नोटबंदी का काउंटडाउन - कब, कैसे, क्या हुआ था

Anusha MishraAnusha Mishra   8 Nov 2017 2:34 PM GMT

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नोटबंदी का काउंटडाउन - कब, कैसे, क्या हुआ थानोटबंदी के बाद एटीएम के बाहर लाइन में लगे लोग

7 नवंबर 2016 को एक ख़बर मीडिया में आई कि 8 नवंबर की रात 8 बजे प्रधानमंत्री मोदी टीवी पर देश को संबोधित करेंगे और कुछ ऐलान करेंगे। ये वो समय था जब भारत और पाकिस्तान के बीच काफी तनातनी चल रही थी। घर, बाज़ार से लेकर सोशल मीडिया तक ज़्यादातर लोग यही चर्चा कर रहे थे कि अब भारत को पाकिस्तान पर हमला कर ही देना चाहिए। जब ये ख़बर आई कि पीएम मोदी देश को संबोधित करेंगे तो कुछ लोगों के मन में ये बात थी कि हो सकता है पीएम भारत को पाकिस्तान पर हमला करने का आदेश दे दें, कुछ लोगों ने तो यहां तक सोच लिया कि प्रधानमंत्री शायद काले धन को लेकर किए गए एक कथित दावे के मुताबिक 15-15 लाख रुपए तो कहीं न डलवाने जा रहे।

8 नवंबर रात 8 बजे जब लोग बहुत हल्के फुल्के मन से टीवी के सामने बैठे अपने प्रधानमंत्री का संबोधन सुनने के लिए। पीएम ने बोलना शुरू किया - सबसे पहले मोदी ने दिवाली की खुशियों के बारे में बात की, फिर विश्व की अर्थव्यवस्था में भारत की उपलब्धता के बारे में बताया, उन्होंने बताया कि कैसे भारत की चर्चा अब इंटरनेशनल मोनेटरी फण्ड (आईएमएएफ) और वर्ल्ड बैंक में गूंज रही है। उन्होंने अपनी सरकारी की तमाम योजनाओं के बारे में भी देश की जनता को बताया, फिर उन्होंने काले धन और भ्रष्टाचार के बारे में बात की। देश की जनता पूरे ध्यान से अपने पीएम को संबोधन सुन रही थी।

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लगभग 10 मिनट का संबोधन खत्म होने के बाद जैसे ही पीएम ने कहा -बहनों भाइयों, देश को भ्रष्टाचार और काले धन रूपी दीमक से मुक्त कराने के लिए एक और सख्त कदम उठाना ज़रूरी हो गया है आज मध्य रात्रि यानि 8 नवम्बर 2016 की रात्रि 12 बजे से वर्तमान में जारी 500 रुपये और 1,000 रुपये के करेंसी नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे यानि ये मुद्राएँ कानूनन अमान्य होंगी। 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों के जरिये लेन देन की व्यवस्था आज मध्य रात्रि से उपलब्ध नहीं होगी।

भ्रष्टाचार, काले धन और जाली नोट के कारोबार में लिप्त देश विरोधी और समाज विरोधी तत्वों के पास मौजूद 500 एवं 1,000 रुपये के पुराने नोट अब केवल कागज़ के एक टुकड़े के समान रह जायेंगे। बस यही वो वक्त था, जब लोगों के दिलों की धड़कनें एक पल को रुक गई थीं। शुरुआत में तो लोगों को समझ ही नहीं आया कि अब क्या होगा, कैसे होगा?

एक दम से अफरा तफरी मच गई। कोई अपने रिश्तेदारों को फोन करके बता रहा था तो कोई ये देख रहा था कि उसके घर में कितना कैश रखा है। क्योंकि पेट्रोल पंप पर पुराने नोट चल रहे थे तो कुछ लोग अपनी - अपनी गाड़ियों की टंकी फुल कराने निकल लिए। पीएम के संबोधन के 15 मिनट के अंदर एटीएम के बाहर 100 के नोट निकालने के लिए लोगों की लाइन लगी थी। ट्रेन, बस, हवाई जहाज़, गली, नुक्कड़, चौराहे, चाय की दुकान से लेकर शॉपिंग मॉल तक बस नोटबंदी की ही चर्चा हो रही थी।

पुणे में एक कॉरपोरेट कंपनी में नौकरी करने वाले अमोल बागल गाँव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, ''मुझे अगले दिन सुबह कंपनी के काम से बंगलुरु जाना था। मेरे पास वहां जाने और वापस पुणे आने के लिए टिकट थे लेकिन 100 और 50 के इतने नोट नहीं थे कि मैं बंगलुरु में ऑटो या टैक्सी का किराया व खाने पर खर्च कर पाता। जैसे ही मुझे पता चला कि अब 500 व 1000 के नोट नहीं चलेंगे। मैं तुरंत एटीएम गया और वहां से 100 - 100 के कुछ नोट निकाल कर लाया। हालांकि कुछ दिक्कत हुई लेकिन मेरा काम चल गया।'' अमोल बताते हैं कि मुझे रास्तें में कई ऐसे लोग मिले जो लंबा सफर कर रहे थे और जब अपने घर से निकले थे तब उनके पास सिर्फ 500 और 1000 रुपये के ही नोट थे। वो लोग बहुत परेशान थे। लोगों के पास खाने को भी पैसे नहीं थे।

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क्या - क्या थे नियम

1. शुरुआत में एटीएम से एक दिन में 2000 रुपये तक निकालने की छूट थी लेकिन जब 500 रुपये के नोट भी एटीएम में डाल दिए गए तब यह सीमा 2500 कर दी गई।

2. किसी एक हफ़्ते में एक ग्राहक अधिकतम 24,000 तक बैंक से निकाल सकता है। इसमें वो रक़म भी शामिल थी जो एटीएम से निकाली गई हो।

3. नोटबंदी के पहले पहले हफ्ते बैंक से 4000 रुपये बदलने की छूट की जिसे बाद में 2000 कर दिया गया। इसके लिए किसी सरकारी फोटो-आईडी की एक फोटोकॉपी भी लगानी थी। दिसंबर में एक और नियम आया कि अब अगर बैंक में रुपये जमा करने हैं तो एक फॉर्म भरना होगा।

4. एक दिन में एक व्यक्ति एक ही बार 2,000 रुपये के नोट बदल सकता है। एक ही आईडी पर दो बार पैसे जमा नहीं होंगे। कोई भी व्यक्ति अपने निजी बैंक खाते में जितना चाहे पैसा जमा कर सकता है, जिसमें 500, 1000 के नोट शामिल हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में थर्ड पार्टी डिपॉज़िट की इजाज़त नहीं दी गई है लेकिन अगर मजबूरन करना पड़े तो जमा करने वाले की और जिसका खाता है उसकी असली आईडी दिखानी पड़ेगी।

5. ई-बैंकिंग लेनदेन पर कोई भी रोक नहीं है और कोई व्यक्ति आरटीजीएस, एनईएफटी, आईएमपीएस, पेटीएम, मोबाइल बैंकिंग वैगेरह के ज़रिए जितने चाहे पैसा किसी दूसरे को दे सकते हैं

6. 5000 रुपये से ज़्यादा बैंक में जमा करने पर साथ में पैन कार्ड की फोटो कॉपी भी जमा करनी थी।

नोट बदलने के लिए भी लगी थी उंगली में स्याही

कई ऐसी ख़बरें आईं कि कुछ लोग लाइन में लगकर अलग - अलग आईडी पर नोट बदलवा रहे हैं जिसके बाद ये नियम बना दिया गया कि अब जो भी बैंक से नोट बदलवाने जाएगा उसकी उंगली पर स्याही लगा दी जाएगी ताकि वो दोबारा नोट न बदलवा सके।

कई जगह मिले पुराने नोट व साथ में नए भी

आयकर व अन्य विभागों ने जगह-जगह छापे मारे जिसमें भारी मात्रा में पुराने तथा नए नोट मिले। इसमें कई बैंक अधिकारियों की मिलीभगत का भी पर्दाफाश हुआ। स्वैच्छिक घोषणा योजना (आईडीएस) के तहत गुजरात के महेश शाह ने 13,800करोड़ के उपर काले धन का ख़ुलासा किया था। गुजरात में सूरत के किशोर भजियावाले नाम के चाय और पकौड़ी बेचने वाले के पास से 1000 करोड़ का कालाधन बरामद किया गया था। दिल्ली के एक व्यापारी की कार से नए नोटों की कई गड्डियां बरामद हुई थीं।

22 दिसम्बर 2016 को फर्स्टपोट में छपी एक ख़बर के मुताबिक, सरकारी अधिकारियों ने नोटबंदी के बाद देशभर में 677 छापे मारे जिसमें 3,185 करोड़ से ज़्यादा की अघोषित रकम व 86 करोड़ रुपये के नए नोट मिले। आयकर विभाग ने कर चोरी और हवाला के सौदे के आरोप में विभिन्न संस्थाओं को 3,100 नोटिस जारी किए।

बीजेपी के नेताओं की नोटबंदी से ठीक पहले ज़मीन ख़रीदने की ख़बरें

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने 25 नवंबर को संसद भवन के बाहर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ''नोटबंदी से पहले ही पीएम मोदी ने अपनी पार्टी के लोगों को पहले ही नोटबंदी के बारे में बता दिया था। इसीलिए उनके नेताओं ने बिहार में नोटबंदी के ठीक पहले ज़मीन ख़रीद ली।'' कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर इसके दस्तावेज भी शेयर किए।

इनमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की ओर से पार्टी के सीनियर कार्यकर्ताओं और विधायकों को ऑथोराइज्ड सिग्नेचरी नियुक्त किया गया। दीघा (पटना) के भाजपा विधायक संजीव चौरसिया इनमें शामिल बताए जा रहे थे। ख़बरें आई थीं कि बीजेपी ने लखीसराय (06 सितंबर), मधुपुरा (14 सितंबर), कटिहार (16 सितंबर), अरवल व किशनगंज (19 सितंबर), मधुबनी (01 अक्टूबर) को डील फाइल की थी। जमीन की कुल राशि 4 करोड़ 7 लाख 26 हजार बताई गई। जो तब के बाजार भाव से काफी कम थी।

जदयू ने भाजपा से सवाल करते हुए कहा था कि बिहार में जमीन का रेट बहुत ज्यादा है, क्या भाजपा ने जमीन की खरीदारी के लिए सर्किल रेट के अलावा भी रुपयों का भुगतान किया है?

जदयू के इन नेताओं ने कहा था जमीन रजिस्ट्री के कागज में हर खरीददार का पता भाजपा का दिल्ली मुख्यालय 11, अशोक रोड लिखा हुआ है। इसका मतलब रुपयों का इंतजाम भाजपा मुख्यालय के द्वारा किया गया। ये रुपये बिहार के नेताओं के पास कैसे पहुंचे ?

भारत बन्द

नोटबन्दी का विरोध करने वाले दलों (कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम आदि) ने 28 नवम्बर को भारत बन्द का आह्वान किया था जो सफल नहीं हुआ।

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