Lockdown: केरल के इस मॉडल को अपनाया तो भूखे रहने से बच सकते हैं भारत के गांव के लोग
Ranvijay Singh 27 March 2020 6:41 AM GMT
कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन कर दिया गया है। ऐसे में सरकारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती नागरिकों को खाना उपलब्ध कराने की है। इसे लेकर केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग प्रयास कर रही हैं। इन्हीं प्रयासों के बीच केरल सरकार ने भी एक मॉडल तैयार किया है जिससे राज्य में कोई भूखा न रहे। यह मॉडल है हर पंचायत में कम्युनिटी किचन (सामुदायिक रसोई) बनाकर लोगों को पका पकाया खाना देने का।
''लॉकडाउन के दौरान केरल में कोई भूखा नहीं रहेगा। पंचायतें कम्युनिटी किचन चलाएंगी। इन किचन को राशन राज्य सरकार उपलब्ध कराएगी। इससे उन लोगों को फायदा होगा जो भूखे रहते हुए भी किसी से खाना मांगने में हिचक महसूस करते हैं। ऐसे में जब सरकार एक नंबर देगी तो उसपर कोई भी आसानी से कॉल कर सकता है। साथ ही कुछ ऐसे लोग होते हैं जो घर पर खाना नहीं बना सकते, जैसे - उम्रदराज लोग, बीमार लोग या दिव्यांग लोग, इनको खाना मिलता रहे इसकी जिम्मेदारी पंचायतों की है।'' कम्युनिटी किचन के बारे में बताते हुए केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बुधवार को यह बात कही थी।
केरल में 941 ग्राम पंचायतें, 152 ब्लॉक पंचायत और 14 जिला पंचायतें हैं। यह ऐसा नेटवर्क है जो राज्य के एक-एक व्यक्ति तक पहुंच रखता है। केरल में पंचायतें अन्य राज्यों की अपेक्षा ज्यादा सशक्त भी हैं। राज्य के बजट का 40 प्रतिशत हिस्सा यहां की पंचायतें खुद अपने हिसाब से खर्च करती हैं। साथ ही केरल में पंचायत स्तर पर ज्यादातर हिस्सों में पहले से 'कुडुम्बश्री' नाम से कम्युनिटी किचन चल रहे हैं, जिन्हें स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं चलाती हैं। ऐसे में कम्युनिटी किचन के फैसले का फायदा आम लोगों तक कितना पहुंचेगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
No one will starve during this lockdown #COVID19
— Pinarayi Vijayan (@vijayanpinarayi) March 25, 2020
Kerala has taken extensive measures to ensure that no one will starve during lockdown. Will be implemented through Local Self Governments, ward-level committees & volunteers
🍛 Will deliver cooked meals
📞 Will work by phone
केरल सरकार के लॉकडाउन के दौरान कम्युनिटी किचन चलाने के फैसले पर त्रिवेंद्रम की कराकुलम पंचायत के रहने वाले श्रीधर राधाकृष्णन कहते हैं, ''सरकार का यह फैसला बहुत अच्छा है। इससे जरूरतमंद परिवार को लाभ मिलेगा। मेरे लिए तो पंचायत ही सबसे पहली सरकार है। हर तीन से चार हजार की जनसंख्या पर एक वार्ड मेंबर है, हम अपने वार्ड मेंबर को जानते हैं। इससे आसानी होगी कि अगर किसी को खाने की जरूरत है तो उसे सीधे पका पकाया खाना मिल जाएगा। इससे उन मजदूरों को भी फायदा मिलेगा जो दूसरे राज्यों से आए हैं और यहां फंस गए हैं।'' श्रीधर सामजसेवी हैं और इस लॉकडाउन के दौरान लोगों को अपने स्तर से मदद करने का प्रयास कर रहे हैं।
केरल सरकार कम्युनिटी किचन के अलावा भी कई तरह से लोगों को खाना देने का काम कर ही है। इसमें मिड-डे-मील जैसी योजना को चलाते रहना भी शामिल है। कोरोना की वजह से राज्य में स्कूल तो बंद हो गए हैं, लेकिन स्कूलों में मिड-डे-मील बनाए जा रहे हैं और जिस भी बच्चे का स्कूल में रजिस्ट्रेशन है उस तक खाना पहुंचाने का काम हो रहा है। अब कम्युनिटी किचन के माध्यम से खाना आम लोगों तक भी पहुंचेगा।
केरल के वायनाड जिले के थ्रिस्सिलेरी पंचायत के रहने वाले राजेश कृष्णन बताते हैं, ''हमारे यहां 'कुडुम्बश्री' करके कम्युनिटी किचन पहले से चल रहे हैं। पता चला कि हर पंचायत को एक नंबर दिया जा रहा है, जिसे भी खाने की जरूरत है वो इसपर कॉल कर सकता है। वार्ड मेंबर भी एक लिस्ट बनाकर ले गए हैं, जिसमें बुजुर्गों और गरीब लोगों का नाम शामिल है। इन्हें बिना फोन किए ही खाना पहुंचाया जाएगा।''
श्रीधर और राजेश की बात से यह समझ आता है कि केरल सरकार का यह कम्युनिटी किचन मॉडल आखिरी व्यक्ति तक पहुंच रखता है। ऐसे में कह सकते हैं कि पंचायत के स्तर पर बनने वाला यह खाना कई भूखे लोगों को राहत देगा। केरल की तरह ही अन्य राज्य सरकारें भी कोई भूखा न रहे इस दिशा में काम कर रही हैं।
उत्तर प्रदेश में भी कम्युनिटी किचन चलाने की बात कही गई है। यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने इस बारे में बताया था कि 'कम्युनिटी किचन की व्यवस्था जल्द शुरू हो जाएगी। इसके लिए विभिन्न होटल, धर्मार्थ संस्थाओं, मठ, मंदिर जैसे स्थानों पर सुरक्षित फूड पैकट तैयार करके मजदूरों और हॉकर्स तक पहुंचाया जाएगा।'
यूपी में कम्युनिटी किचन चलाने की बात तो की जा रही है, लेकिन केरल की तरह इसका खाका साफ नहीं दिखता। केरल में पहले से पंचायत स्तर पर कम्युनिटी किचन चल रहे थे, लेकिन यूपी में ऐसा कुछ ग्राउंड पर नहीं है, ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि यूपी सरकार इस सेवा को कैसे चलाती है।
केंद्र सरकार ने जारी किया 1.70 लाख करोड़ का पैकेज
इस बीच केंद्र सरकार ने भी कोरोना वायरस के संकट को देखते हुए 1.70 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है। इसके तहत 80 करोड़ गरीबों को अगले तीन महीने तक पांच किलो चावल या गेहूं मुफ्त में दिया जाएगा। साथ ही एक किलो दाल हर परिवार को मुफ्त में मिलेगा। वहीं, उज्जवला योजना के सिलेंडर भी मुफ्त मिलेंगे।
मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस पैकेज को जारी करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "कोई गरीब खाने की समस्या से न जूझे इसलिए इस पैकेज के माध्यम से पांच किलो गेहूं या चावल करीब 80 करोड़ लाभार्थियों को अगले तीन महीने तक दिया जाएगा। यह लाभ पीडीएस के तहत मिलने वाले लाभ से अलग होगा। इसके लिए उन्हें कोई पैसा नहीं देना होगा।"
वित्त मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, प्रवासी मजदूरों और शहरी-ग्रामीण गरीबों की तुरंत आवश्यकता के लिए पैकेज तैयार है, कोई भी भूखा नहीं रहेगा।
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