कोरोना का साया : योगी सरकार के फैसले से मजदूर उत्साहित, मजदूर संगठन बोले, और राज्य भी उठाएं ऐसे कदम

देश के लोगों में कोरोना के खौफ के बावजूद दिहाड़ी मजदूर अपनों का पेट पालने के लिए मजदूरी करने को मजबूर हो रहे हैं। ऐसे समय में कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने दिहाड़ी मजदूरों के भरण पोषण के लिए हाल में बड़ा ऐलान किया है। गाँव कनेक्शन की विशेष सीरीज "कोरोनाश" में पढ़िए क्या कह रहे हैं मजदूर?

Kushal MishraKushal Mishra   20 March 2020 11:21 AM GMT

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कोरोना का साया : योगी सरकार के फैसले से मजदूर उत्साहित, मजदूर संगठन बोले, और राज्य भी उठाएं ऐसे कदमलखनऊ के राजाजीपुरम इलाके में पुराने टैक्सी स्टैंड के पास कोरोना के खौफ के बावजूद काम के लिए बड़ी संख्या में आ रहे मजदूर। फोटो : गाँव कनेक्शन

"कितने मजदूरों को पैसा मिलता है वो बात अलग है, मगर कम से कम योगी सरकार ने सोचा तो सही, कोई सरकार तो हम जैसे गरीबों के लिए आगे आई," लखनऊ के राजाजीपुरम में पुराने टैक्सी स्टैंड के पास अपने साथी मजदूरों के साथ खड़े शिव शंकर राठौर (27 वर्ष) कहते हैं।

ईंट-गारे के काम से जुड़े शिव शंकर मूलरूप से सीतापुर के विकासनगर ख़ुर्रपुर के रहने वाले हैं। वह अपने छोटे भाई के साथ मजदूरी के लिए लखनऊ आते रहते हैं। सैकड़ों मजदूरों की भीड़ में खड़े शिव शंकर के लिए भी कोरोना के बढ़ते खौफ के बावजूद रोज काम की तलाश में आना मजबूरी है।

देश में कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने रोज कमाकर अपना पेट भरने वाले दिहाड़ी मजदूरों के भरण पोषण के लिए हाल में बड़ा ऐलान किया है। प्रदेश सरकार ऐसे मजदूरों की आर्थिक मदद करते हुए निश्चित धनराशि उनके बैंक खाते में सीधे भेजेगी ताकि कोरोना वायरस से उनका जीवन प्रभावित न हो और वे अपने परिवार के साथ रहकर अपना भरण पोषण कर सकें।

इस बारे में उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा कहते हैं, "सरकार का यह कदम निश्चित रूप से स्वागत योग्य है क्योंकि मजदूरों ने पहले मंदी की मार झेली और उन्हें काम नहीं मिला और अब कोरोना का डर भी मजदूरों पर है और इस वजह से भी उन्हें काम नहीं मिल रहा है, ऐसे में रोज कमाने वाले और अपना पेट भरने वाले मजदूर बहुत ही मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं।"

तुलाराम कहते हैं, "ऐसे समय में असंगठित क्षेत्र के मजदूर भुखमरी के कगार पर हैं। सरकार को ऐसी महामारी फैलने के समय में अधिक से अधिक मजदूरों की आर्थिक सहायता करनी चाहिए, इसके अलावा और राज्यों के मजदूरों के लिए भी प्रदेश सरकारों को जल्द से जल्द ऐसा फैसला लेना चाहिए।"

लखनऊ के राजाजीपुरम के पुराने टैक्सी स्टैंड में काम मिलने की आस में ग्राहकों की राह ताकते दिहाड़ी मजदूर। फोटो : गाँव कनेक्शन

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार देश में 42 करोड़ श्रमिक असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। ऐसे में कोरोना वायरस जैसी महामारी फैलने से इनके काम पर सीधा असर पड़ रहा है।

मजदूर लालता प्रसाद ।

शिव शंकर की तरह हरदोई के मदार के गाँव कोडरी के मूल निवासी लालता प्रसाद (47 वर्ष) भी इसी भीड़ में खड़े भवन निर्माण के मजदूर हैं। लालता प्रसाद बताते हैं, "अभी तो बहुत बुरा हाल है, आप देख रहे हैं यहाँ सौ-सवा सौ मजदूर खड़े हैं, उनमें आधे से ज्यादा मजदूर थोड़ी देर में खाली हाथ लौट जायेंगे। काम ही नहीं है, जो आता भी है मास्क पहना रहता है, कोरोना का डर तो हम जैसों को भी है, मगर क्या करें, अब अगर सरकार हमारी मदद करती है तो हम लोगों के लिए अच्छा है।"

एक और युवा मजदूर उमा शंकर (20 वर्ष) भी असंगठित क्षेत्र के मजदूर हैं, फिर भी वे कोरोना से बचाव को लेकर सरकार के फैसले से खुश हैं और उन्हें भरोसा है कि सरकार उन जैसे मजदूरों की मदद करेगी।

हरदोई के संडीला के पास रामपुर गाँव के मूल निवासी उमा शंकर कहते हैं, "सरकार असंगठित मजदूरों को भी पेंशन दे रही है, बस आपका खाता होना चाहिए बैंक में, हमारे हरदोई में भी कुछ मजदूरों को पेंशन मिली है, मगर जब से यह बीमारी (कोरोना) फैली है, इसकी वजह से काम भी इतना नहीं है, सरकार हम जैसे सभी मजदूरों की मदद करे।"

मजदूर ओम प्रकाश ।

वहीँ हरदोई के नूर्पुरवा के गाँव मेढ़ई के रहने वाले मजदूर ओम प्रकाश बताते हैं, "हम गाँव में ही थे, आज ही आयें हैं। सोचा था कि गाँव में ही खेतों में मजदूरी करेंगे मगर खेतों में बड़े-बड़े पत्थर (ओले) पड़े, फसलें पानी से भरी हुई हैं, तो गाँव में भी काम नहीं है, मजदूरी के लिए यहाँ चले आये, अगर सरकार ऐसे समय में हम लोगों की मदद करे तो हम मजदूरों का भी भला होगा।"

कोरोना का दुष्प्रभाव दिहाड़ी मजदूरों पर न पड़े, इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मजदूरों को निश्चित धनराशि देने के लिए 17 मार्च को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है जो जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस कमेटी में श्रम मंत्री के साथ कृषि मंत्री को भी शामिल किया गया है।

इस बारे में उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हरीश चन्द्र श्रीवास्तव बताते हैं, "मजदूरों को लेकर अंतिम प्रारूप लगभग तैयार है। इसमें तय हो जायेगा कि कितने मजदूरों को कितनी धनराशि दी जाएगी, हमारी सरकार कोरोना वायरस को लेकर संवेदनशील है और ऐसे दिहाड़ी मजदूरों को सरकार आर्थिक सहायता देगी ताकि कोरोना जैसी महामारी की वजह से उनका जीवन अस्त-व्यस्त न हो।"

चीन से विश्व भर में फैले कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं और 19 मार्च तक ऐसे मरीजों की संख्या 2.25 लाख पार कर चुकी है। इनमें अब तक नौ हज़ार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 197 पहुँच चुकी है और अब तक चार लोग इस जानलेवा वायरस से अपनी जान गवां चुके हैं।

ऐसे स्थिति में कोरोना वायरस को लेकर देशवाशियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उच्च आय वर्ग और व्यापारी जगत से आग्रह किया है कि संकट के इस समय में अगर संभव है तो आप जिन-जिन लोगों से सेवाएं लेते हैं, उनके आर्थिक हितों का ध्यान रखें। उनका वेतन न काटें, ये ध्यान रखें कि उन्हें भी अपना परिवार चलाना है।

लखनऊ के राजाजीपुरम में पुराने टैक्सी स्टैंड के पास ग्राहक का इंतज़ार करता एक मजदूर । फोटो : गाँव कनेक्शन

ऐसे में कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव की वजह से दिहाड़ी मजदूरों के लिए इस फैसले को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की काफी प्रशंसा हो रही है। नयी दिल्ली के भाजपा नेताओं ने भी केजरीवाल सरकार से मजदूरों के लिए ऐसा फैसला लागू करने की मांग की है।

रोहणी विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने ट्वीट कर योगी सरकार की सराहना की। उन्होंने लिखा कि आपकी इस पहल से करोड़ों गरीबों का चूल्हा बुझने से बच सकेगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को मेरा सुझाव है कि यहां के मजदूर भाई-बहनों के लिए भी इस घड़ी में हमें उनके हित के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। इसके अलावा भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने भी ट्वीट कर केजरीवाल सरकार से मजदूरों के हित में ऐसा फैसला लेने की गुजारिश की है।

भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य सुखदेव मिश्रा बताते हैं, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश में फैली ऐसी महामारी के समय उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की और से मजदूरों के लिए यह फैसला सराहनीय है। मगर सवाल यह है कि कितने मजदूरों को धनराशि दी जाएगी क्योंकि असंगठित मजदूरों की संख्या करोड़ों में है। फिर भी सरकार मजदूरों के लिए करती है तो यह स्वागत योग्य कदम है और दूसरे राज्यों को भी मजदूरों के बारे में ऐसा फैसला लेना चाहिए।"

वहीँ बिहार में असंगठित मजदूर संघ के उपाध्यक्ष लखन कुमार बताते हैं, "कोरोना की वजह से दिहाड़ी मजदूरों की जिंदगी पर काफी असर पड़ रहा है। जैसे सरकार कोरोना से बचाव के लिए कर्मचारियों को घर से काम करने और वेतन न काटने का कदम उठा रही है, वैसे ही दिहाड़ी मजदूरों को भी इस समय आर्थिक सहायता की जरूरत है कि वो अपने परिवार का पेट पाल सकें। राज्य सरकारों को मजदूरों के हित में कदम उठाना चाहिए।"

गांव कनेक्शन की सीरीज 'कोरोनाश' में पढ़ें ...

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