ISRO की एक और ऊंची उड़ान, EMISAT और 28 विदेशी सैटलाइट्स को किया लॉन्च

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EMISAT satellite, ISRO, satellite isro launch

लखनऊ। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अंतरिक्ष में लगातार इतिहास रच रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को एक और नया अध्याय जुड़ गया। PSLV C-45 ने इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सैटेलाइट एमिसैट को सन सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया है।

इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस उपग्रह एमिसैट को पीएसएलवी C-45 से इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्‍च किया। इसरो का यह पहला ऐसा मिशन है, जो तीन अलग-अलग कक्षाओं में सैटेलाइट्स को स्थापित करेगा। पीएसएलवी C-45 के जरिए जो सैटेलाइट्स लॉन्च किए गई हैं, उनमें सबसे महत्वपूर्ण है EMISAT यानी इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सैटेलाइट है। यह डीआरडीओ को डिफेंस रिसर्च में मदद करेगा। एमिसैट उपग्रह का मकसद विद्युत चुंबकीय माप लेना है।

27 घंटे की गिनती खत्म होने के बाद इसरो के प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-क्यूएल के नए प्रकार करीब 50 मीटर लंबे रॉकेट का करीब 125 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोट अंतरक्षि केंद्र से सुबह नौ बजकर 27 मिनट पर प्रक्षेपण किया गया। एमीसैट उपग्रह का उद्देश्य विद्यतीय चुम्बकीय स्पेक्ट्रम को मापना है। इसरो के अनुसार, प्रक्षेपण के लिए पहले चरण में चार स्ट्रैप-ऑन मोटर्स से लैस पीएसएलवी-क्यूएल रॉकेट के नए प्रकार का इस्तेमाल किया गया।


पीएसएलवी का भारत के दो अहम मिशनों 2008 में चंद्रयान और 2013 में मंगल ऑर्बिटर में इस्तेमाल किया गया था। यह जून 2017 तक 39 लगातार सफल प्रक्षेपणों के लिए इसरो का सबसे भरोसेमंद और बहु उपयोगी प्रक्षेपण यान है। इस मिशन में इसरो के वैज्ञानिक तीन अलग-अलग कक्षाओं में उपग्रहों और पेलोड को स्थापित किया जो पहली बार हुआ। अन्य 28 अंतरराष्ट्रीय उपग्रहों में लिथुआनिया के दो, स्पेन का एक, स्वट्जिरलैंड का एक और अमेरिका के 24 उपग्रह शामिल हैं। इसरो ने बताया कि इन सभी उपग्रहों का वाणज्यिकि समझौतों के तहत प्रक्षेपण किया गया है। फरवरी में इसरो ने फ्रेंच गुआना से भारत का संचार उपग्रह जीसैट-31 प्रक्षेपित किया था।

  

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