शहरों से गांव पहुंचने वाले मजदूरों को लेकर कितना तैयार है प्रशासन?
Ranvijay Singh 30 March 2020 2:22 PM GMT
लॉकडाउन के बाद सडकों पर उतरे मजदूर अब अपने राज्यों और जिलों को पहुंचने लगे हैं। पहले लोगों को चिंता थी कि ये मजदूर सही तरीके से अपने घर पहुंच जाएं लेकिन अब सबको यह चिंता सता रही है कि अगर इन लोगों में कोई कोरोना से संक्रमित हुआ तो क्या होगा?
आपकी इसी चिंता को देखते हुए गांव कनेक्शन ने उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कई राज्यों से जानकारी जुटाई है कि आखिर ये मजदूर जब गांव पहुंचेंगे तो प्रशासन ने क्या तैयारी की है? यह तैयारियां इसलिए भी जरूरी है कि इससे मजदूर भी सुरक्षित रहेंगे और बाकी ग्रामीण भी संक्रमण से बचे रहेंगे।
''हमने गांवों के प्रथामिक विद्यालयों को क्वारंटाइन सेंटर में तब्दील किया है। सभी ग्राम प्रधानों से कहा गया है कि जो लोग शहरों से गांव लौटे हैं उनकी एक लिस्ट तैयार की जाए। हम उन्हें 14 दिन तक क्वारंटाइन करेंगे। अगर उनमें कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए तो वो घर जा सकते है।'' यह बात उत्तर प्रदेश में इटावा के जिलाधिकारी जेबी सिंह कहते हैं।
Etawah: Migrant workers who have returned to the various villages of the district from Delhi and other places, are being quarantined at the local primary schools and junior schools which have been turned into quarantine centres. pic.twitter.com/Y59ioN2lfp
— ANI UP (@ANINewsUP) March 30, 2020
इटावा के जिलाधिकारी जो बात कह रहे हैं ऐसा ही हाल पूरे उत्तर प्रदेश का है। उत्तर प्रदेश में करीब एक लाख मजदूर शहरों से गांवों को लौटे हैं। राज्य सरकार ने तमाम ग्राम प्रधानों से ऐसे मजदूरों की लिस्ट बनाकर तैयार करने को कहा है जो बाहर से गांव आए हैं। इस लिस्ट के आधार पर इन मजदूरों को प्रथामिक स्कूलों में बने क्वारंटाइन वार्ड में रखा जाएगा या घर में ही अलग रहने की सलाह दी जाएगी।
इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के बनैल गांव में कुछ मजदूर शहरों से गांव लौटे थे। इन मजदूरों के आने की जानकारी मिलते ही जिले की स्वास्थ्य टीम गांव पहुंची और इन लोगों को घर में ही क्वारंटाइन रहने की सलाह दी। ऐसा ही घटना कई और गांव में देखने को मिला है। यूपी के सिद्धार्थनगर जिले के हसुड़ी अवसानपुर गांव के प्रधान दिलीप त्रिपाठी बताते हैं, ''हमारे गांव में चार लोग मुंबई से लौटे थे। मैंने इसकी जानकारी तुरंत प्रशासन को दी। साथ ही उन लोगों को भी घर में रहने की सलाह दी है। पहले तो वो लोग नहीं माने, लेकिन जब प्रशासन ने सख्ती की तो अब घर में ही रह रहे हैं।''
यह तो हुआ उत्तर प्रदेश का हाल जहां प्रधान के स्तर पर लिस्ट तैयार की जा रही है। इसके अलावा भी देशभर से मजदूर अलग-अलग राज्यों के गांवों में लौटे हैं। हाल ही में पश्चिम बंगाल की एक तस्वीर सामने आई थी, जहां चिन्नई से अपने गांव लौटे लोग घरों से दूर पेड़ों पर रह रहे थे। पुरुलिया जिले के वांगिडी गांव का यह मामला है। इस गांव में चिन्नई से लौटे लोग हाथियों की निगरानी करने के लिए पेड़ों पर बनाए कैंप में रह रहे हैं। यहां वो इसलिए रह रहे थे कि उनके घरों में अगल से कमरा नहीं था जहां वो खुद को आइसोलेट कर सकें। ऐसे में इस कैंप का ही इस्तेमाल किया गया।
West Bengal: These makeshift camps on tree are otherwise, used by villagers in Purulia to observe elephant movement and to safeguard themselves from elephant attacks. https://t.co/mkhTSa6bUA
— ANI (@ANI) March 28, 2020
शहरों से गांव लौटने वाले प्रवासी मजदूरों में बड़ी संख्या बिहार के लोगों की है। दिल्ली से जब मजदूर निकलने लगे तो बिहार के मुख्यमंत्री ने सबसे पहले इसपर चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि 'यह पलायन लॉकडाउन को फेल करेगा। साथ ही इससे वायरस के फैलने का खतरा बढ़ेगा।' अपनी इसी चिंता के मद्देनजर बिहार सरकार ने राज्य के सीमावर्ती जिलों में व्यापक स्तर पर प्रबंध किए हैं।
सरकार की तैयारियों पर बिहार के गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अमीर सुबहानी ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि अन्य राज्यों से मजदूर पहुंचने लगे हैं, जिनके ठहरने और भोजन की व्यवस्था सीमावर्ती जिलों में की गई है। इन जिलों के सरकारी स्कूलों में कैंप बनाए गए हैं जहां इन्हें रखा जाएगा। यहीं इनकी जांच होगी और अगर कोई कोरोना वायरस से संक्रमित पाया जाता है तो उसे अलग रखा जाएगा।
वहीं, बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि हमने औरंगाबाद, नवादा, जमुई, बांका, सीवान, कैमूर, गोपालगंज, किशनगंज, बक्सर जैसे सीमावर्ती जिलों में चेक पॉइंट बनाए हैं। इन जिलों में ही मजदूरों के ठहरने, खाने पीने और क्वारंटाइन रखने की व्यवस्था की गई है। जब यह क्वारंटाइन का 14 दिन निकाल लेंगे तो इन्हें गांव भेज दिया जाएगा।
हालांकि अधिकारियों की बातों और सच्चाई में बहुत फर्क नजर आता है। सोशल मीडिया में ऐसे ही एक कैंप का वीडियो वायरल हो रहा है। पत्रकार उपाशंकर सिंह ने यह वीडियो ट्वीट किया है जिसमें कई लोगों को एक जगह बंद किया गया है। इनमें से कुछ रो रहे हैं तो कुछ गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें छोड़ दिया जाए। देखें यह वीडियो -
क्या ये आइसोलेशन है? क्या ऐसे कोरोना संक्रमण के ख़तरों को रोकेगी बिहार सरकार? बिहार लौटने वाले मज़दूरों को यूँ जानवरों की तरह ठूँस कर? स्वास्थ्य जाँच की तैयारियों की कमी का बदला इन लोगों से लेगी? अगर इनमें एक भी कोरोना पॉज़िटिव हुआ तो सोचिए बाक़ियों को क्या होगा?@NitishKumar जी? pic.twitter.com/RLEFfsPHlA
— Umashankar Singh उमाशंकर सिंह (@umashankarsingh) March 30, 2020
ऐसा भी नहीं कि बिहार के तमाम इलाकों का हाल ऐसा ही है। कुछ जन प्रतिनिधियों ने अपनी सूझबूझ से भी अपने गांव को सुरक्षित रखने का काम किया है। इन्हीं से एक हैं बिहार के सीतामढ़ी जिले के सिंहवाहीनी पंचायत की प्रधान रितु जायसवाल। रितु जायसवाल को जब यह खबर मिली की उनके गांव के लोग भी लौटने की तैयारी कर रहे हैं तो उन्होंने उन लोगों से वहीं रहने की बात कही। इसके लिए ग्राम समाज ने मिलकर उन्हें आर्थिक मदद भी की ताकि उन्हें कोई तकलीफ न हो।
रितु जायसवाल बताती है, ''यह समय ऐसा नहीं कि लोग यात्रा करें। अगर वो लोग आते तो हमारे गांव के दूसरे लोगों को भी पेरशानी होती। यही सब देखते हुए हमने उनसे संपर्क किया और उन्हें आर्थिक मदद पहुंचाई, जिससे वो अपना जीवन यापन कर सकें। जब यह सब बीत जाएगा तो वो आराम से गांव आ सकते हैं। फिलहाल वो जहां हैं वहीं रहें तो बेहतर होगा।''
ऐसे तमाम प्रयासों के बाद भी लोग गांव लौट आए हैं। अब जब लौट आए तो गांव वालों को और उन्हें कुछ एहतियात भी बरतना चाहिए। गांव कनेक्शन आपको ऐसे ही एहतियात के बारे में बता रहा है-
1. शहर से गांव लौटे शख्स को खुद को कम से कम 14 दिन सबसे अलग रखना चाहिए। यह उसके परिवार और गांव वालों के लिए जरूरी और सुरक्षित है।
2. अलग होने का मतलब अलग कमरा हो जहां वो शख्स रहे। अगर बुखार या कोई और तकलीफ होती है तो इसकी जानकारी प्रधान के मार्फत प्रशासन को दी जाए।
3. प्रधान भी ऐसे लोगों को चिन्हित करके इसकी सूचना प्रशासन तक पहुंचाए।
4. गांव वाले भी लॉकडाउन का पालन करें और बिना वजह के किसी भी ऐसे शख्स को पेरशान न करें जो बाहर से आया है।
5. इस शख्स के घर वालों की भी जिम्मेदारी है कि वो इस शख्स से उचित दूरी बनाकर रखें।
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