20 से 40 मिनट पहले पता चल जाता है किस इलाके में गिर सकती है आसमानी बिजली, ऐसे बचा सकते हैं अपनी जान

मौसम के पूर्वानुमान का सही इस्तेमाल हो तो बचाई जा सकती हैं आसमानी बिजली से कई जिंदगियां

Arvind ShuklaArvind Shukla   25 Jun 2020 10:06 AM GMT

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20 से 40 मिनट पहले पता चल जाता है किस इलाके में गिर सकती है आसमानी बिजली, ऐसे बचा सकते हैं अपनी जान

बादल चमकने पर गिरने वाली आकाशीय बिजली यानी (वज्रपात ) से दुनिया में हर साल हजारों लोगों की जान जाती है। भारत उन देशों में शामिल हैं जहां हर करीब दो हजार लोगों की जान जाती है। इनमें से सबसे ज्यादा ग्रामीण होते है।

भारत में आकाशीय बिजली गिरने से हर साल हजारों लोगों की मौत होती है। आकाशीय बिजली से लोगों की जान बचाई जा सकती है, अगर सही समय पर सूचना मिल जाए और उस सूचना पर लोग अमल करें।

"पूरे देश में हमने 21 सेंसर लगा रहे हैं। जिनसे लाइटिंग (बिजली) की सटीक जानकारी मिलती है। भारतीय मौसम विभाग के पास अपने संसाधन हैं। देश के 55 वायु सेना स्टेशनों पर भी लाइटिंग की जानकारी के यंत्र लगे हैं। अगर इनसे मिली जानकारी का सही इस्तेमाल किया जाए तो ऐसे लोगों की जान बचाई जा सकती है।" जतिन सिंह, प्रमुख, स्काईमेट। स्काईमेट मौसम की जानकारी देने वाली निजी एजेंसी है। जो भी समय समय पर यूपी, बिहार, समेत कई राज्यों में आसमानी बिजली गिरने की चेतावनी जारी करती रहती है। इन चेतावनी पर गौर किया जाए तो खेत में खड़े व्यक्ति के पास कम से कम 10 मिनट का समय जरूर होता है कि वो सुरक्षित स्थान पर पहुंच सके।

भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जहां सबसे ज्यादा लाइटिंग की घटनाएं होती हैं। हिमालय और समुद्र से घिरे भारत की भागौलिक पारिस्थितिकी इसके लिए जिम्मेदार बताई जाती है।

उत्‍तर प्रदेश के हरदोई जिले के अरवल थाना क्षेत्र के मनसुरपुरा गांव में शुक्रवार को आकाशीय बिजली गिरने से छह लोगों की मौत हो गई।

दिल्ली में मौसम विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा गांव कनेक्शन को बताते हैं, "मौसम विभाग हर बार पूर्वानुमान भेजता है। आकाशवाणी, वेबसाइट और दूसरे माध्यमों से जानकारियां भेजी जाती हैं। मौमस विभाग बिजली गिरने के 20-30 मिनट पहले तक जानकारी दे देता है। ऐसे में लोगों को अगर सही जानकारी हो तो वो अपनी सुरक्षित स्थान तक पहुंच सकते हैं।"

मौसम विभाग के एडीजी ये भी बताते हैं कि उनके विभाग का काम सूचना देना है। बाकी का काम राज्य सरकार का होता है। उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष आगरा में हुए दर्दनाक हादसे के बाद राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने बाकायदा दिशानिर्देश जारी किए थे, जिममें बताया गया है। लेकिन समस्या भी भारत में ऐसे एलर्ट आम लोगों तक पहुंच नहीं पाते और न ही इन्हें आम लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदार कोशिशें नजर आती हैं। ज्यादतर ग्रामीण इसे दैवीय प्रकोप मानते हैं। जबकि ये एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है।

तेज आवाज़ यानी आसमान से गिरने वाली बिजली को तड़ित कहते हैं। इंग्लिश में इसे Lightning कहते हैं। मौसम बदलने पर आकाश में बादलों के बीच जब टक्कर होती है यानि घर्षण से अचानक इलेकट्रोस्टैटिक चार्ज निकलता है, जो तेजी से जमीन की तरफ आता है। इस दौरान दूर तक तेज आवाज़ और चमक दिखाई पड़ती है। ये प्रक्रिया बिजली की स्पार्किंग की तरह प्रकाश युक्त दिखाई देती है। इस पूरी प्रक्रिया को आकाशीय बिजली कहते हैं। इसकी चपेट में आने से मनुष्यों के साथ ही पशु-पक्षियों तक की मौत हो जाती है। पेड़ टूट जाते हैं या फिर जल जाते हैं।

इसकी दुखद तस्वीर ये भी है बिजली गिरने से मरने वालों में सबसे ज्यादा मौतें ग्रामीण इलाकों में होती हैं। खेतों में काम कर रहे किसान और मजदूर इसका शिकार बनते हैं। जागरुकता के अभाव में कई बार ग्रामीण खेत में रुक जाते हैं या फिर हरे पेड़ों के नीचे ठहर जाते हैं, लेकिन ये हादसे की आशंका को और बढ़ा देता है।

यही भी पढ़ें:आकाशीय बिजली से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान, बच जाएगी जान

स्काईमेट के प्रमुख जतिन सिंह कहते हैं, "यही समस्या है मरने वाले ज्यादातर गरीब होते हैं, इसलिए ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता। सरकार को चाहिए बाकायदा अभियान चलाए। सभी सरकारी और हमारे जैसी एजेंसियों के डाटा का इस्तेमाल कर लोगों तक सूचना पहुंचाए, उनकी जान बचाए। हम लोग तो इसके लिए कोई चार्ज भी नहीं कर रहे।"

भारत में मौसम की भविष्यवाणी को लेकर पिछले कुछ वर्षों में काफी काम हुआ है। मौसम विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक मृत्युजंय महापात्रा के मुताबिक पूरे देश में 552 ऑजर्वेटरी सेंटर हैं। जहां कर्मचारी तैनात है। इसके अलावा पूरे देश में 675 मौसम केंद्र हैं। साथ ही 1350 जगहों पर ऑटोमेटर रेनगेज सेंटर हैं, जहां डाटा सीधे मौसम विभाग पहुंचता है।

"भारत में लाइटिंग के लिहाज से ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल आते हैं। इसके बाद बिहार और यूपी का नंबर आता है। लेकिन ये घटनाएं पूरे देश में होती हैं कहीं कम तो कही ज्यादा।" महापात्रा कहते हैं।

मुंबई में आंधी तूफान की जानकारी के लिए मौसम विभाग के दामिनी नाम का एप भी बनाया है। माहापात्रा कहते हैं, मौसम विभाग का फोरकास्ट जिला स्तर पर होता है। अगर लोगों तक सही जानकारी हो तो लोगों की जान बचाई जा सकती है। जैसे उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हो रहे कुंभ के लिए हम हर तीन घंटे पर पूर्वानुमान जारी करते हैं। आने वाली गर्मियों से हम लोग कुछ नए तरीके आजमाने वाले हैं। जिससे लोगों तक मैसेज पहुंचाना आसान हो जाएगा।"


आकाशीय बिजली से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन (एनडीआरएफ) द्वारा जारी एक जागरुकता वीडियो में लोगों को इससे बचने के उपाय बताए गए हैं। जिसके मुताबिक अगर आसमान में बिजली कड़क रही है और आप घर के बाहर हैं तो सबसे पहले सुरक्षित (मजबूत छत) वाली जगह तक पहुंचने का प्रयास करें।

-अगर ऐसे संभव नहीं है तो तुरंत पानी, बिजली के तारों, खंभों, हरे पेड़ों और मोबाइल टॉवर आदि से दूर हट जाएं।

-आसमान के नीचे हैं तो अपने हाथों को कानों पर रख लें, ताकि बिजली की तेज आवाज़ से कान के पर्दे न फट जाएं।

-अपनी दोनों एड़ियों को जोड़कर जमीन पर पर उकड़ू बैठ जाएं।

-अगर इस दौरान आप एक से ज्यादा लोग हैं तो एक दूसरे का हाथ पकड़कर बिल्कुल न रहें, बल्कि एक दूसरे से दूरी बनाकर रखें।

-छतरी या सरिया जैसी कोई चीज हैं तो अपने से दूर रखें, ऐसी चीजों पर बिजली गिरने की आशंका सबसे ज्यादा होती है।

-पुआल आदि के ढेर से दूर रहें, उसमें आग लग सकती है आकाशीय बिजली की प्रक्रिया कुछ सेंकेड के लिए होती है, लेकिन इसमें इतने ज्यादा बोल्ट का करंट होता है कि आदमी की जान लेने के लिए काफी होता है। क्योंकि इसमें बिजली वाले गुण होते हैं तो ये वहां ज्यादा असर करती है, जहां करेंट का प्रवाह होना संभव होता है।

-आकाश से गिरी बिजली किसी न किसी माध्यम से जमीन में जाती है, और उस माध्यम में जो जीवित चीजें आती हैं, उनको नुकसान पहुंचता है।

ये खबर मूल रुप से साल 2018 में प्रकाशित की गई थी।

   

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