फल-सब्जियां खाइए, ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटाइए

Karan Pal SinghKaran Pal Singh   29 July 2017 10:35 AM GMT

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फल-सब्जियां खाइए, ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटाइएभारत में 50 फीसदी पानी सिंचाई में खर्च किया जाता है।

लखनऊ। भारतीय लोग अपने खान-पान की आदतों में सुधार कर लें तो ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी ला सकतें हैं साथ ही देश में हो रही पानी की कमी को भी बचाया जा सकता है।

एक सर्वे में बताया गया है कि भारत के लोग अगर अपने भोजन में गेहूं और पोल्ट्री उत्पादों की बजाय सब्जियां और संतरे, पपीते जैसे फलों को शामिल कर लें, तो इससे ना केवल पानी बचेगा बल्कि ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी कम किया जा सकता है।

"द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल" में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक 2050 तक भारत की जनसंख्या 1.6 अरब हो जाएगी। तब तक देश में पीने योग्य पानी बचा रहे, इसके लिये वर्तमान में पानी का उपयोग एक तिहाई तक कम करना होगा। लेकिन सच तो ये है कि बढ़ती जनसंख्या के साथ ही भोजन की मांग बढ़ेगी और कृषि पर बढ़ते दबाव के चलते पानी के उपयोग पर दबाव भी बढ़ेगा। इसलिए इस स्टडी में पानी की बचत के लिए लोगों से खानपान की आदतें बदलने के उपाय बताए गए हैं।

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भारत का 50 फीसदी पानी सिंचाई में हो रहा खर्च

स्टडी के मुताबिक अगर खेती के तरीकों के साथ साथ लोगों की खानपान की आदतों में ऐसा भोजन शामिल नहीं हुआ, जिनके उत्पादन में कम पानी खर्च होता है, तो 2050 तक भारत में कुल पानी का करीब 70 फीसदी सिंचाई में ही खर्च होगा। फिलहाल 50 फीसदी पानी सिंचाई में
खर्च किया जाता है।

फल-सब्जियों के इस्तेमाल से 30 फीसदी तक कम की जा सकती है पानी की खपत

लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन ऐंड ट्रॉपिकल मेडिसन के मुख्य लेखक जेम्स मिलनर के मुताबिक, "भारत में कृषि उत्पादन के लिए उपलब्ध ताजे पानी का अनुपात पहले से ही काफी अधिक है। ऐसे में मामूली आहार परिवर्तन देश में लचीली भोजन प्रणाली विकसित करने की चुनौतियों को पूरा करने में मदद कर सकता है।" मिलनर ने इस अध्ययन में बताया है कि भोजन की बदलती आदतें पानी को कैसे बचा सकती हैं। मिलनर के मुताबिक अगर भोजन में गेहूं और डेयरी उत्पादों की खपत को कम करके, फलों और सब्जियों की खपत को बढ़ाया जाये, तो ताजा पानी के इस्तेमाल को 30 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

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कम सिंचाई की आवश्यकता वाले फलों को दें तरजीह

स्टडी में अच्छे भोजन में फलियों को भी शामिल किया है और अधिक सिंचाई की आवश्यकता वाले फल मसलन अंगूर, अमरूद और आम की बजाय कम पानी का इस्तेमाल करने वाले फल जैसे तरबूज, नारंगी और पपीते को तवज्जो दी है।

13 प्रतिशत तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में ला सकते हैं कमी

इस आहार परिवर्तन से लोगों में हृदय रोग और कैंसर का खतरा भी कम होगा। इसके साथ ही ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भी 13 प्रतिशत तक की कटौती होगी। जिसका असर जलवायु परिवर्तन की दर को कम करने पर भी पड़ेगा और कुल मिलकार यह पर्यावरण के लिए एक बहुत अच्छा कदम होगा।

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ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में विश्व में भारत का चौथा स्थान

वैश्विक संस्था वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट के मुताबिक साल 2011 में चीन, ब्राजील और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत ग्रीनहाउस गैसों का विश्व में चौथा सबसे बड़ा उत्सर्जनकर्ता था।

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