई महीनें में हुई हैं। शहरों के अलावा ग्रामीण इलाकों में भी पिछले दिनों भारी संख्या में कोविड के मरीज मिले थे, बच्चों में भी कोविड के लक्षण मिले थे। ऐसे वक्त में इऩ स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल कोविड के खिलाफ उत्तराखंड में लड़ाई को नुकसान पहुंचा सकती है।

हड़ताल से वैक्सीनेसन अभियान को लग रहा है झटका

प्रदेश में वैक्सीनेशन की रफ्तार जो पहले से सुस्त थी उस पर ब्रेक लग सकते हैं। मई माह में अप्रैल के मुकाबले प्रदेश की वैक्सीनेशन ड्राइव में 38 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिलीं है। इन कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से टीकाकरण को आम जन तक जल्द पहुँचाने में भारी नुकसान और गिरावट दर्ज की जा सकती है।

वैक्सीनेशन ड्राइव पर हड़ताल के प्रभाव पर नेगी आगे कहते है “अगर हड़ताल इसी तरह लगातार जारी रहेगी तो निश्चित ही टीकाकरण पर इसका प्रभाव आगामी भविष्य में दिखेगा, क्योंकि प्रशासन के पास वैक्सीनेटर ही नही रहेगा तो वैक्सीनेशन कैसे होगा?” केंद्र सरकार की कोविड वेबसाइट “कोविन” तक की रोज़ाना अपडेशन की ज़िम्मेदारी संभाल रहे हैं।

नेगी बताते हैं, “पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हम लोगों को करोना वॉरियर्स घोषित करते हुए कहा था कि सभी कोरोना वॉरियर्स को 11000 रुपए दिए जाएंगे लेकिन जब आदेश लिखित में आया तो पता चला कि जो कोविड अस्पताल में काम कर रहे उनके लिए ऐलान था, हम लोग जो फील्ड में काम कर रहे उनके लिए कुछ नहीं था। ये सब छलावे वाली बाते हैं।

वो आगे कहते हैं, “हमारी एक मांग लॉयल्टी बोनस की है। एनआरएचएम के नियमानुसार जिन्हें 3 साल लगातार काम करते हुए हो गए हैं उन्हें 10 फीसदी, 5 साल वाले को 15 फीसदी बोनस मिलना था, 2018 में भारत सरकार ने इसके लिए पैसा भी भेज दिया था लेकिन 2018,2019,2020 में आपने दिया नहीं। अब जब हम हड़ताल कर रहे तो आप देने की बात कर रहे हैं लेकिन ये बोनस 10-15 फीसदी की बजाए 4-6 फीसदी की चिट्ठी जारी हुई है।”

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कर्मचारियों ने कहा कि मांगें नहीं माने जाने पर हड़ताल को 6 जून के बाद भी जारी रखा जा सकता है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशऩ संविदा कर्मचारी संगठन (उत्तराखंड) के अनुसार संविदा कर्मचारियों को दोयम दर्जें की सुविधाएं दी जा रही हैं।

पूजन नेगी कहते हैं, “केंद्र सरकार का न्यूनतम वेतन का जो निर्देश था उसके अनुसार 18000 रुपए वेतन होना चाहिए लेकिन हमारे फील्ड के 50 फीसदी से ज्यादा कर्मचारी ऐसे हैं जिनकी सैलरी इससे काफी कम है। हम लोग दिहाड़ी से गए गुजरे हैं। उत्तराखंड में एक राजमित्री भी 700 रुपए रोज लेता है।”

उत्तराखंड में सतत विकास, गवर्नेंस एवं जन स्वास्थ्य में सुधार के लिए अभियान चलाने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने स्वास्थ्य कर्मियों की मांगों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की समस्या नौकरी पर हमेशा लटनके वाली तलवार है।

” कई लोग 10-15 साल इसमें खपा चुके हैं। मानव संसाधन नीति का न होना अपने आप में बड़ी जटिल समस्या है, कि मेरा एक्सटेशन अगले साल होगा या नहीं इसकी तलवार सर पर लटकी रहती है। एनएचएम में आउटसोर्सिंग की चलन भी बड़ी समस्या है।” उन्होंने कहा।

कार्य बहिष्कार के साथ ही कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर भी अपनी आवाज उठाई है। कर्मचारी #NHMonHomeIsolation हैशटैग के साथ सोशल मीडिया पर अभियान शुरु किया है।

ये कर्मचारी हैं हड़ताल में शामिल

राज्य, जिला एवं ब्लॉक स्तरीय एनएचएम प्रबंधन कर्मचारी, मातृत्व स्वास्थ्य-शिशु स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, किशोर एवं बाल स्वास्थ्य टीकाकरण, हीमोग्लोबिनपैथी-पीएनडीटी टीकाकरण, आशा कार्यक्रम, हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर, आईईसी कायाकल्प, फ्री ड्रग्स सेवाएं,शहरी स्वास्थ्य मिशन- आईडीएसपी, एनसीडी के अंतर्गत समस्त कार्यक्रम, तंबाकू नियंत्रण, प्रोमाइश-आरएनटीसीपी, अन्य समितियां एवं आउटोसोर्स के माध्यम से नियुक्त कर्मचारी।

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