ग्राउंड रिपोर्ट: चमकी के खौफ से बिहार के गांवों में पलायन, घर छोड़ रिश्तेदारियों में जा रहे लोग

Chandrakant Mishra

Chandrakant Mishra   18 Jun 2019 1:20 PM GMT

वैशाली/मुजफ्फरपुर । बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। अब तक 108 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि 400 से ज्यादा बच्चे मुजफ्फरपुर के मेेडिकल कॉलेज में भर्ती है। बच्चों की मौत की ख़बरें दूसरे जिलों से भी आ रही है। सस्पेक्टेड इंसेफ्लाइटिस AES यानि 'चमकी बुखार' के खौफ से बिहार में पलायन शुरु हो गया है। अपने बच्चों की जान बचाने के लिए लोग घर छोड़कर जा रहे हैं।

एक के बाद बच्चों की मौतों से बिहार के गांव दशहत में है। अभी तक जितने भी बच्चों की मौत हुई है सभी ग्रामीण इलाकों के हैं। गांव के लोग दशहत में जी रहे हैं। वो अपने बच्चों को लेकर दूर रिश्तेदारियों में जा रहे हैं।

बिहार की राजधानी पटना से करीब 60 किलोमीटर दूर वैशाली जिले के हरिबंशपुर गांव में अब तक 10 बच्चों की मौत हो चुकी है। जबकि कई बच्चे भर्ती हैै। बाकी घरों के लोग अपने बच्चों को लेकर रिश्तेदारियों में चले गए हैं।

गांव कनेक्शन की टीम मंगलवार की सुबह हरिबंशपुर गांव पहुंची तो यहां के सुनील सहानी (28 साल) बताते हैं, ''गांव में इतना डर बैठ गया है कि सब अपने-अपने बच्‍चे लेकर भाग गए हैं। आधा से ज्‍यादा गांव खाली हो गया है। जो 10-20 लोग हैं वो बुजुर्ग और बड़े हैं। बाकी के बच्‍चे कोई नानी के घर चला गया है तो कोई मौसी के यहां। गांव में अब बच्‍चे नहीं हैं।''

समय पर इलाज मिलता तो बच जाती बच्चों की जान

हरिबंशपुर गांव के ही रहने वाले चतुरी (38 साल) के दो बच्‍चों की चमकी बुखार से मौत हो गई। चतुरी कहते हैं, ''मेरे बच्‍चों की तो रेफर होते-होते ही मौत हो गई। अगर उन्‍हें समय से इलाज मिला होता तो मेरे दोनों बच्‍चे आज जिंदा होते, मेरे पास होते। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।''


इसी के ही राजेश सहानी की 7 साल की बेटी की भी मौत हो गई है। वो बताते हैं, "9 जून को रात में मेरी बेटी अपनी दादी के साथ सो रही थी। तभी रात में उसे दौरा पड़ा। मैंने जाकर देखा तो उसके मुंह से आवाज नहीं आ रही थी। मैं उसे लेकर नजदीकी अस्‍पताल गया, लेकिन वहां से केजरीवाल भेज दिया गया। केजरीवाल में बताया गया कि पटना में डॉक्‍टर आए हैं, जो इसका इलाज करेंगे। फिर पटना गया तो वहां उसका इलाज हुआ, लेकिन वो बच नहीं सकी।''

राजेश सहानी कहते हैं, ''मेरे तीन बच्‍चे थे। एक लड़की जिसकी मौत हो गई और दो बच्‍चे हैं। मैंने दोनों बच्‍चों को गांव से भेज दिया है। लड़की को भी अपने ससुराल में ही दफना दिया, क्‍योंकि यहां लेकर आते तो हो सकता है मेरे दूसरे बच्‍चे भी इस बीमारी का शिकार हो जाते।''


यह कहानी अकेले वैशाली जिले के हरिबंशपुर गांव की नहीं है। चमकी बुखार के डर से गांव के गांव खाली हो रहे हैं। लोग अपने बच्‍चों को लेकर रिश्‍तेदारों के यहां जा रहे हैं, जिससे उनके बच्‍चे इस बीमारी से बच सकें। बेगुसराय में भी 4 बच्चों की मौत की ख़बर है।

चमकी बुखार पर मचे सियासी बवाल के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज (मंगलवार) मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच हॉस्पिटल पहुंचे। उनके साथ प्रदेश के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी मौजूद हैं। सीएम नीतीश PICU में पीड़ित बच्चों का हाल चाल ले रहे हैं। साथ ही पीड़ित बच्चों के परिजनों से भी बातचीत कर रहे हैं। सीएम नीतीश अस्पताल में डॉक्टरों के साथ समीक्षा बैठक करेंगे।

चमकी बुखार से पीड़ित ज्यादातर मरीज मुजफ्फरपुर के सरकारी श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल (एसकेएमसीएच) और केजरीवाल अस्पताल में एडमिट हैं। अब तक एसकेएमसीएच हॉस्पिटल में 89 और केजरीवाल अस्पताल में 19 बच्चों की मौत हो गई है।

(वैशाली से चंद्रकांत मिश्रा और अभय राज की रिपोर्ट)

नीचे वीडियो में देखिए- जब गांव कनेक्शन संवाददाता चंद्रकांत वैशाली के इस गांव पहुंचे तो लोगों ने क्या कहा


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