लोकसभा में बांध सुरक्षा विधेयक पर हुई चर्चा, जल शक्ति मंत्री ने कहा- राष्‍ट्रीय स्‍तर पर हो बांध सुरक्षा

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लोकसभा में बांध सुरक्षा विधेयक पर हुई चर्चा, जल शक्ति मंत्री ने कहा- राष्‍ट्रीय स्‍तर पर हो बांध सुरक्षा

लोकसभा सदस्‍यों ने शुक्रवार को बांध सुरक्षा विधेयक पर चर्चा की गई। इस दौरान जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सदन में चर्चा की। उन्‍होंने कहा कि बांधों के लिहाज से दुनिया के तीसरे सबसे बड़े देश भारत में 20 फीसद बांध 50-100 साल पुराने हैं और इनकी सुरक्षा वैश्विक प्रतिष्‍ठा से जुड़ी है इसलिए राष्‍ट्रीय स्‍तर पर बांध सुरक्षा की व्‍यवस्‍था आवश्‍यक है।

राष्ट्रीय बांध सुरक्षा बिल पर बोलते हुए मंत्री गजेंद्र शेखावत ने कहा कि एक समिति के जरिए सभी बांधों की सुरक्षा की नीति बनाई जाएगी। राज्य स्तर पर राज्यों की कमेटी और बांध सुरक्षा संगठन इस काम को करेंगे। उन्होंने कहा कि राज्यों में परिचालन संबंधित विषयों का अध्ययन भी इस समिति की जिम्मेदारी होगी। बांध का टूटना और उससे कई इलाकों पर खतरा पैदा होता है।

इससे जान माल का भारी नुकसान होता है और यही कारण है कि हम बांधों की सुरक्षा के लिए यह बिल लेकर आए हैं। बांध के ऑपरेशन और निर्माण में भी कई खामियां होती हैं, इन सभी बिन्दुओं का निवारण भी इस बिल के जरिए किया जाएगा। बांधों पर केंद्र अपना अधिकार नहीं रखेगा बल्कि उसका पानी और बनने वाली बिजली राज्यों को ही मिलेगी, लेकिन सरकार का लक्ष्य उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

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लोकसभा में बांध सुरक्षा बिल पर चर्चा के दौरान टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि पानी एक ऐसा मुद्दा है जिसपर हर राज्य अपना अधिकार चाहता है। लेकिन इस बिल में राज्यों से अधिकार छीने जा रहे हैं, केंद्र अगर बांधों की सुरक्षा के लिए गंभीर है तो राज्यों की सहमति से वह ऐसा कर सकता है लेकिन इसके लिए कोई निर्देश नहीं जारी किए जा सकते।

मोइत्रा ने कहा कि केंद्र से राज्यों को मिलने वाले फंड पर यह बिल कुछ नहीं कहता है। राज्यों का बांध सुरक्षा समिति और संगठन के गठन में पैसा खर्च होगा वह कहां से आएगा और जब राज्य पैसा लगाएंगे को केंद्र की दखल क्यों बर्दाश्त करेंगे। साथ ही समिति के सदस्यों में भी राज्यों को मुनासिब प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। समिति के सभी फैसले केंद्र की मर्जी से लिए जाएंगे क्योंकि राज्यों की भागीदारी कम है।

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि एक ओर सरकार बांधों की सुरक्षा की बात करती है लेकिन दूसरी ओर राज्यों से इस विषय पर कोई राय नहीं ली जाती है। उन्होंने कहा कि इस बारे में राज्यों को भरोसे में लिया जाना चाहिए था। चौधरी ने कहा कि बिल के कई प्रावधानों की भाषा से लग रहा है कि केंद्र राज्यों के अधिकारों को छीन रहा है। बिल में केंद्र के पास राज्यों की बांध सुरक्षा समिति के अधिकार नोटिफिकेशन के जरिए लेने का प्रावधान भी शामिल है जिससे राज्यों में भय का माहौल है। बांधों से जो परिवार प्रभावित हुए हैं क्या उनके लिए पुनर्वास और मुआवजे का प्रावधान भी इस बिल में है, सरकार को इसका जवाब देना चाहिए।

वहीं अमरावती से निर्दलीय विधायक नवनीत राणा ने कहा कि ब्रह्मसति बांध सालों से लंबित पड़ा है जिस पर जल्द काम शुरू हो तो हजारों किसानों के खेत में पानी पहुंचाया जा सकता है।

   

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