प्रकृति को खूबसूरत बनाने वाले बदसूरत पक्षियों की मौत का मंजर  

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   27 Feb 2018 4:58 PM GMT

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प्रकृति को खूबसूरत बनाने वाले बदसूरत पक्षियों की मौत का मंजर  मोज़ाम्बिक के मुबासेन इलाके में गिद्धों की लाशों का ढेर है। 

यह जो ढेर है इसे आप पहचान रहे हैं कि नहीं। यह पक्षी बदसूरत जरूर है पर हमारे ईको सिस्टम के लिए बेहद जरूरी है। जी, इसे गिद्ध कहते हैं। इन्हें प्रकृति का सफाईकर्मी माना जाता है। पर दिक्कत यह पैदा हो रही है कि गिद्ध विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके हैं। गिद्धों की लगभग 99 फीसदी आबादी खत्म हो चुकी है। पिछले काफी समय से इनके संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं।

पर्यावरण रक्षक के नाम से प्रसिद्ध गिद्ध प्रजाति संरक्षण के अभाव में भारत देश से खत्म होने की कगार पर खड़ी है। एक अनुमान के मुताबिक 40 साल पहले भारत में लगभग चार करोड़ गिद्ध थे जो अब चार लाख भी नहीं बचे हैं।

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गिद्ध के खत्मे में प्रतिबंधित दवा डाइक्लोफेनेक की अहम भूमिका रही है। मवेशियों में बुखार, सूजन और दर्द कम करने के लिए डाइक्लोफेनेक दवाई प्रयोग किया जाता है। यह एक दर्द निवारक दवा है। जिससे मवेशियों को काफी राहत मिलती है। पर इन्हीं मवेशियों के मर जाने पर जब गिद्ध इनके शव को खाते हैं तो गिद्धों के शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है और जो उनकी किडनी पर असर डालती है। जिससे किडनी में गाउट नामक रोग हो जाता है और गिद्धों की मृत्यु हो जाती है।

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डाइक्लोफेनेक पर वर्ष 2006 में पूरे देश में बैन कर दिया था।

संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण संरक्षण रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में गिद्ध की जिन 10 प्रजातियों के अस्तित्व पर खतरा है उसमें तीन भारतीय प्रजातियां है।

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उत्तर प्रदेश में नौ प्रजातियों में से तीन प्रमुख प्रजातियां लांग बिल्ड वल्चर यानि सफेद चोंच वाले गिद्ध, व्हाइट बैक्ड वल्चर यानि सफेद चोंच वाले गिद्ध और राज गिद्ध विलुप्त होने की कगार पर हैं। उत्तर प्रदेश वन विभाग की गणना 2012 के अनुसार उत्तर प्रदेश में 2070 गिद्ध पाए गए थे। आज उत्तर प्रदेश में मात्र 1350 गिद्ध ही बचे हैं। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर और ललितपुर जिले में वल्चर रेस्टोरेंट खोलने की घोषणा प्रदेश सरकार के वन विभाग की तरफ से साल 2012 में की गई थी।

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एक जानकारी यह कि भारत में पारसी धर्म (पारसी समुदाय) के अनुयायी अपने मृत शवों के निराकरण के लिए परंपरागत रूप से गिद्धों पर निर्भर करते हैं। गिद्धों की संख्या में आई इस तेज़ गिरावट के बाद सरकार गिद्धों की संख्या बढ़ाने के कई उपाए कर कर रही है।

पर अब इस फोटो के बारे में आप जानें, मोज़ाम्बिक के मुबासेन इलाके में गिद्धों की लाशों का ढेर है।पक्षी संरक्षणवादियों ने बताया कि करीब 87 लुप्तप्राय गिद्धों ने एक हाथी के शव को खाया जिसके बाद वो सभी मौत के शिकार हो गए। यह तस्वीर वाइल्डलाइफ ट्रस्ट के जरिए उपलब्ध हुई है।

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