कोरोना : लॉकडाउन से दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर कैसे भरेंगे अपना पेट ?
पूरा भारत लॉकडाउन में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील कि वो घरों के बाहर लक्ष्मण रेखा खींच लें। उन्होंने कहा कोरोना रोकने के लिए जो जहां है वो वहीं थम जाए लेकिन लाखों मजदूर, अपने घरों से दूर फंसे रह गए हैं जहां इनके लिए खाने का भी इंतजाम नहीं है। पढ़िए रोज कमाने और अपना पेट पालने वाले दिहाड़ी मजदूर क्या कह रहे हैं ...
Kushal Mishra 25 March 2020 11:16 AM GMT

झारखंड के डुमरी जिले के मूल निवासी अलीमुद्दीन मुंबई कमाने के लिए गए थे, लॉकडाउन में मुंबई बंद हो गई। अमीमुद्दीन जिस कारखाने में काम करते थे वो कई दिन पहले बंद हो चुका है। वो होटल भी बंद हो चुका है जहां वो खाना खाते थे, और अब उनकी जेब में पैसे भी नहीं बचे हैं। कई मजदूर तो ऐसे हैं जिनके पास पैसे हैं लेकिन बाजार में उनके लिए खाना नहीं है।
"हमारी मदद कीजिये, हम लोग मुम्बई में बहुत बुरी तरह फंसे हुए हैं, होटल भी बंद हैं, राशन की भी सुविधा नहीं है, दूसरों के यहां खा-पी रहे हैं, हम लोगों को झारखंड बुला लीजिए, बहुत मेहरबानी होगी," अमीमुद्दीन सरकार से गुजारिश करते हुए कहते हैं, वो मुंबई में एक कपड़े के कारखाने में काम करते थे। प्रवासी मजदूर अलीमुद्दीन अंसारी जैसे मजूदरों की संख्या लाखों में है जो लॉकडाउन के चलते फंस गए हैं।
कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 मार्च को एक दिन का जनता कर्फ्यू का आह्वान किया था। जिसके बाद काफी मजदूर अपने प्रदेशों को लौटने लगे, लेकिन पहले ट्रेन और बस सेवा बंद हुई और 24 तारीख को लॉकडाउन पूरे देश में लागू हो गया। चौबीस मार्च की रात 12 बजे से 21 दिनों के लिए पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि लॉकडाउन से देश को अरबों रुपए का नुकसान होगा लेकिन हर देशवासी की जान बचाने के लिए ये जरूरी है।
लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों में काम कर रहे दिहाड़ी मजदूरों के सामने संकट खड़ा हो गया है। इन मजदूरों के पास काम नहीं है। ट्रेन और बस समेत सभी परिवहन सेवाएं बंद होने के बाद अब घर वापसी का भी कोई विकल्प नहीं बचा है, वहीं बंदी की वजह से खाने-पीने के लिए वे दूसरों पर निर्भर हैं। हरियाणा के अंबाला में यूपी के एक मजूदर का वीडियो वायरल हुआ जो 24 घंटे से भूखा था। मजदूर के मुताबिक उसके साथ 26 लोग और हैं।
झारखंड में प्रवासी मजदूरों के लिए काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली बताते हैं, "झारखंड के सिर्फ गिरिडीह जिले की ही बात करें तो लॉकडाउन के बाद जिले के कम से कम 15 हज़ार से ज्यादा मजदूर दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं।"
"कई मजदूर ट्रेन चलने तक आने में सफल भी हुए हैं मगर रांची पहुंचने के बाद उन्हें अपने घर जाने के लिए पैदल यात्रा करने के लिए भी मजबूर होना पड़ा है, बंदी की वजह से हजारों मजदूर अभी भी रास्ते में अटके हैं," सिकंदर बताते हैं।
लॉकडाउन के बाद परिवहन सेवाएँ बंद होने से दूसरे राज्यों में फँसे रह गए मजदूर ।
दिल्ली से 200 किलोमीटर के लिए पैदल निकल पड़े मजदूर
लॉकडाउन के समय में रोज कमा कर अपना पेट भरने वाले देश के इन प्रवासी मजदूरों के सामने भूखों मरने की नौबत आ गयी है। यही वजह है कि 23 मार्च की रात दिल्ली से करीब 200 किलोमीटर दूर आगरा, मथुरा अपने घर जाने के लिए बड़ी संख्या में मजदूर पैदल ही निकल पड़े।
दिल्ली के ही आनंद विहार बस अड्डे में पिछले तीन दिनों से बस न मिलने के कारण परेशान एक बाल मजदूर फूट-फूट कर रो पड़ा। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से बातचीत में उसने रोते हुए बताया कि बिहार में अपने घर जाने के लिए तीन दिनों से बस अड्डे के चक्कर काट रहा हूँ, मगर कोई बस नहीं मिली, बस अड्डे में खड़े होने पर पुलिस मारने के लिए दौड़ाती है, खड़े भी नहीं रहने देती।
आनंद विहार बस अड्डे से बड़ी संख्या में मजदूर तपके के लोग पैदल जा रहे हैं,दिल्ली से वापस अपने घर जाना चाहते हैं,लेकिन जाने का कोई साधन नहीं,न जेब में पैसा है ,एक लड़का काफी रो रहा है कह रहा है पुलिस मारने के लिए दौड़ती है,हम कहाँ जाएं#lockdownindia #Corinnavirus pic.twitter.com/Cw5buZIzVP
— Mukesh singh sengar मुकेश सिंह सेंगर (@mukeshmukeshs) March 24, 2020
ऐसे मजदूरों की फोटो अपने फेसबुक पर पोस्ट करने के बाद दिल्ली के युवा पत्रकार आदिल खान बताते हैं, "हाईवे पर मजदूर हाथ में झोला और सिर पर गठरी लिए आगरा और मथुरा पैदल ही निकल पड़े हैं। लगभग चार किलोमीटर तक मजदूरों की लंबी लाइन मैंने देखी, मैंने एक मजदूर से पूछा भी तो उनके सामने भूखों मरने की नौबत थी। क्योंकि यूपी में सिर्फ 25 मार्च तक (अब पूरे देश में 14 अप्रैल तक) ही लॉकडाउन है तो उनके लिए यूपी आना ही विकल्प बचा था।"
दिल्ली-गुजरात से राजस्थान के मजूदरों का पलायन
नयी दिल्ली के अलावा राजस्थान के सीमावर्ती शहरों में जाने वाले मजदूर भी परिवहन सेवा न होने की वजह से अपने गाँव पैदल लौटने को मजबूर हो रहे हैं। इसके बावजूद इन मजदूरों से सीमा पर स्वास्थ्य प्रमाणपत्र की मांग की जा रही है। समस्या यह भी है कि स्वास्थ्य प्रमाणपत्र देने के लिए सीमाई इलाकों में कोई स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं है।
Updates from #Rajasthan : Workers moving across bordering cities have started walking towards their villages as there is no transport; being asked to provide health certificates on the boarder. No health facilities nearby. @CMOGuj @CMORajsthan @PMOIndia
— Aajeevika Bureau (@AajeevikaBureau) March 24, 2020
प्रवासी मजदूरों के लिए राजस्थान में काम कर रही संस्था आजीविका ब्यूरो के अनहद बताते हैं, "स्थिति बहुत गंभीर है। राजस्थान और गुजरात की सीमाओं से आवाजाही पर रोक है, इसके बावजूद पिछले 48 घंटों से लगातार प्रवासी मजदूर आ रहे हैं। हमारे पास अब तक 200 से ज्यादा फ़ोन कॉल आ चुकी हैं। जो मजदूर आ रहे हैं, उनके पास पैसों की कमी है। इसके अलावा खाने के लिए भी उन्हें बहुत जद्दोजहद करनी पड़ रही है।"
देश में 24 मार्च तक कोरोना वायरस से 511 संक्रमित मरीज सामने आ चुके हैं जबकि 10 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में देश में लॉकडाउन (बंदी) की स्थिति है और सरकार ने लोगों को घर से बाहर न निकलने की सलाह दी है। मगर दिहाड़ी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा होने से वे अपने घर जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
मुम्बई में एक कपड़े कारखाने में काम करने वाले मजदूर ताज मोहम्मद 23 मार्च को किसी तरह किराए की गाड़ी से झारखंड के गिरिडीह जिले में अपने गांव जाने के लिए परिवार के साथ निकल पड़े।
काम न मिलने की वजह से प्रवासी मजदूरों के सामने है रोजी रोटी का संकट ।
रास्ते में बातचीत के दौरान उन्होंने बताया, "कारखाने में मालिक मजदूरों को बंद की वजह से पैसे देने को तैयार थे, मगर हम लोग कारखाने तक भी कैसे जाते। जो पैसे थे उससे हम लोग अपने घर जा रहे हैं।"
खाने-पीने की व्यवस्था पूछने पर ताज मोहम्मद कहते हैं, "सब बंद है, खाने-पीने को कुछ नहीं मिल रहा, हम लोग मुम्बई से ही रास्ते के लिए बिस्किट और पानी लेकर निकले हैं, जो लेकर चले थे, वही खा-पी रहे हैं।"
मुम्बई के कपड़े कारखाने में काम करने वाले और धरावी में झोपड़-पट्टी में रहने वाले एक और मजदूर इलियास बताते हैं, "हजारों की संख्या में मजदूर मुम्बई में फंसे हुए हैं। सब्जी-तरकारी मिल भी रही है तो दूने दामों में, ऐसे ही रहा तो हम लोगों के लिए खाना-पीना भी दूभर हो जाएगा। हमारी सरकार से गुजारिश है कि मजदूरों को उनके घर पहुंचने के लिए मदद करे।"
यूपी में मजदूरों को 1000 रुपए महीना और राशन भी मिलेगा
वहीं कोरोना वायरस का असर दिहाड़ी मजदूरों की जिंदगी पर न पड़े इसके लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सबसे पहले कदम उठाते हुए प्रदेश के 15 लाख दिहाड़ी मजदूरों और 20.37 लाख निर्माण श्रमिकों को एक-एक हज़ार की मासिक राशि देने की घोषणा की थी। इसके अलावा 1.65 करोड़ गरीब और जरूरतमंद परिवारों को एक महीने का मुफ्त राशन दिए जाने की घोषणा की थी, जिसमें 20 किलो गेहूं और 15 किलो चावल शामिल है।
ऐसे में योगी सरकार के सही समय पर कदम उठाने से राज्य के मजदूरों और गरीब परिवारों को कोरोना जैसी वैश्विक महामारी फैलने के समय में बड़ी राहत मिली है, मगर और राज्यों में फँसे दिहाड़ी मजदूरों के सामने अपना पेट पालने के लिए रोजी-रोटी का बड़ा संकट पैदा हो चुका है और लॉकडाउन के बावजूद अपने घर जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
दिल्ली में मजदूरों को केजरीवाल सरकार देगी 5000 रुपये
इस कठिन समय में जब पूरा शहर और देश लॉकडाउन में है हमने तय किया है की हम दिल्ली में construction का काम करनेवाले हर मजदूर को ₹5,000 देंगे ताकि वो अपना गुजारा कर सके।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 24, 2020
दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मजदूरों के लिए बड़ा ऐलान करते हए कहा कि उनकी सरकार कंस्ट्रशन (निर्माण) मजदूरों को 5000-5000 रुपए जल्द देगी। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में हजारों मजदूर किराए के घरों में रहते हैं ऐसे मजदूरों को 2-3 महीने की रियायत दी जा सकती है। मेरे पास कई मकान मालिकों के फोन आए हैं जिन्होंने कहा है कि वो मार्च महीने का किराया नहीं लेंगे।
देखें कैसे पैदल अपने घर लौटने को मजबूर हैं श्रमिक
दिल्ली से उत्तर प्रदेश के अमरोहा, बुलंदशहर, मथुरा, आगरा जैसे जिलों में अपने घर पहुँचने के लिए पैदल ही आगे बढ़ते मजदूर। (फोटो साभार : ट्विटर )
दिल्ली से हाईवे पर पैदल आगे बढ़ते मजदूर। (फोटो साभार : ट्विटर)
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