हर छोटी-मोटी बीमारियों में दवा खाते हैं तो सावधान हो जाइये

ज्यादा दवा खाने से हड्डियां हो जाती हैं कमजोर, आराम तलब जीवनशैली भी हड्ड‍ियों के लिए है नुकसानदायक

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हर छोटी-मोटी बीमारियों में दवा खाते हैं तो सावधान हो जाइये

लखनऊ। 56 वर्ष के मनोहर को हर बात पर एलोपैथिक (अंग्रेजी) दवा खाने की आदत थी। एक दिन अचानक से पैर फिसल गया और कूल्हे की हड्डी टूट गई। जांच में पता चला कि अधिक दवा खाने से उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डी टूटने) की परेशानी हो गई थी।

"कुछ लोगों को हर छोटी-मोटी समस्या होने पर दवा खाने की आदत होती है। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो सावधान हो जाइये और एलोपैथिक दवाओं का सेवन कम से कम करें। क्योंकि ज्यादा दवा खाने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और इसका असर बुढ़ापे में देखने को मिलता है। " ये कहना है लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर डी हिमांशु का।

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प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: इंटरनेट

उन्होंने आगे बताया, "आराम तलब जीवनशैली भी हमारी हड्ड‍ियों के लिए काफी खतरनाक है। क्योंकि मानव शरीर की हड्ड‍ियों को स्वस्थ और मजबूत बनाए रखने के लिए व्यक्ति का सक्रिय होना भी बहुत आवश्यक होता है। यदि आप शारिरिक श्रम नहीं करते तो आपको निश्चित रूप से हड्डी से जुड़ी हुई समस्या होने की आशंका रहती है।"

ऑस्टियोपोरोसिस के कारणों के बारे में डॉक्टर हिमांशु ने बताया, " बहुत सी ऐसी दवाइयां होती हैं जिनके ज्यादा खाने से ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या पैदा हो जाती है। कॉर्टिकोस्टेरॉयड, एंटी-डीप्रेसेन्ट, एंटी-हाइपरटेंसिव, एंटी-कॉन्वलसेंट की दवाएं प्रमुख हैं। इन दवाओं का प्रयोग बिना डॉक्टर की सलाह से नहीं करनी चाहिए। इसके साथ ही अगर किसी व्यक्ति की पहले कभी हड्डी टूटी हो तो भविष्य में उसमें ऑस्टियोपोरोसिस के कारण फ्रैक्चर की संभावना अधिक होती है।"


यह एक सामान्य समस्या है, जिसके कारण कूल्हे, कलाई, रीड की हड्डी आदि के टूटने की संभावना काफी बढ़ जाती है। हमारी हड्डियों का घनत्व सबसे ज्यादा 20 से 30 साल की उम्र में होता है। 35 साल के बाद हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित मरीजों में हड्डियां सामान्य से ज्यादा कमजोर हो जाती हैं जिससे हड्डी टूटने, कमर झुकने आदि का खतरा ज्यादा होता है। इस बीमारी की आशंका महिलाओं में मासिक धर्म बंद होने के बाद ज्यादा होती है। "

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ऑस्टियोपोरोसिस का पता कैसे लगाते हैं इसके बारे में केजीएमयू के गठिया रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनुपम वाखलू ने बोन मिनिरल डेंसिटी के बारे में बताया। उन्होंने कहा, "बोन मिनिरल डेंसिटी बोन मास मापने की नई तकनीक है। उम्र बढ़ने के साथ हड्डियां कमजोर हो जाती। इसका मुख्य कारण अत्याधिक दवाइयों का सेवन, शराब और तंबाकू का सेवन है, जिससे बोन मिनिरल डेंसिटी कम होती है। 50 वर्ष के बाद खासतौर से महिलाओं में मासिक बंद होने के बाद यह समस्या ज्यादा दिखाई देती है।"

प्रतिकात्मक तस्वीर साभार: इंटरनेट

"इसके बचाव के लिए भोजन में कैल्शियम को ज्यादा ज्यादा मात्रा में शामिल करना चाहिए। साथ ही विटामिन डी थ्री का सेवन और नियमित व्यायाम करते रहना चाहिए। यदि मरीज लंबे समय से बिस्तर पर हैं तो बोन लॉस की वजह से ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि फेमस टूल डेकसा के द्वारा हड्डी के टूटने की संभावना का पता लगाया जाता है यदि व्यक्ति शराब तंबाकू का सेवन करता है तो हड्डी टूटने की संभावना बढ़ जाती है।"

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