पहले भी चर्चा में रहा है पाकिस्तान का कटासराज मंदिर, ये है ऐतिहासिक महत्व

Anusha MishraAnusha Mishra   13 Dec 2017 1:44 PM GMT

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पहले भी चर्चा में रहा है पाकिस्तान का कटासराज मंदिर, ये है ऐतिहासिक महत्वपाकिस्तान का कटास राज मंदिर

पाकिस्तान में हिंदुओं के ऐतिहासिक मंदिर कटासराज से कुछ दिनों पहले भगवान राम और हनुमान की मूर्तियां ग़ायब हो गई थीं। पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस बात पर नाराज़गी ज़ाहिर की। कोर्ट ने मंदिर परिसर में सरोवर के सूखने पर खुद से संज्ञान लिया। ख़बरों के मुताबिक, कोर्ट इस मामले में पंजाब प्रांत के गृह सचिव और विदेश सचिव को तलब कर सकती है। चीफ जस्टिस साकिब निसार ने सवाल किया, 'क्या मूर्तियां संभाल कर रखी गई हैं या फिर उन्हें भी हटा दिया गया है।'

ख़बरों के मुताबिक, मंदिर के पास सीमेंट की फैक्ट्री होने से मंदिर परिसर में मौजूद तलाब का पानी कम हो रहा है। पाकिस्तानी अखबार द डॉन में छपी खबर के मुताबिक, सुनवाई के दौरान तीन न्यायाधीशों की पीठ ने इस इलाके में मौजूद सीमेंट की फैक्ट्री को विनाशकारी बताते हुए उसके मालिकों और अन्य कारखानों के बारे में जानकारी मांगी।

ये पहला मामला नहीं है जब पाकिस्तान में कटासराज मंदिर को लेकर चर्चा हुई हो। इससे पहले भी ये मंदिर कई बार सुर्खियां बना।

900 साल पुराना है मंदिर

ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 900 साल पहले बनवाया गया था। बंटवारे से पहले यहां हिंदुओं की अच्छी खासी आबादी रहती थी लेकिन 1947 में बहुत से हिंदू भारत चले गए। कटासराज मंदिर परिसर में एक नहीं, बल्कि कम से कम सात मंदिर हैं जिसमें शिव मंदिर के साथ - साथ राम और हनुमान मंदिर भी हैं, इन्हीं मंदिरों से मूर्तियां चोरी हुई हैं। इसके अलावा यहां सिख और बौद्ध धर्म के भी पवित्र स्थल हैं। इसकी व्यवस्था अभी एक वक्फ बोर्ड और पंजाब की प्रांतीय सरकार का पुरातत्व विभाग देखता है।

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ये है धार्मिक मान्यता

पाकिस्तान का ऐतिहासिक कटासराज मंदिर पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में स्थित है। नमक कोह पर्वत शृंखला में यह 2000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। 'कटास' संस्कृत शब्द कटाक्ष का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ है 'आंसुओं से भरी हुई आंखें।' उर्दू और पारसी में यहां बने सरोवर को चश्म-ए-आलम कहा जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि भगवान शिव अपनी पत्नी सती के खुद को आग के हवाले कर दिए जाने के कारण दुखी थे। इस दुख में वह रोए भी और इस दौरान उनकी आंखों से दो आंसू टपके। एक आंसू कटास पर टपका जहा अमृत बन गया यह आज भी वह इस मंदिर का सरोवर बन गया। दूसरा आंसू अजमेर राजस्थान में टपका और यहां पर पुष्कर तीर्थ है। भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी जब वर्ष 2005 में पाकिस्तान दौरे पर गए थे तो वह उस दौरान कटासराज मंदिर भी गए थे और और वहां पाकिस्तान सरकार द्वारा शुरू किए गए मंदिर के संरक्षण कार्य का उद्घाटन भी किया था।

2014 में हुई थी दशकों बाद आरती

बीबीसी में छपी एक ख़बर के मुताबिक, बंटवारे के बाद से ही ये मंदिर बंद पड़ा था। जनवरी 2014 में दशकों बाद इस मंदिर में आरती हुई थी। उस वक्त हिंदू सुधार सभा के अध्यक्ष अमरनाथ रंधावा ने कहा था कि हम पाकिस्तानी हिंदुओं की बड़ी ख़ुशकिस्मती है कि इस मंदिर का पुनरोद्धार और पुनर्स्थापना की गई है। यह हमारे लिए बहुत खुशी की बात है कि अब हम यहां आकर पूजा कर सकते हैं।

दिसंबर 2015 में बनाई गई थी जीर्णोद्धार की योजना

बंटवारे के बाद से इस मंदिर की ओर पाकिस्तानी सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन 15 दिसंबर 2015 को हफिंगटनपोस्ट में छपी एक ख़बर के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार ने इसका जीर्णोद्धार करने की योजना बनाई थी। इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड' (ईटीपीबी) अध्यक्ष मोहम्मद सिद्दिकी फारूक ने कहा था कि ईटीपीबी मंदिर परिसर में सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहा है और एक रेस्त्रां के अलावा 30 कमरों का एक हास्टल पहले ही बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि भविष्य में तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ाने के लिए मंदिरों की संख्या बढ़ायी जाएगी।

जनवरी 2017 में भी आया था चर्चा में

11 जनवरी 2017 को पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ दर्शन के लिए कटास राज मंदिर पहुंचे थे। द हिंदू में छपी ख़बर के मुताबिक, वहां उन्होंने एक बार फिर इस मंदिर की मरम्मत का वादा किया था। उन्होंने कहा था कि हम पाकिस्तान की इमेज को माइनॉरिटी फ्रेंडली देश बनाने की कोशिश कर रहे हैं। पाक पीएम ने मंदिर परिसर में वॉटर फिल्ट्रेशन प्लांट का उद्‌घाटन किया।

   

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