दीपावली पर लगा गधों का मेला, फिल्मी सितारों के नाम पर लगती है लाखों की बोली

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दीपावली पर लगा गधों का मेला, फिल्मी सितारों के नाम पर लगती है लाखों की बोली

चित्रकूट (मध्य प्रदेश)। नरक चौदस के दिन मंदाकिनी नदी के तट पर ऐतिहासिक गधा-खच्चर मेले में देशभर के व्यापारी पहुंचे। खरीदारों की भी खूब भीड़ जुटी और इस बार तो भारी छूट भी मिली। बॉलीवुड स्टार के नाम वाले गधों और खच्चरों की मांग सबसे ज्यादा रही और उनकी कीमत भी अच्छी मिली।

बीते वर्षों की तरह इस वर्ष भी धर्मनगरी चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के किनारे गधों और खच्चरों का 3 दिनी मेला शुरू हुआ। मेले की व्यवस्था नगर पंचायत करती है। नगर पंचायत चित्रकूट को इस मेले से हर साल लाखो रुपयों का राजस्व भी मिलता है।

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यहां देश के विभिन कोनों से हजारों की संख्या में अलग-अलग नस्लों के गधे- खच्चरों को लेकर व्यापारी आते हैं। इन तीन दिनों में लाखों का व्यापार होता है। गधा बाजार में आने वाले व्यापारियों को कभी मुनाफा तो कभी घाटा भी उठाना पड़ता है। सब कुछ मांग पर निर्भर करता है।


ऐसी मान्यता है कि इस मेले की शुरुआत मुगलकाल में हुई थी। मुगल बादशाह औरंगजेब के सैन्य बल में घोड़ों की कमी होने पर जब अफगानिस्तान से बिकने के लिए अच्छी नस्ल के खच्चर व गधे बुलवाए गए और उन्हे मुगलसेना के बेड़े में शामिल किया तो उनकी खरीदी इसी चित्रकूट के हाट से हुई थी।

अभिनेताओं के नाम पर मिलती है अच्छी कीमत

मेले में आने वाले गधों के नाम भी व्यापारी बड़े अजीबों-गरीब और रोचक रखते हैं। इनके नाम अक्सर फिल्म जगत के कलाकारों के नामों पर होते हैं। उदाहरण के लिए सलमान, शाहरुख, दीपिका, रणवीर, अक्षय, गोविंदा, मिथुन, सनी, हनी, महिमा, पारूल, नगीना, हीना और टाइगर आदि जो किसी न किसी अभिनेताओं के नाम पर होते हैं। फिर कीमत इनके नाम और खूबसूरती के अनुसार आंकी जाती है। हालांकि नाम के साथ इनकी कीमत में उम्र व दांतों की गिनती भी शामिल होती है।

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खतरे में मेले का अस्तित्व

धर्म नगरी चित्रकूट के मंदाकिनी नदी के तट पर लगने वाले इस ऐतिहासिक गधा मेले में कम होती खरीदारों की संख्या, आधुनिक मशीनरी के बढ़ते इस्तेमाल और वैश्विक मंदी के चलते उसका असर अब जानवरों के इस मेले में भी दिख रहा है। जिससे धीरे-धीरे मेले का अस्तित्व भी खतरे में पड़ता दिखाई देने लगा है। यदि मेले की इसी तरह अनदेखी की जाती रही तो इसके खत्म होने मे बहुत देर नहीं लगेगी।


देशभर से आते हैं लोग

इस मेले में मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, बिहार, जम्मू कश्मीर से खच्चरों व गधों को खरीदने और बेचने के लिए व्यापारी आते हैं। व्यापारियों की मानें तो गधों व खच्चरों की यहां अच्छी खासी कीमत मिलती है और चित्रकूट का मेला खरीदी और बिक्री के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

रिपोर्ट- पुष्पेंद्र वैद्य


   

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