शोरूम में आपने कभी मोलभाव किया क्या? नहीं ना.. फिर दीए वाले से क्यों?

लखनऊ के मिठाई वाले चौराहे से लेकर मनोज पांडे चौराहे और पत्रकार पुरम चौराहे तक मिट्टी के दीयों की दुकानें सजी हैं। इन दीयों को बेचने वाले लखनऊ के आस पास के कस्‍बों और गांव से हैं।

Ranvijay SinghRanvijay Singh   5 Nov 2018 2:53 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo

लखनऊ। दीपावली के करीब आते ही इसे लेकर तैयारी शुरू हो गई है। लखनऊ के बाजारों में भी दिवाली की रौनक देखने को मिल रही है। बाजार रंग बिरंगे मिट्टी के दीयों से सजे नजर आ रहे हैं। अब दीए बेचने वालों को बस खरीदारों का इंतजार है। मल्‍हौर से गोमती नगर में दीए लेकर आईं सुरैया बानों कहती हैं, ''अभी उस हिसाब की बिक्री नहीं है। लोग आते हैं तो डिस्‍काउंट मांगते हैं। मिट्टी के बरतन में कहां से डिस्‍काउंट कर दें। 100 रुपए की चीज 50 रुपए में मांगते हैं।'' सुरैया आवाज में खलिश लिए कहती हैं, ''अब त्‍योहारों में उतनी रौनक नहीं रहती।''

बाजार मेें रंग बिरंगे डिजाइनर दीए मिल रहे हैैं।

लखनऊ के मिठाई वाले चौराहे से लेकर मनोज पांडे चौराहे और पत्रकार पुरम चौराहे तक मिट्टी के दीयों की दुकानें सजी हैं। इन दीयों को बेचने वाले लखनऊ के आस पास के कस्‍बों और गांव से हैं। दिवाली पर अच्‍छी कमाई के लिए ये सब अपने बनाए दीयों को लखनऊ लेकर आए हैं। सुरैया आगे कहती हैं, ''फिलहाल ग्राहक नहीं आ रहे। चाइना वाला जबसे चल गया है इसकी दुकानदारी कम हो गई है। बस तीन दिन की दुकानदारी होती है। तीन दिन में ये सब उठ जाए तो ठीक है।'' हालांकि सुरैया उम्‍मीद जताती हैं कि धनतेरस के बाद अच्‍छी बिक्री होगी।

''इतनी मेहतन और लागत के बाद सिर्फ 7 से 8 हजार मिलेगा। यही दिवाली की कमाई है।'' - सुरैया

गोमती नगर के मिठाई वाले चौराहे के पास ही बछरावां के रहने वाले राजू ने भी अपनी दीये की दुकान सजाई है। उनके पास दिल वाले दीये, साधारण दीये, स्‍टैंड वाले दीये, एक ही में 5 दीये-7 दीये जैसी वैरायटी हैं। राजू कहते हैं, ''इस दिवाली में अच्‍छी कमाई की उम्‍मीद है। धनतेरस से दीये बिकने तेज होंगे। इस बार 10 हजार तक कमाई हो जाएगी।'' राजू की बाजार में 3 दुकानें लगी हैं। उनके परिवार के लोग भी उनके साथ यहां आए हैं। सभी मिल कर दीयों को बेचने में जुटे हैं। चाइनीज लाइट पर राजू कहते हैं, ''उससे क्‍या फर्क पड़ेगा, लोग दीये ले जाएंगे। बिना दीयों के दिवाली थोड़ी न होती है।''

मिठाई वाले चौराहे पर ही चिनहट के मोहम्‍मद अयान ने अपनी दुकान सजाई है। अयान बताते हैं, ''पूरे साल हम गमले बेचते हैं। अभी दिवाली है तो दीये बेच रहे हैं। ये तीन-चार दिन का बाजार है, लेकिन इससे अच्‍छी कमाई की उम्‍मीद रहती है।'' अयान बताते हैं, ''लोग दिवाली में सजावट का सामान भी ले जाते हैं। इस लिए चीनी मिट्टी की मूर्तियां भी तैयार की हैं। लोग इसे पसंद कर रहे हैं।''

अपनी दुकान के सामने ग्राहकों के इंतजार में मोहम्‍मद अयान।

बाजार में दीयों के दाम पूछ रहे विनय कुमार कहते हैं, ''दीए लेने हैं इस लिए पहले मोल भाव कर रहा हूं। यहां कई दुकानें हैं, लेकिन सबके दाम एक जैसे हैं। साधारण दीयों की कीमत 70 से 80 रुपए सैकड़ा है, जबकि नक्काशी वाले दीए 150 से 300 रुपए सैकड़े में मिल रहे हैं।'' विनय कहते हैं, दिवाली तो परंपरागत दीयों से ही मनाई जानी चाहिए। इसके बिना दिवाली का मतलब नहीं रहता।''

   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.