पृथ्वी के पारिस्थितिक-तंत्र में महासागरों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। लेकिन, मानवीय गतिविधियों से उपजे अपशिष्ट पदार्थों को समुद्र में बहाए जाने से लेकर मालवाहक जहाजों से होने वाले तेल और विभिन्न रसायनों के रिसाव की घटनाओं से समुद्री-तंत्र बड़े पैमाने पर प्रदूषित हो रहा है।
श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के तट से दूर केमिकल से लदे जहाज में आग लगने के बाद उसके डूबने की घटना इसका एक ताज़ा उदाहरण है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इस जहाज के डूबने से धरती को भारी नुकसान हुआ है, क्योंकि इसने पारिस्थितिक-तंत्र में जहरीले पदार्थों को घोल दिया है।
इसी तरह का मामला हाल में महाराष्ट्र के पालघर के पास भी देखने को मिला, जब ताउते तूफान के कारण 80 हजार लीटर डीजल से भरा जहाज चट्टान से जा टकराया और भारी मात्रा मेंतेल का रिसाव समुद्र में होने लगा। ये कुछ ऐसी घटनाएं हैं, जो समुद्री-तंत्र एवं जीव-जंतुओं को व्यापक रूप से प्रभावित करती हैं। तटरक्षक-बल के समक्ष इस तरह की घटनाओं से निपटने की चुनौती हर समय बनी रहती है। हाल में, दो प्रदूषण नियंत्रण जहाजों (पीसीवी) के निर्माण की रक्षा मंत्रालय की पहल से भारतीय तटरक्षक-बल की यह चुनौती आसान हो सकती है। रक्षा मंत्रालय ने भारतीय तटरक्षक-बल के लिए दो प्रदूषण-नियंत्रण जहाजों के निर्माण के लिए गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) के साथ एक करार किया है।
लगभग 583 करोड़ रुपये की लागत से भारतीय तटरक्षक-बल (आईसीजी) के लिए बनने वाले दो प्रदूषण-नियंत्रण जहाजों (पीसीवी) के निर्माण के संबंध में रक्षा मंत्रालय ने गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। इन जहाजों को स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया जाएगा तथा उनके निर्माण की जिम्मेदारी जीएसएल पर होगी।
रक्षा खरीद प्रक्रिया से संबंधित स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित (बाय इंडियन-आईडीडीएम) श्रेणी के तहतयह अधिग्रहण किया गया है। रक्षा खरीद से जुड़ी यह सर्वोच्च प्राथमिकता श्रेणी है, जिसमें स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दी जाती है। बताया जा रहा है कि इस अधिग्रहण से समुद्र में तेल-रिसाव आपदाओं से निपटने के लिए भारतीय तटरक्षक-बल की क्षमता में वृद्धि हो सकेगी, और प्रदूषण प्रतिक्रिया दक्षता में भी बढ़ोतरी होगी। इन दोनों जहाजों को क्रमश नवंबर, 2024 और मई, 2025 तक डिलीवरी के लिए निर्धारित किया गया है।
#MinistryOfDefence signed a contract w/ @goashipyardltd (GSL) for construction of 2 #PollutionControlVessels for @IndiaCoastGuard at a cost of about Rs 583 crore, today. These ships will be indigenously designed, developed and built by GSL
Press Release: https://t.co/WbfCQgLS7H pic.twitter.com/bL5rdspGqj— A. Bharat Bhushan Babu (@SpokespersonMoD) June 22, 2021
भारतीय तटरक्षक-बल के पास वर्तमान में मुंबई, विशाखापट्टनम और पोरबंदर में अपने बेड़े में तीन प्रदूषण नियंत्रण जहाज (पीसीवी) हैं, जो भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्रों (ईईजेड) और आसपास के द्वीपों में समर्पित प्रदूषणनिगरानी, तेल-रिसाव निगरानी एवं प्रतिक्रिया अभियान के लिए तत्पर रहते हैं। जिन नये पीसीवी जहाजों की योजना बनायी गई है, वो पूर्वी क्षेत्र तथा पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील अंडमान एवं निकोबार क्षेत्रों में प्रदूषण प्रतिक्रिया संबंधी जरूरतों के लिए तैनात किए जा सकते हैं। हेलीकॉप्टर संचालन क्षमता सेलैस इन जहाजों में अनेक उन्नत सुविधाएं उपलब्ध होंगी। समुद्र में तेल-रिसाव रोकने, संग्रहित करने तथा फैलाव के लिए उत्कृष्ट प्रौद्योगिकी वाले उपकरण इनमें शामिल हैं।
रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है कि यह अनुबंध ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के उद्देश्यों को पूरा करते हुए स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमता को बढ़ावा देगा।