गोरा बनाने वाली क्रीम को लेकर सरकार ने उठाया ये सख्त कदम

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गोरा बनाने वाली क्रीम को लेकर सरकार ने उठाया ये सख्त कदमफेयरनेस क्रीम पर कोर्ट की सख्ती।

सुंदरता के लिए इस्तेमाल हो रही स्टेरॉयड बेस्ड क्रीमों पर ड्रग कंट्रोलर की मंजूरी के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने नकेल कस दी है। अब बिना डॉक्टर की पर्ची के ये क्रीम नहीं बिकेंगी। अखबारों और टीवी में गोरा बनाने, पिंपल-रिंकल हटाने और स्किन से जुड़े इन्फेक्शन दूर करने का दावा करने वाली क्रीमों की धड़ल्ले से अब बिक्री नहीं होगी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ के समक्ष डीसीजीआई ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी। एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट्स, वेनेरियोलोजिस्ट एंड लेप्रोलॉजिस्ट (आईएडीवीएल) ने याचिका दाखिल कर गोरा बनाने, दाद-खाज, खुजली व फंगल इंफेक्शन में काम आने वाली स्टेरॉयड युक्त क्रीम पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

टाइम्स आॅफ में छपी खबर के अनुसार इन क्रीमों से स्किन को नुकसान पहुंचता था इसलिए सरकार ने करीब 14 स्टेरॉयड वाली क्रीम की पहचान कर उन्हें शेडयूल एच की श्रेणी में डाल दिया है। मतलब अब बिना डॉक्टर की पर्ची इसकी खरीद या बिक्री नहीं होगी। नए नियम के अनुसार, डेसोनाइड, बेक्लोमेथासोन सहित इस तरह की 14 चीजों का जिन क्रीम में इस्तेमाल होगा, उसके लिए डॉक्टर की सलाह जरूरी है।

असल में इसके पहले डर्मेटोलॉजिस्ट की ओर से यह लगातार शिकायतें आ रही थीं कि कुछ कंपनियां बिना मेडिकल गाइडेंस पूरा किए एस्टेरॉएड बेस्ड क्रीम मार्केट में बेच रही हैं। इसके गलत इस्तेमाल से यूजर को गंभीर परेशानी भी हो सकती है। रिवाइज्ड रूल के अनुसार ऐसी क्रीम ऑर्डिनैरी फेस क्लीनिंग के लिए इस्तेमाल नहीं की जा सकती हैं।

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स्किन को सुंदर करने और इन्फेक्शन दूर करने के नाम पर बड़ी फार्मा कंपनियां स्टेरॉयड बेस्ड क्रीम बनाती हैं। ये कारोबार करीब 3,000-4,000 करोड़ रुपए का है। कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जो एक ब्रांड से 500 करोड़ रुपए तक कमाती हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के फैसले से फार्मा कंपनियों को नुकसान होगा लेकिन आम लोगों के फायदे में सरकार ने ये एक्शन लिया है।

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स्टेरॉयड व एफडीसी वाले फेयरनेस क्रीम दवा की कटेगिरी में आते हैं, जिसके बावजूद ये मार्केट में बिना प्रिस्क्रिप्सन खुलेआम बिक रहे हैं। इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट, वेनरियोलॉजिस्ट एंड लैप्रोलॉजिस्ट ने काफी पहले डीजीसीआई व सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन से मांग की थी कि बिना प्रिस्क्रिप्सन ऐसे प्रोडक्ट की सेल बैन हो। ये प्रोडक्ट दवा की तरह हैं और बिना एक्सपर्ट की सलाह के इस्तेमाल नहीं हो सकते। इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट, वेनरियोलॉजिस्ट एंड लैप्रोलॉजिस्ट के अनुसार स्टेरॉयड वाली फेयरनेस क्रीम एक तरह से दवा है।

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