'गुजरात को बदनाम न करो, यहां आकर देखो' राजकोट से लौट रही बिहार की महिला ने कहा

गुजरात में उत्तर भारतीयों पर हो रहे हमलों को लेकर गांव कनेक्‍शन की टीम ने लखनऊ के चारबाग स्‍टेशन पर गुजरात से आने वाले यात्रियों से बात की।

Ranvijay SinghRanvijay Singh   10 Oct 2018 6:38 AM GMT

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गुजरात को बदनाम न करो, यहां आकर देखो राजकोट से लौट रही बिहार की महिला ने कहा

लखनऊ। ''गुजरात बहुत अच्‍छा है, इसे बदनाम न करो, यहां आकर देखो।'' गुजरात से आ रही ओखा एक्‍सप्रेस (15046) में बैठी बिहार की रहने वाली ज्‍योति सिंह (46) ने ये बात गांव कनेक्शन की टीम से कही। गुजरात में उत्तर भारतीयों पर हो रहे हमलों को लेकर जब ज्‍योति से सवाल किया गया तो वो नाराज हो गईं। ज्‍योति कहती हैं, ''गुजरात में ऐसा कुछ नहीं है। 10 साल से वहीं रहते हैं। कभी गलत नहीं हुआ।'' बता दें, गांव कनेक्‍शन की टीम ने लखनऊ के चारबाग स्‍टेशन पर गुजरात से आने वाले यात्रियों से बात की।

अहमदाबाद-लखनऊ एक्‍सप्रेस (19401) से आए बस्‍ती के धनंजय कुशवाहा (32) से जब गुजरात हिंसा पर सवाल किया गया तो उन्‍होंने कहा, ''ऐसा नहीं है जी। मैं राजकोट में रहता हूं, मुझे तो कोई दिक्‍कत नहीं हुई।''

''मेरी तबीयत सही नहीं रहती, इस लिए लौट रहा हूं। अखबारों में हिंसा के बारे में पढ़ा जरूर है, लेकिन ऐसा कुछ मेरे साथ नहीं हुआ।''-धनंजय

गुजरात के राजकोट में पेंटिंग का काम करने वाले संतराज ओखा एक्‍सप्रेस से लौट रहे थे। बिहार के सिवान जिले के रहने वाले संतराज बताते हैं, ''हिंसा जैसा कुछ तो नहीं है। अब त्‍योहार आ रहे हैं तो घर जाना है। हमने सुना है कि अहमदाबाद में कुछ हुआ है, लेकिन इस बारे में पता नहीं।'' संतराज की इस बात पर ट्रेन में बैठा एक युवक उनसे कहता है, लौट के मत जाना, वहां बिहारियों को मार रहा है सब।''

गोरखपुर के अनिल तिवारी ने कहा, उनके साथ गुजरात मेें हिंसा नहीं हुई।

इसी ट्रेन से जामनगर में रिलायंस के लिए काम करने वाले अनिल तिवारी (48) भी गोरखपुर लौट रहे थे। अनिल तिवारी कहते हैं, ''जहां मैं रहता हूं वहां ऐसा नहीं है। हां, अहमदाबाद से लगे कुछ इलाकों में ऐसा सुनने में आया है।''

''मेरे किसी जानने वाले के साथ कोई हिंसा नहीं हुई। मुझे करीब 18 साल हो गए गुजरात में रहते, कभी कुछ गलत नहीं हुआ।'' अनिल तिवारी, जामनगर से लौटते हुए

डर का माहौल तो है

वहीं, ट्रेन में कुछ लड़के मिले। ये सभी गुजरात के सूरत में काम करते थे। इन्‍हीं में से एक बिहार के गोपालगंज के रहने वाले पंकज वर्मा (26) बताते हैं, ''बिहारियों के साथ छेड़छाड़ तो होता ही है। हमें 'भैया' कहकर बुलाते हैं सब, ये भी छेड़ने का तरीका है। लेकिन कभी मार पीट जैसा कुछ नहीं हुआ। हमारे आने से पहले वॉट्सऐप पर ऐसा बताया जा रहा था कि गुजराती लोग बिहार और यूपी के लोगों को मार रहे हैं। हम सुनें हैं इस बारे में। इन सब से डर तो लगता ही है।''

एक इलाके में हो रही हिंसा

ट्रेन में सवार लगभग सभी एक ही बात को दोहरा रहे थे कि गुजरात में हिंसा जैसा कुछ नहीं है। अहमदाबाद-लखनऊ एक्‍सप्रेस से लौट रहे सूरज कहते हैं, ''एक इलाके में कुछ हो रहा है तो उसमें पूरे गुजरात को शामिल नहीं करना चाहिए। ये सब अहमदाबाद से सेटे कुछ इलाकों में हो रहा है, लेकिन हमारे साथ तो सब सही है। फिर गुजरात को खराब क्‍यों बता रहे हैं?'' उनसे जब पूछा गया कि कौन से इलाकों में हिंसा हो रही है? इसपर सूरज कहते हैं, ''साबरकांठा में हो रहा है शायद!''

त्‍योहार में लौट रहे लोग

वहीं, ओखा एक्‍सप्रेस में बलियां के रहने वाले दीपक यादव भी मिले। दीपक बताते हैं, ''मैं तो दुर्गापूजा में आ रहा हूं। बहुत समय हो गया था घर से दूर रहते हुए सोचा घूम आऊं।'' गुजरात में हिंसा पर दीपक कहते हैं, ''मैं राजकोट में रहता हूं, वहां ये सब नहीं होता।''


लखनऊ के चारबाग स्टेशन पर खड़ी ओखा एक्सप्रेस, इस ट्रेन में कई यात्री गुजरात से थे जो यूपी-बिहार के रहने वाले थे।

गुजरात में उत्तर पूर्व क्‍या है मामला?

बिहार के एक मजदूर रवींद्र साहू पर आरोप है कि साबरकांठा के हिम्मतनगर इलाके में 28 सितंबर को उसने एक बच्ची से रेप किया। यह बच्‍ची ठाकोर समुदाय से है। इसके बाद से ऐसी खबरें आ रही हैं कि कांग्रेस विधायक अल्पेश ठाकोर की 'क्षत्रिय ठाकोर सेना'उत्‍तर भारतीयों के साथ हिंसा कर रही है। हालांकि, अल्पेश ठाकोर का कहना है कि ''गुजरात में किसी पर हमला नहीं हो रहा, लोग त्योहारों की वजह से घर जा रहे हैं।''

इस मामले पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा है, ''गैर-गुजरातियों से हमारी अपील है कि गुजरात न छोड़ें। उनकी सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। हम कानून-व्यवस्था बरकरार रखने के प्रति प्रतिबद्ध हैं। अगर किसी को कोई समस्या होती है तो वह पुलिस को फोन करें। हम पर विश्वास करें।'' वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से बात भी की थी।



राहुल गांधी ने भी किया ट्वीट

इसके अलावा कांग्रेस के अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने भी इस मामले पर ट्वीट किया है। उन्‍होंने लिखा, ''गरीबी से बड़ी कोई दहशत नहीं है। गुजरात में हो रहे हिंसा की जड़ वहां के बंद पड़े कारखाने और बेरोजगारी है। व्यवस्था और अर्थव्यवस्था दोनों चरमरा रही है। प्रवासी श्रमिकों को इसका निशाना बनाना पूर्णत गलत है। मैं पूरी तरह से इसके खिलाफ खड़ा रहूंगा।''


       

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