ताजमहल किसका ? वक़्फ बोर्ड ने कहा, शाहजहां ने किया था ‘दान’, सुप्रीम कोर्ट ने कहा दिखाओ दस्तावेज
गाँव कनेक्शन 11 April 2018 5:01 PM GMT
नई दिल्ली। ताजमहल को लेकर एक मामले में सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने वक्फ़ बोर्ड पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि देश में कौन विश्वास करेगा कि ताजमहल वक्फ़ बोर्ड की संपत्ति है। इस तरफ के मामलों से सुप्रीम कोर्ट का समय नहीं जाया करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ये टिप्पणी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने 2005 के उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दी। बोर्ड ने ताजमहल को वक़फ बोर्ड की संपत्ति घोषित कर दिया था।
मामले की सुनवाई करते हए कोर्ट ने कहा कि मुगलकाल का अंत होने के साथ ही ताजमहल समेत अन्य ऐतिहासिक इमारतें अंग्रेजों को हस्तांतरित हो गई थीं। आजादी के बाद से ये सरकार के पास हैं। और एएसआई उनकी देखभाल कर रहा है। अब इस पर कौन भरोसा करेगा ये ताजमहल जैसी संपत्ति वक़्फ बोर्ड की है।
बोर्ड की ओर से कहा गया था कि बोर्ड के पक्ष में शाहजहां ने ही ताजमहल का वक्फ़नामा तैयार करवाया था। इस बेंच ने कहा कि आप हमें शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज दिखा दें। बोर्ड के आग्रह पर कोर्ट ने उन्हें एक हफ्ते की मोहलत दी है।
सुन्नी वक़्फ बोर्ड ने आदेश जारी कर ताजमहल को अपनी पॉपर्टी के तौर पर रजिस्टर करने को कहा था , भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसके खिलाफ सुप्रीट कोर्ट में अपील की थी, इस पर कोर्ट ने बोर्ड के फैसले पर स्टे लगा दिया था। इस मामले में मोहम्मद इरफान बेदार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दाखिलकर ताजमहल को उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित करने की मांग की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें बोर्ड जाने को कहा था।
1998 में मोहम्मद इरफान बेदार वक्फ बोर्ड के समक्ष याचिका दाखिल कर ताजमहल को बोर्ड की संपत्ति घोषित करने की मांग की थी, बोर्ड ने इस मामले में एएसआई को नोटिस भी जारी किया था। एएसआई ने इसका पूरा विरोध करते हुए कहा था कि ताजमहल उनकी संपत्ति है, लेकिन बोर्ड ने एएसआई की दलीलों को दरकिनार कर ताज महल को बोर्ड की संपत्ति घोषित कर दिया था। जिसके खिलाफ एएसआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।
कमाई में नंबर एक है ताजमहल
ताजमहल भारत में सभी पर्यटन स्थलों में कमाई का सबसे बड़ा श्रोत है। पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार के हाथ में देश में मौजूद 116 स्मारकों का सरंक्षण है, जहां जाने के लिए प्रवेश शुल्क देना होता है। अगर हम सिर्फ साल 2015-2016 में आंकड़ों पर गौर करें तो सभी स्मारकों से भारत सरकार को कुल 93.95 करोड़ रुपए की कमाई हुई, इसमें से सिर्फ ताजमहल ने ही पर्यटकों के जरिए 17.88 करोड़ रुपए की कमाई की, यानि सभी स्मारकों का 19 प्रतिशत कमाई का श्रोत केवल ताजमहल से मिला।
देश में स्मारकों से प्रवेश शुल्क से कमाई की बात करें तो तीन सालों से ताजमहल पर्यटकों के बीच सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रहा है। साल 2014 में भारत में घूमने आने वाले विदेशी पर्यटकों में से 23 पर्यटक सिर्फ ताजमहल घूमने ही भारत आते हैं। अगर इन तीन वर्षों में ताजमहल से कमाई की बात करें तो वर्ष 2013-14 में सभी संरक्षित स्मारकों की कुल आय में से 22.5 प्रतिशत यानि 22 करोड़ रुपये की आय ताजमहल से हुई थी। वर्ष 2014-15 में इससे 23 प्रतिशत यानि 21 करोड़ रुपये और 2015-16 में 18.88 करोड़ रुपये यानि 19 प्रतिशत आय ताजमहल से हुई।
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