रिक्शे वाले के 6 साल के बेटे की प्रतिभा के कायल हुए डीएम, फेसबुक पर बताया ‘जादू की पुडि़या’

Arvind ShuklaArvind Shukla   21 April 2018 11:18 AM GMT

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रिक्शे वाले के 6 साल के बेटे की प्रतिभा के कायल हुए डीएम, फेसबुक पर बताया ‘जादू की पुडि़या’डीएम हरदोई की फेसबुक पोस्ट और उनके कदम की लोग कर रहे सराहना।

#civilservicesday पर गांव कनेक्शन उन अधिकारियों की कहानियां आपको पढ़ा रहा है, जिन्होंने कुछ हटकर काम किया, जो उदाहरण हैं तमाम अधिकारियों के लिए, ऐसे ही एक अधिकारी हैं हरदोई के जिलाधिका

लखनऊ। कहते हैं हीरे की परख जौहरी जानता है। ऐसा ही एक हीरा एक रिक्शे वाले के घर में था, लेकिन गरीबी इतनी ज्यादा थी कि उसकी चमक फीकी पड़ती जा रही थी, लेकिन उसे भी जौहरी मिला था, जिसने वाला किया है कि वो इस हीरे की रंगत को बढ़ने में मदद करेगा।

हम बात कर रहे हैं, उत्तर प्रदेश में हरदोई जिले में रहने वाले 6 साल के भानु की। भानु के पिता रिक्शा चालते हैं, वो खुद को ज्यादा नहीं पढ़ पाए लेकिन चाहते थे उनका प्रतिभावान बच्चा खूब पढ़े। इसी उम्मीद के साथ वो अपने बच्चे को हरदोई से जिलाधिकारी पुलकित खरे ने अब इस बच्चे की पढाई, लिखाई का जिम्मा लिया है। डीएम से बच्चे की मुलाकात कैसे हुई और कैसे वो इस बच्चे के हुनर के कायल हो गए, उन्होंने फेसबुक अपनी और इस बच्चे के साथ मुलाकात और उसके हुनर की तारीफ करी।

जिलाधिकारी ने डीएम हरदोई के पेज पर लिखा, “कुछ दिन मेरे खाते में भी ऐसे होते हैं,जब सर्विस की कुछ मजबूरियाँ परेशान करती हैं,हैरान करती हैं और घुटन की कगार पर ले जाती हैं। कल कुछ ऐसे ही पल थे......पर..... आज फिर कुछ ऐसा हुआ। माननीय गवर्नर महोदय के कार्यक्रम से थका जब मैं लौटा,तो एक प्रधान जी ने 2 मिनट के समय की मांग की,किसी से मिलवाना चाहते थे वो,व्यस्तता के कारण उन्हें शाम को आने को कहा। जिद्दी प्रधान जी आ भी पहुँचे शाम को,कुछ झुंझलाहट से उसे दिन भर की थकान के बाद भी बुलाया।क्या पता था कि वो मेरे कार्यकाल की अब तक की सबसे मीठी मुलाक़ात करायेंगे।”

जिलाधिकारी ने आगे अपनी पोस्ट में उस बच्चे को जादू की पुड़िया कहा और उसकी ज्ञान की तारीफ की। डीएम की इस पहल की लोग खूब तारीफ कर रहे हैं। लोग शेयर कर इसे एक अधिकारी का सार्थक और समाज के लिए उदाहरण बता रहे हैं।

जिलाधिकारी ने बच्चे से मिलाने वाले प्रधान को शुक्रिया कहा है । ईश्वर और अपनी सर्विस को भी शुक्रिया कहा जिसके चलते वो दूसरों की उम्मीदों को पूरा कर पा रहे हैं।

भानु के साथ हरदोई के डीएम।

पढ़िए जिलाधिकारी की पूरी पोस्ट जो डीएम हरदोई के पेज पर शेयर की गई है

“कुछ दिन मेरे खाते में भी ऐसे होते हैं,जब सर्विस की कुछ मजबूरियाँ परेशान करती हैं,हैरान करती हैं और घुटन की कगार पर ले जाती हैं। कल कुछ ऐसे ही पल थे......पर..... आज फिर कुछ ऐसा हुआ…....

माननीय गवर्नर महोदय के कार्यक्रम से थका जब मैं लौटा,तो एक प्रधान जी ने 2 मिनट के समय की मांग की,किसी से मिलवाना चाहते थे वो,व्यस्तता के कारण उन्हें शाम को आने को कहा। जिद्दी प्रधान जी आ भी पहुँचे शाम को,कुछ झुंझलाहट से उसे दिन भर की थकान के बाद भी बुलाया।क्या पता था कि वो मेरे कार्यकाल की अब तक की सबसे मीठी मुलाक़ात करायेंगे....

6 साल का वो बच्चा,कुछ डरा,कुछ सहमा,अपने पिता की उंगली थामे,प्रधान जी के साथ ऑफिस में मेरे पहुंचा। जब उसके पिताजी रिक्शा चलाने जाते हैं तो वो सरकारी प्राथमिक पाठशाला में शिक्षा के पहिये बढ़ाता है। 6 साल की जादू की पुड़िया ने फिर दिखाया ऐसा धमाल,दंग था मैं देखकर पहाड़ों(Tables) का अद्भुत कमाल। मैं पूछता गया,वो सुनाता गया। देखते-देखते उसने सुनाकर लिख डाले 13,17,23,27,33,37 के पहाड़े,बिना रुके,बिना सोचे।

फिर गिनतियाँ और ABCD, एक बच्चा जो कभी अपने गाँव से बाहर नहीं गया। ललक दिखी शिक्षा की उसकी आँखों में, एक आस दिखी,तोड़ नहीं सकता जिसे। सलाम है उन प्रधान जी को,जो जरिया बने। सलाम है उस पिता को,जो स्वयं दूसरी तक पढ़ा है,पर बच्चे को रोज पढ़ाता है,उस लौ को रोज़ जलाता है। आज गवर्नर, दो MLA,दो बड़े अधिकारीयों से मुलाकात हुयी, कुछ बात हुयी,क्या बात हुयी,शायद भूल जाऊं कुछ महीनों में। पर भानू से ये मुलाकात,है ईश्वर की सौगात। अब भानू की शिक्षा की ज़िम्मेदारी लेने का ठाना है, ईश्वर भानू और मुझे शक्ति दे। हाँ, खराब दिन जरूर आते हैं,पर इस सर्विस के कारण उम्मीदों को सहारा दे पाने का जरिया बनना,उसकी इनायत नहीं तो और क्या है.....इतनी शक्ति हमें देना दाता.....

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पुलकित खरे की गिनती तेज तर्रार अधिकारियों में होती है। उनके बच्चों की सेहत को लेकर किए गए प्रयासों की भी काफी सराहना हुई थी। 2010 बैच के आईएएस अधिकारी पुलिकत खरे को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पद पर रहने के दौरान उन्होंने शिकायत निवारण सॉफ्टवेयर व्योम तैयार किया था, जिससे शिकायतों की मॉनिटरिंग आसानी से हो सकती थी।

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