पहली बार संसद में पेश किए जाएंगे किसानों से जुड़े दो निजी बिल

आज के दिन को किसानों और खेती के लिहाज से महत्वपूर्ण तारीखों में गिना जाएगा। इस दिन संसद में किसानों की बेहतरी के लिए दो निजी बिल पेश किए जाएंगे।

Arvind ShukklaArvind Shukkla   19 July 2018 2:01 PM GMT

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पहली बार संसद में पेश किए जाएंगे किसानों से जुड़े दो निजी बिल

लखनऊ/नई दिल्ली। दिन बृहस्पतिवार, तारीख 20 जुलाई 2018… इस तारीख को किसानों और खेती के लिहाज से महत्वपूर्ण तारीखों में गिना जाएगा। इस दिन संसद में किसानों की बेहतरी के लिए दो निजी बिल पेश किए जाएंगे।

पूरे देश के किसानों का हर तरह का कर्ज़ा एक बार माफ किए जाने को लेकर किसानों की पूर्ण कर्ज़ माफी अधिकार बिल 2018 और फसल के लिए सुनिश्चित लाभकारी मूल्य अधिकार बिल 2018 संसद में पेश किए जाएंगे। ये बिल किसान नेता व महाराष्ट्र से लोकसभा सांसद और स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी पेश करेंगे। ये बिल अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने तैयार किया है, जिसमें पूरे देश के 194 से ज्यादा किसान संगठन शामिल हैं। यह समिति मंदसौर कांड के बाद बनाई गई थी। समिति ने पिछले वर्ष 21-22 नवबंर को दिल्ली में संसद मार्ग पर किसान मुक्ति संसद का आयोजन कर इन बिलों को लेकर किसानों के साथ चर्चा की थी।

किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वीएम सिंह के मुताबिक दोनों बिल देश भर में कई हजार किलोमीटर की यात्रा में 10-15 हजार किसानों से बात करने के बाद तैयार किए गए हैं। इन किसान हितैषी बिलों को टीडीपी और शिवसेना जैसे राजनीतिक दलों का भी समर्थन प्राप्त है।'

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अप्रैल 2018 में समन्वय समिति और राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ पार्लियामेंट एनेक्सी में एक बैठक हुई थी। बैठक में शरद पवार, शरद यादव, दिनेश त्रिवेदी (टीएमसी) दीपेंद्र हुड्डा (कांग्रेस) जेपी यादव (आरजेडी), अरविंद सावंत (शिवसेना) नागेंद्र प्रधान (बीजेडी),वी. विजय साई रेड्डी (वाईएसआर कांग्रेस) ए.आर राथर (जे.के नेशनल कांग्रेस) हनन मोल्ला ( सीपीआई-एम) आशुतोष (आप), जयंत चौधरी (आरएलडी) शामिल थे। वहीं समिति की तरफ से वीएम सिंह, राजू शेट्टी, कविता कुरुंगति, किरण विस्सा, आशीष मित्तल मौजूद थे।

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मंदसौर कांड की बरसी पर मध्य प्रदेश के चिल्लौद पिपलिया पहुंचे वीएम सिंह ने गांव कनेक्शन से खास बात करते हुए कहा था, "हम चाहते हैं किसानों के मुद्दे पर संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए। हम लोगों ने उपराष्ट्रपति से भी मुलाकात की थी, क्योंकि किसानों का तब तक भला नहीं होगा तब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून न बना दिया जाए।' स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक देश में सिर्फ 6 फीसदी किसान एमएसपी का फायदा उठा पाते हैं। लेकिन कानून बनने से इसके लाभ का दायरा बढ़ेगा।

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स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने और किसानों को लागत का डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य का वादा करने वाली बीजेपी सरकार ने पिछले दिनों खरीफ के एमएसपी की घोषणा की थी। सरकार के मुताबिक निर्धारित रेट लागत का डेढ़ गुना है लेकिन किसान नेता उसे धोखा बता रहे हैं।

किसान समन्वय संघर्ष समिति से जुड़े किसान संगठन 20 जुलाई को दिल्ली में मंडी हाउस से संसद तक काली पट्टी बांधकर विरोध मार्च निकालेंगे। किसान नेता 8 से 10 अक्टूबर तक देश की मंडियों का दौरा कर तय एमएसपी को लेकर किसानों को जागरुक और सरकारी दावों की हकीकत समझेंगे। किसान नेता हनान मोल्ला ने पिछले दिनों कहा था कि 9 अगस्त से देशभर में बीजेपी के खिलाफ जेल भरो आंदोलन चलाया जाएगा। ये आंदोलन 400 जगहों पर एक साथ चलेगा।

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महाराष्ट्र में स्वाभीमानी शेतकारी संगठन की अगुवाई में दूध की कीमतों में बढ़ोतरी की मांग लेकर पिछले कई दिनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं। इससे पहले स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव हरियामा में 8 दिन की स्वराज यात्रा निकाल चुके हैं।संघर्ष समिति के अलावा दूसरे किसान संगठन भी अपनी मांगों के समर्थन में मोर्चा खोले हुए हैं। मध्य प्रदेश में सक्रिय आम किसान यूनियन समेत दूसरे संगठनों ने 1 जून से 10जून तक गांव बंद बुलाया था। आम किसान यूनियन के कोर सदस्य केदार सिरोही के मुताबिक नोटबंदी, गांव बंदी के बाद किसान वोटबंदी करेंगे।एक तरफ जहां किसान संगठन वर्ष 2019 के आम चुनावों को देखते हुए सरकार पर दवाब बनाने में जुटे हैं।

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वहीं सरकार का कहना है कि वो 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। 18 जुलाई को गन्ने के उचित लाभकारी मूल्य में प्रति क्विंटल 20 रुपए की बढ़ोतरी पर कैबिनेट ने मुहर लगाई। सरकार के फैसले के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दिल्ली में पत्रकारों से कहा, गन्ने के उचित लाभकारी मूल्य में करीब 77 फीसदी बढ़ोतरी की गई है। गन्ने का अनुमानित लागत महज 155 रुपए प्रति क्विंटल है, हमने एफआरपी 275 रुपए किया है।"इससे पहले 4 जुलाई को खरीफ की 14 फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया था, 'मुझे अत्यंत खुशी हो रही है कि किसान भाइयों-बहनों को सरकार ने लागत का 1.5 गुना MSP देने का जो वादा किया था, आज उसे पूरा किया गया है। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में इस बार ऐतिहासिक वृद्धि की गई है। सभी किसान भाइयों-बहनों को बधाई।'

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