कोविड-19: क्या केरल और महाराष्ट्र में मौजूद है वायरस का नया रूप?
देश में कोरोना वायरस के नए संक्रमित मामलों में गिरावट के बावजूद दो राज्य केरल और महाराष्ट्र ऐसे हैं जहाँ अभी भी कोरोना संक्रमण के नए मामलों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी इन दोनों राज्यों में बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जताई है। ऐसे में इन मामलों के बढ़ने के पीछे क्या कारण हैं और वायरस के ट्रेंड को लेकर क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ, पढ़िए रिपोर्ट ...
Kushal Mishra 12 Feb 2021 7:49 AM GMT
देश में कोरोनावायरस के नए मामले काफ़ी हद तक कम हो गए हैं। केरल और महाराष्ट्र में भी पहले की तुलना में नए मामले कम हुए हैं लेकिन उतनी तेज़ी से नहीं जितनी तेज़ी से देश के बाकी राज्यों में कम हुए हैं। ऐसे में अब बहस छिड़ गई है कि क्या इन दोनों राज्यों में कोरोनावायरस का नया स्ट्रेन है?
देश भर में 10 फ़रवरी को कोरोनावायरस के 12,923 नए मामले पता चले हैं। नए मामलों में सबसे ज़्यादा संख्या केरल और महाराष्ट्र से मिले मामलों की है। केरल से 10 फ़रवरी को 5,980 नए मामले सामने आए जो देश भर में मिले कुल मामलों का 46% है। इसी तरह महाराष्ट्र से 10 फ़रवरी को एक दिन में 3,451 नए मामले मिले, जो देश भर में एक दिन में मिले मामलों का 26.7% है। इस तरह 10 फ़रवरी को देश भर में कोरोनावायरस के जितने मामले मिले, उसमें 73% मामले केरल और महाराष्ट्र से थे।
इसी तरह देश भर में 10 फ़रवरी को इस महामारी से 108 लोगों की मौत की हुई, जिसमें से 38 मौतें महाराष्ट्र (30) और केरल (18) में हुई। यानी देश भर में 10 फ़रवरी को एक दिन में जितनी मौतें हुई उनमें से 44.4% इन्हीं दो राज्यों में दर्ज की गईं।
जब देश भर में कोरोनावायरस का ग्राफ़ नीचे की तरफ़ जा रहा है तो इन दो राज्यों में संक्रमण के मामले उच्च स्तर पर क्यों बने हुए हैं? क्या इन दोनों राज्यों में वायरस ने कोई नया रूप ले लिया है या फिर कोई यहां वायरस का कोई नया स्ट्रेन मौजूद है? ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने इसकी जांच करवाए जाने की मांग की है। कुछ और भी विशेषज्ञ हैं जो वायरस के नए स्ट्रेन की संभावना से इंकार नहीं करते हैं।
7,860 case per million and case positivity rate for last week is 1.68 %
— PIB India (@PIB_India) February 9, 2021
Only 2 States - Kerala & Maharashtra have more than 35,000 cases; they together contribute 71% #COVID cases: Secretary, @MoHFW_INDIA pic.twitter.com/VkUtWmMgT3
"अगस्त से केरल में नए संक्रमित मरीज़ों के बढ़ने का क्रम इसलिए भी शुरू हुआ क्योंकि ओणम जैसे और त्योहारों को देखते हुए नियमों में ढील दी गई। इसके अलावा लोकल बॉडी इलेक्शन के दौरान भी। ऐसे में बड़ी संख्या में भीड़ हुई और वास्तव में हमने कहीं ज्यादा जोखिम लिया। यही महाराष्ट्र में भी हुआ," केरल के कोच्चि में जन स्वास्थ्य सलाहकार और भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम से जुड़े रहे डॉ. एंटोनी आर. कोल्लानुर ने 'गाँव कनेक्शन' को बताया।
दुनिया भर में तारीफ़ बटोर चुके केरल में काबू से बाहर हुआ संक्रमण
केरल की बात करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि कोरोनावायरस के शुरुआती महीनों में इस महामारी पर काबू पाने में राज्य सफ़ल रहा और केरल की कोविड-19 रणनीति की दुनिया भर में तारीफ़ हुई। देश में कोरोनावायरस का पहला मामला केरल में ही मिला था। यकायक राज्य में मामलों की संख्या तेज़ी से बढ़ी लेकिन फिर इस पर विराम लग गया।
जब दूसरे देशों और दूसरे राज्यों में रह रहे केरल के नागरिकों को राज्य में वापस आने की इजाज़त मिली तो राज्य में संक्रमण की एक दूसरी लहर आ गई। राज्य सरकार उसे भी काबू करने में कामयाब रही लेकिन फिर अगस्त के महीने में संक्रमण का ग्राफ़ फिर से बढ़ने लगा। कोरोनावायरस के नए मामलों में 10 फ़रवरी को राज्य में 7 दिन का औसत 5,523 है।
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जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि केरल में कोविड-19 के नए मामलों की संख्या पिछले साल अगस्त के महीने से बढ़नी शुरू हो गई थी। दस अगस्त को केरल में नए मामलों की संख्या 1,184 थी। दो महीने बाद, 10 अक्टूबर को राज्य में 11,755 नए मामले रिकॉर्ड किये गए। ये राज्य में एक दिन दर्ज नए मामलों में अब तक की सबसे अधिक संख्या है। 10 अक्टूबर को उच्चतम स्तर छूने के बाद नए मामलों की संख्या कम तो हुर्ई है लेकिन उतनी तेज़ी से नहीं जितनी देश के बाकी हिस्सों में हुई। 10 फरवरी तक केरल में कोरोना संक्रमण से 3,921 मौतें हो चुकी थीं।
महाराष्ट्र में
"महाराष्ट्र में भी हमें यह देखने को मिला, ग्राम पंचायत इलेक्शन हुए। लोगों की भीड़ में कम्युनिटी ट्रांसमिशन को भी बढ़ावा मिला और लोगों ने भी कोविड नियमों का पालन करने में ढिलाई बरती। इस बीच बिहार में भी चुनाव हुए, हालाँकि वहां इतनी बड़ी संख्या में नए मरीज़ सामने नहीं आए। फिर भी दिल्ली, केरल और महाराष्ट्र के आंकड़ों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि नियमों में ढील देना इसकी एक बड़ी वजह रही है," जन स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. एंटोनी आर. कोल्लानुर ने बताया।
महाराष्ट्र के आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य में कोरोना संक्रमण के नए मामले 20 सितम्बर को सबसे अधिक 41,146 रिकॉर्ड किए गए। इसके बाद इन मामलों में तेजी से कमी आई और 26 नवम्बर को महाराष्ट्र में कुल 6,406 नए मामले दर्ज किये गए। मगर राज्य में नवम्बर के बाद से नए मामलों में तेजी से इजाफा हुआ और यह आंकड़ा 21 दिसम्बर को 10,585 तक रिकॉर्ड किया गया। दिसम्बर के बाद से मामलों में फिर गिरावट शुरू हुई, मगर पांच फरवरी तक यह आंकड़ा 5,728 दर्ज किया गया। हालांकि केरल की तुलना में महाराष्ट्र में नए मामलों का 7 दिन का औसत लगभग आधा यानी 2,712 है।
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मुंबई में वरिष्ठ पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट रवि दुग्गल 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "अभी महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण के नए मामले बढ़ते नजर आए हैं, हालाँकि सरकार अब रोकथाम का प्रयास कर रही है, मगर इसकी एक वजह ग्राम पंचायत चुनाव का होना भी हो सकता है। वायरस कब और कितना प्रभावी है, इस बारे में मार्च तक वायरस के ट्रेंड का अंदाजा लगाया जा सकता है।"
महाराष्ट्र में जन स्वास्थ्य अभियान से जुड़े वरिष्ठ स्वास्थ्य कार्यकर्ता डॉ. अनंत फड़के ने 'गाँव कनेक्शन' को बताया, "हमें समझने की जरूरत है कि भले ही कोरोना संक्रमण के मामले देश में अब करीब 10 हजार तक पहुँच चुके हैं, लेकिन खत्म नहीं हुए हैं। संक्रमण का खतरा उतना ही है जितना पहले था, ऐसे में भले ही जोखिम थोड़ा कम हुआ है, लेकिन टीकाकरण पूरा होने तक जरूरी सावधानियों का पालन करना बेहद जरूरी है, कम से कम यह पूरा साल हमें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।"
क्या केरल और महाराष्ट्र में कोरोनावायरस का नया स्ट्रेन है?
देश में हर रोज़ मिलने वाले नए मामलों में 70% से अधिक केरल और महाराष्ट्र से मिलने पर अब चर्चा इस बात की भी हो रही है कि क्या इन दोनों राज्यों में वायरस नया रूप ले चुका है या ये नया स्ट्रेन है? दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट्स ऑफ़ मेडिकल साइंस (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने इन दोनों राज्यों में कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के होने की आशंका जताई है। डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि इस बात की जांच ज़रूर करनी चाहिए कि इन दोनों राज्यों में कहीं कोरोना वायरस के नए रूप का संक्रमण तो नहीं फ़ैल रहा है। हालांकि केरल के मामले में उन्होंने कहा कि राज्य में बुज़र्गों की आबादी ज़्यादा होने की वजह से भी यहां संक्रमण के इतने अधिक मामले मिल रहे हैं, जो पहले से ही कई बीमारियों से ग्रस्त हैं।
केरल और महाराष्ट्र में नए स्ट्रेन की आशंका को लेकर डॉ. एंटोनी आर. कोल्लानुर कहते हैं, "ऐसा संभव हो सकता है, मगर नए स्ट्रेन की संभावना बहुत कम है क्योंकि अब तक वायरस में कोई नया वेरिएशन सामने नहीं देखा गया है। यह संभव है कि आने वाले समय में मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद में वायरस के सैम्पल्स की जिनोम सिक्वेंसिंग कर रहे लोगों द्वारा कोई नया स्ट्रेन सामने आए, मगर अभी तक तो नहीं है।"
हालाँकि महाराष्ट्र में जन स्वास्थ्य अभियान से जुड़े वरिष्ठ स्वास्थ्य कार्यकर्ता डॉ. अनंत फड़के कहते हैं, "बिल्कुल, अगर किसी राज्य में नए मामले बढ़ते नजर आते हैं तो नए स्ट्रेन को लेकर ज़रूर जांच की जानी चाहिए। जरूरी है कि किसी भी तरह की ढिलाई न बरती जाए।"
कई दशकों तक देश के टीकाकरण कार्यक्रम से जुड़े रहे के. सुरेश राव कोरोना संक्रमण के वायरस को लेकर 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "फिलहाल अपने देश में वायरस के जो नए वैरिएंट भी सामने आए हैं वो उतने प्रभावी नहीं हैं, जितने अन्य देशों में हैं। मगर जरूरी यह है कि अब जब वायरस कमजोर अवस्था में है, हमें देश में टीकाकरण अभियान को गति देनी चाहिए।"
विशेषज्ञों की मानें तो इन दोनों राज्यों में वायरस के ट्रेंड को समझने के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा।
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