अमूल ने बताया आइसक्रीम और फ्रोज़न डेज़र्ट में अंतर, हिंदुस्तान यूनिलीवर से जताया ऐतराज, मामला पहुंचा हाईकोर्ट

Shefali SrivastavaShefali Srivastava   2 April 2017 2:06 PM GMT

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अमूल ने बताया आइसक्रीम और फ्रोज़न डेज़र्ट में अंतर, हिंदुस्तान यूनिलीवर से जताया ऐतराज, मामला पहुंचा हाईकोर्टएचयूएल ने अमूल के विज्ञापन को भ्रमित करने वाला बताया

लखनऊ। देश के टॉप ब्रांड हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) और अमूल के बीच एक विज्ञापन का मामला बीते दिनों कोर्ट पहुंच गया है। इस विवाद पर मुंबई हाइकोर्ट की सुनवाई पांच अप्रैल को होगी।

दरअसल, ये विवाद इसलिए है कि अपने हालिया विज्ञापन में अमूल ने अपनी आइसक्रीम को वास्तविक दूध से तैयार बताया था जबकि दूसरी कंपनियों के फ्रोज़न डेज़र्ट को वेजिटेबल तेल से बना हुआ कहा, जो हेल्दी नहीं है। हालांकि विज्ञापन में दूसरी कंपनी की आइसक्रीम में किसी का नाम नहीं है लेकिन फोटो देखने पर पता चल जाता है कि किस कंपनी की बात हो रही है। इसी पर ऐतराज जताते हुए एचयूएल ने अमूल के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया था और विज्ञापन पर रोक लगाने को कहा। हिंदुस्तान यूनिलीवर का कहना था कि अमूल का ये विज्ञापन लोगों को भ्रमित करने वाला है।

अमूल गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) का ब्रांड है। इस मामले में अमूल का कहना है कि एचयूएल दबाव और डराने के लिए स्टंट का सहारा ले रही है।जीसीएमएमएफ के मैनेजिंग डायरेक्टर आरएस सोढ़ी ने बताया कि यह एचयूएल का स्टंट है। एचयूएल जो फ्रोजन डेज़र्ट तैयार करता है उसने हमारे टीवी कमर्शियल को ग्राहकों को आइसक्रीम और फ्रोजन डेज़र्ट में अंतर बताकर जागरूक करता है उसे चुनौती दी है।

दरअसल, ये विवाद इसलिए है कि अपने हालिया विज्ञापन में अमूल ने अपनी आइसक्रीम को वास्तविक दूध से तैयार बताया था जबकि दूसरी कंपनियों के फ्रोज़न डेज़र्ट को वेजिटेबल तेल से बना हुआ कहा, जो हेल्दी नहीं है। हालांकि विज्ञापन में दूसरी कंपनी की आइसक्रीम में किसी का नाम नहीं है लेकिन फोटो देखने पर पता चल जाता है कि किस कंपनी की बात हो रही है।

वे नहीं जानते कि हम 36 लाख गरीब किसानों का समर्थन करते हैं जो उपभोक्ताओं को उन उत्पादों के बारे में जागरूक बनाना चाहते हैं जो वे खरीद रहे हैं।

सोढ़ी आगे बताते हैं कि आइसक्रीम मिल्क फैट से तैयार की जाती है जबकि फ्रोज़न डेजर्ट वेजिटेबल फैट से और इसे आइसक्रीम नहीं कहा जाता है।

ये पूरा विवाद साल 2011 में पहली बार शुरू हुआ था जब फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने ये नियम बनाया था कि जो कंपनियां वेजिटेबल फैट का इस्तेमाल कर रही हैं वो अपने प्रोडक्ट पर आइसक्रीम नहीं लिख सकती हैं।

एचयूएल की कंपनी क्वालिटी वॉल्स अपने प्रोडक्ट पर फ्रोज़न डेज़र्ट लिखती है और कंपनी ने साफ किया कि वो वेजिटेबल फैट इस्तेमाल करते हैं लेकिन ये डालडा नहीं होता, ये वो तेल है जो खाने में इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि इस विवाद के बाद अब हर जगह चर्चा हो रही है।

       

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