खुशखबरी : देश के वनक्षेत्र में 8 हजार वर्ग किमी का इजाफा 

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   13 Feb 2018 5:53 PM GMT

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खुशखबरी : देश के वनक्षेत्र में 8 हजार वर्ग किमी का इजाफा वन विभाग के महरौनी स्थित क्षेत्र में पौधरोपण के लिए लगाई गई नर्सरी।

नयी दिल्ली (भाषा)। वन क्षेत्र के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष दस देशों में है, ऐसा तब है जबकि बाकी नौ देशों में जनसंख्‍या घनत्‍व 150 व्‍यक्‍ति/वर्ग किलोमीटर है और भारत में यह 382 व्‍यक्‍ति/वर्ग किलोमीटर है। भारत के भू-भाग का 24.4 प्रतिशत हिस्‍सा वनों और पेड़ों से घिरा है, हालांकि यह विश्‍व के कुल भूभाग का केवल 2.4 प्रतिशत हिस्‍सा है ओर इनपर 17 प्रतिशत मनुष्‍यों की आबादी और मवेशियों की 18 प्रतिशत संख्‍या की जरूरतों को पूरा करने का दवाब है।

केन्‍द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने ‘भारत वन स्‍थिति रिपोर्ट 2017’पेश करने के बाद बताया कि पिछले दो वर्षों में देश का वनक्षेत्र 8021 वर्ग किमी बढ़ गया है। हालांकि, सर्वाधिक वन क्षेत्र वाले पूर्वोत्तर के पांच राज्यों में वन क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई है।

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भारत में वनों की स्थिति को लेकर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मामलों के मंत्रालय की जारी रिपोर्ट के अनुसार देश के वन एवं वृक्षावरण के दायरे में 1.14 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। यह रिपोर्ट प्रत्येक दो साल में एक बार जारी होती है।

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डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा ने वनक्षेत्र में बढ़ोतरी को केन्द्र सरकार की पर्यावरण हितैषी विकास नीति का परिणाम बताया। रिपोर्ट के अनुसार साल 2015 की तुलना में भारत का वन एवं वृक्षावरण क्षेत्र बढ़कर लगभग 8 लाख वर्ग किमी हो गया है। यह देश के कुल क्षेत्रफल का 24.39 प्रतिशत है। इसके मुताबिक देश में कुल वनक्षेत्र 708273 वर्ग किमी और वृक्षावरण क्षेत्र 93815 वर्ग किमी है।

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प्रत्येक दो साल में जारी होने वाली रिपोर्ट के मुताबिक क्षेत्रफल के लिहाज से मध्य प्रदेश सर्वाधिक (77414 वर्ग किमी) वनक्षेत्र वाला राज्य है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश 66964 वर्ग किमी वनक्षेत्र के साथ दूसरे स्थान पर और 55547 वर्ग किमी वनक्षेत्र के साथ छत्तीसगढ़ तीसरे स्थान पर है। वहीं वनक्षेत्र के घनत्व के लिहाज लक्षदीप पहले स्थान पर है। राज्य का 90.33 प्रतिशत क्षेत्रफल वनाच्छादित है, जबकि दूसरे स्थान पर मिजोरम में 86.27 प्रतिशत और अंडमान निकोबार द्वीप समूह का 81.73 प्रतिशत इलाका वनाच्छादित है।

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रिपोर्ट जारी करते हुए डा. हर्षवर्धन ने कहा कि भारत ने पर्यावरण संरक्षण संबंधी पेरिस समझौते के तहत देश का वनक्षेत्र 33 प्रतिशत तक ले जाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों में पर्यावरण संरक्षण और विकास कार्यों के बीच संतुलन कायम करने की नीति को प्रभावी तौर पर लागू करने के कारण रिपोर्ट के उत्साहवर्द्धक परिणामों के आधार पर भारत अपने 33 प्रतिशत वनक्षेत्र के लक्ष्य में इजाफा करने की स्थिति में आ गया है।

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डा. हर्षवर्धन ने कहा कि वनक्षेत्र में जो बढ़ोतरी हुई है उसमें ज्यादातर हिस्सा सघन वन क्षेत्र की श्रेणी में है। सघन वनक्षेत्र पर्यावरण में मौजूद सर्वाधिक कार्बन डाई ऑक्साइड का अवशोषण करते हैं, इसलिए वनक्षेत्र की ताजा बढ़ोतरी विशेष तौर पर उल्लेखनीय है।

इस सर्वेक्षण के लिए देशभर में 18000 स्थानों को शामिल किया गया था। भारत में विश्व की 17 प्रतिशत आबादी और 18 प्रतिशत पशुधन की उपलब्धता के बावजूद देश के 24.4 प्रतिशत क्षेत्रफल पर वनक्षेत्र की मौजूदगी महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

डा. हर्षवर्धन ने कहा कि सर्वाधिक वनक्षेत्र वाले शीर्ष नौ देशों का जनसंख्या घनत्व लगभग 150 है जबकि 382 जनसंख्या घनत्व के साथ भारत का दसवें पायदान पर रहना, बड़ी उपलब्धि है। कुल वन एवं वृक्षावरण क्षेत्र 802088 वर्ग किमी के साथ भारत विश्व में दसवें स्थान पर आ गया है।

आंध्र प्रदेश के वनक्षेत्र में सर्वाधिक इजाफा

रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो वर्षों में आंध्र प्रदेश के वनक्षेत्र में सर्वाधिक 2141 वर्ग किमी का इजाफा हुआ है। इसके बाद कर्नाटक (1101 वर्ग किमी), केरल (1043 वर्ग किमी), ओडिशा (885 वर्ग किमी) और तेलंगाना (565 वर्ग किमी) वन क्षेत्र बढ़ाने वाले पांच शीर्ष राज्य हैं।

पूर्वोत्तर राज्यों के वनक्षेत्र में कमी

हालांकि सर्वाधिक वनाच्छादित पूर्वोत्तर राज्यों के वनक्षेत्र में कमी आई है। वन एवं वनावरण क्षेत्र में कमी आने वाले पांच राज्यों में मिजोरम (531 वर्ग किमी), नगालैंड (450 वर्ग किमी), अरुणाचल प्रदेश (190 वर्ग किमी), त्रिपुरा (164 वर्ग किमी) और मेघालय (116 वर्ग किमी) शामिल हैं।

इसकी वजह के बारे में डा. हर्षवर्धन ने बताया कि इन राज्यों में हालांकि वनक्षेत्र पहले से ही 70 प्रतिशत से ज्यादा है लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में झूम खेती के प्रचलन में बढ़ोतरी, विकासकार्य, चक्रीय कटान, वनभूमि की श्रेणी में बदलाव, वनावरण क्षेत्र की जलमग्नता, प्राकृतिक आपदायें और कृषि क्षेत्र में विस्तार प्रमुख कारण हैं।

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भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2017 का दायरा इस साल 589 जिलों से बढ़ाकर 633 जिलों तक किया गया है।

जलाशयों के क्षेत्रफल में इजाफा

रिपोर्ट में पहली बार वनक्षेत्रों में जलाशयों की स्थिति और राज्यों के स्तर पर वनों में कार्बन भंडार के आकलन को भी शामिल किया गया। रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक में भारत के वनक्षेत्रों में जलाशयों के क्षेत्रफल में 2647 वर्ग किमी का इजाफा हुआ है। इस मामले में महाराष्ट्र 432 वर्ग किमी वृद्धि के साथ अव्वल रहा है जबकि गुजरात (428 वर्ग किमी) और मध्य प्रदेश (389 वर्ग किमी) दूसरे एवं तीसरे स्थान पर हैं।

मेंग्रोव क्षेत्र के विस्तार में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गुजरात शीर्ष राज्य

इसी प्रकार समुद्र तटीय वनक्षेत्र (मेंग्रोव) के क्षेत्र में 181 वर्ग किमी की बढ़ोतरी हुई है। मेंग्रोव क्षेत्र के विस्तार में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गुजरात शीर्ष राज्य रहे। देश के कुल वनक्षेत्र में 1.56 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्रफल बांस आच्छादित रहा। इस मामले में साल 2011 की तुलना में 17.3 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। इस कारण उत्पादित बांस के भंडारण में 1.9 करोड़ टन की वृद्धि दर्ज की गई।

इनपुट पीआईबी

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