टिड्डियों से भारत में भी खाद्य सुरक्षा को खतरा, राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग

टिड्डियों के हमलों के चलते कई देशों में फसलों और पेड़-पौधों को भारी नुकसान हुआ है। भारत में आने वाले दिनों में टिड्डी दलों की संख्या और बढ़ सकती है। कोरोना काल में इसेेेे भी राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग उठी है, जानिए क्यों?

Arvind ShuklaArvind Shukla   9 July 2020 8:47 PM GMT

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टिड्डियों से भारत में भी खाद्य सुरक्षा को खतरा, राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग

कोरोना विस्फोट के बीच भारत में एक और प्राकृतिक संकट सुरसा की तरह मुंह फैलाता जा रहा है। पिछले 2 साल से टिड्डियों के हमलों का सामना कर रहे देश में खाद्य सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है क्योंकि जुलाई मध्य से लेकर अगस्त-सितंबर के बीच टिड्डियों के हमलें इससे कई गुना ज्यादा हो सकते हैं। अंतराष्ट्रीय संगठन संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संस्थान (FAO) ने अलर्ट घोषित किया है। वहीं भारत में कई राजनीतिक दल और किसान संगठन टिड्डी महामारी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर रहे हैं।

हनुमान बेनीवाल की मांग टिड्डी महामारी घोषित हो राष्ट्रीय आपदा

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने 10 जुलाई को सोशल मीडिया पर टिड्डी हमलों को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और किसानों हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए आंदोलन शुरू किया। नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल से इस मांग में ज्यादा से ज्यादा लोगों से जुड़ने की अपील की है। राजस्थान के कई नेता और किसान संगठन पहले से टिड्डी हमले को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर चुके हैं। कई राज्यों के किसान भी अपने खेतों से टिड्डी हमलों के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

भारत के अलावा दुनिया के कई देश इस वक्त टिड्डियों के हमलों की चपेट में हैं। भारत 26 साल बाद (साल 2018-19 की तुलना में कई गुना ज्यादा) इस तरह के हमलों का सामना कर रहा है तो पाकिस्तान 27 साल बाद, पूर्वी अफ्रीकी देश कीनिया 70 साल, सोमालिया 25 साल बाद इस ऐसे भीषण टिट्टी हमलों का सामना कर रहा है। दुनिया के सामने समस्या ये हैं कि अनुकूल मौसम के चलते टिड्डियों का प्रजनन काफी तेजी से होता है। और जलवायु परिवर्तन के इस दौर में ये मौसम (लगातार बारिश के चलते आद्रता) टिड्डियों के लिए अनुकूल है। अगर प्रजनन से पहले टिड्डी दलों को नियंत्रित नहीं किया गया तो इनकी संख्या 20 से 400 गुना तक ज्यादा हो सकती है यानि हालात कई गुना ज्यादा बदतर हों सकते हैं।

खाद्य एवं कृषि संगठन का अलर्ट

भारत की सीमा से सटे पाकिस्तान के कई इलाकों, ईरान और अफ्रीकी देशों में दोबारा टिड्डियां प्रजनन कर रही हैं। यही वजह कि खाद्य एवं कृषि संगठन ने भारत के लिए अलर्ट जारी किया है। तीन जुलाई को जारी टिड्डी स्टेटस अपडेट के अनुसार भारत पाक सीमा पर मॉनसून की बारिश से पहले पैदा हुए टिट्डी दल जो अब नेपाल तक पहुंच चुके हैं, वो अब मॉनसून के सीजन में वापस राजस्थान लौटेंगे और इसी दौरान ईरान और पाकिस्तान से वर्तमान समय में आ रहे टिड्डी दलों से मिल जाएंगे। इसी बीच 15-20 जुलाई के बाद अफ्रीका के हार्न से आ रहे रहे टिड्डी दलों से मिल जाएंगे। ऐसे में भारत-पाक सीमा जहां पहले से प्रजनन जारी है, उस इलाके में टिड्डियों के बच्चों की संख्या कई करोड़ गुना ज्यादा हो जाएगा, ये टिट्डी दल वयस्क होकर अगस्त-सितंबर में हमला करेंगे, ये वो समय होगा जब धान, गन्ना, मूंग, उदड़, कपास और सोयाबीन की फसल तैयार हो रही होगी।

एक टिट्डी दल खा जाता है 35,000 लोगों का खाना

एफएओ के अनुसार करीब 2 ग्राम का टिड्डा हर दिन अपने वजन के बराबर खाना खा सकता है। एक टिड्डी दल में 4 करोड तक टिड्डियां हो सकती है, यानि टिड्डियों का एक दल ही 35 हजार लोगों के लिए पर्याप्त खाने को खा सकता है। एक टिड्डी दल में 4 करोड़ से कई गुना ज्यादा टिड्डियां होती हैं, जो कई-कई किलीमीटर में भी फैली हो सकती हैं।

कीनिया समेत कई देशों में भुखमरी

टिड्डियों के झुंड फसल और पौधों (छोटे पौधे) देखते ही देखते चट कर जाते हैं, जिसके चलते पूर्वी अफ्रीका के कई देशों में खाद्य सुरक्षा का संकट खड़ा हो गया है। उड़ने में माहिर ये एक छोटा सा कीड़ा अपने करोड़ों अरबों साथियों के साथ मिलकर मनुष्यों की खाद्य फसलें और पशुओं के चरने की घास और पेड़ पौधों को खा चुके हैं। जिसके चलते कीनिया, युंगाड़ा और सोमालिया जैसे कई देशों में भुखमरी बढ़ सकती है। ये देश पहले से आर्थिक संकट और खाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

समस्या ये है कि पहले से कोरोना संकट का सामना कर रही दुनिया में ऐसी प्राकृतिक परिस्थियां बन रही हैं, जिससे टिड्डियों के झुंड को प्रजनन करने और अपनी संख्या बढ़ाने के ज्यादा अवसर मिल रहे हैं। जो इंसान और पशुओं के लिए खतरा बन हुए हैं। पाकिस्तान और सोमालिया में टिड्डी महामारी को राष्ट्रीय आपका घोषित कर दिया गया है। पाकिस्तान में कृषि विभाग के साथ आर्मी ने भी मोर्चा संभाल रखा है।

भारत के लिए चिंता की बात ये है कि लॉकडाउन और कोरोना के दौरान तमाम मुश्किलों के बीच किसानों के फसलों का अच्छा उत्पादन किया और कृषि की रफ्तार थमी नहीं लेकिन जिस तरह से सोमालिया, कीनिया के हालात है, भारत में कृषि को करारा झटका लग सकता है। ट्डिडियों के बड़ों हमलों की चेतावनी ऐसे समय में जब भारत का ज्यादा कृषि क्षेत्र फसलों से हरा-भरा होगा। मानसून के दौरान भारत में उन इलाकों में भी खेती होती है जहां सिंचाई लिए बारिश ही एक माध्यम है।

खरीफ की फसलों पर आ सकता है संकट

आठ जुलाई को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ट्वीट किया, " लॉकडाउन के समय में भी कृषि का क्षेत्र और ताकतवर बनकर उभरा है। रबी की फसल इस बार 152 मीट्रिक टन पैदावार हुई है, जो गत वर्ष 144 मीट्रिक टन थी। जबकि खरीफ की फसल की बुवाई में 88% की वृद्धि हुई है, इस बार 432.97 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है, जो गत वर्ष 230.03 लाख हेक्टेयर थी।" लॉकडाउन के दौरान सरकारों ने लोगों से कहा कि वो चिंता न करें उनके पास अगले एक साल के लिए पर्याप्त अनाज है। इसलिए दीवाली तक गरीबों को मुफ्त और आंशिक दरों राशन देने का ऐलान किया गया है, क्योंकि देश में अनाज के गोदाम भरे हैं। लेकिन अगर कीनिया या सोमालिया की तरह टिड्डियों के हमला किया तो हालात बिगड़ सकते हैं।

भारत में 30 जून से हेलीकॉप्टर के जरिए राजस्थान के जोधपुर और जैसलमेर समेत प्रभावित इलाकों में टिट्टी दलों को खत्म करने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव कराया जा रहा है। इसके साथ ही भारत दुनिया का वो पहला देश बन गया है जहां ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत के कृषि मंत्रालय के अनुसार 6 जुलाई तक 12 ड्रोन के साथ पांच कंपनियों को तैनात किया गया है।

पहली बार ड्रोन और हेलीकॉप्टर की मदद से टिड्डी दलों पर छिड़काव

पिछले दिनों हेलीकॉप्टरों को झंड़ी दिखाते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि 26 साल भारत में इस तरह का टिड्डी हमला हुआ है, केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर नियंत्रण का काम कर रही है। ड्रोन और हेलीकॉप्टर का प्रयोग किया जा रहा है। विदेशों से विशेष मशीनें मंगवाई गई हैं।"

राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, छत्तीसगढ़ समेत देश के 10 राज्यों के 100 से ज्यादा जिले टिड्डियों की चपेट में हैं। उत्तर प्रदेश में झांसी,महोबा समेत कई जिले ज्याया प्रभावित हैं तो टिड्डियों के दल दिल्ली और गुरुग्राम पहुंच कर राष्ट्रीय सुखियां बटोर चुके हैं।

एसोसिएट प्रेस ऑफ पाकिस्तान के अऩुसार पाकिस्तान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मंत्रालय, प्रांतीय कृषि विभागों और सेना की संयुक्त टीमें देश के 32 जिलों में झुंड़ों को नष्ट करने में लगी हैं। और अब तक 400,504.7 वर्ग किलोमीटर (90.89) मिलियन एकड़ जमीन का सर्वेक्षण किया गया था। पाकिस्तान में ये काम नेशनल लोकस्ट कंट्रोल सेंटर की अगुवाई हो रहा है।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार 70 वर्षों में पहली बार इस तरह के संकट का सामना कर रहे अफ्रीकी देश कीनिया में भुखमरी के हालात हो सकते हैं। डॉक्यूमेंट्री में कई लोग कह रहे हैं कि टिड्डियों ने उनकी फसलों और पशुओं के चारे और पेड़ पौधों को खत्म कर दिया है इसलिए वो लोग शायद भूखों मर जाएं।


भारत के लिए जरूरी है कि पाकिस्तान और ईरान में संभले हालात

टिडड्यां रेगिस्तान में अंडे देती हैं। पाकिस्तान के जिस सीमा क्षेत्र में टिड्डी दल सबसे ज्यादा प्रजनन कर रहे हैं वो भारत से सटा है। ऐसे में पाकिस्तान में उनका दोबारा प्रजनन रोका जाना और बढ़ती संख्या पर काबू पाना आवश्यक है। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री और राजस्थान में बाडमेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद कैलास चौधरी पाकिस्तान पर जानबूझ कर टिड्डी दलों पर नियंत्रण न करने के आरोप लगाते रहे हैं।

पाकिस्तान के अलावा ईरान के ईरान में पनप रहे टिड्डियों दलों का मारा जाना भी भारत के लिए आवश्यक है। भारत ने ईरान टिड्डी नियंत्रण के लिए अपनी तरफ से 25 मीट्रिक टन मैलाथियान (95फीसदी यूएलवी) भेजा है।

कई देश मिलकर लड़ रहे जंग, भारत में आजादी के पहले बना था टिड्डी नियंत्रण कार्यक्रम

टिड्डियों से निपटने के लिए भारत ही नहीं दुनिया के कई देश आपस में मिलकर लड़ाई लड़ रहे हैं। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार भारत, पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान की रेगिस्तानी टिड्डियों को लेकर लगातार इंटरनेट के जरिए बैठकें हो रही हैं। खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) साप्तहिक बैठकें कर रहा है।

टिड्डियों से निपटने के लिए भारत टिड्डी नियंत्रण कार्यक्रम विश्व में सबसे पुराना है। आजादी के पहले ही अंग्रेजी सरकार ने साल 1926 और 1931 में टिड्डियों के हमलों को देखते हुए कराची में साल 1939 में टिड्डी चेतावनी संगठन (LDWU) की स्थापना की थी।

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