पराली समेत दूसरे फसल अवशेष से किसान बना सकते हैं कोयला, कोल ब्लॉक बनाने का पूरा तरीका यहां देखिए

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पराली समेत दूसरे फसल अवशेष से किसान बना सकते हैं कोयला, कोल ब्लॉक बनाने का पूरा तरीका यहां देखिए

सीतापुर (उत्तर प्रदेश)। आप सिलेंडर तो खरीद सकते हैं पर गैस खत्म हो गई तो क्या करेंगे ? आप माइक्रोवेव, एसी, रूम हीटर, गीजर तो खरीद सकते हैं पर बिजली नहीं हो तो क्या करेंगे? घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि चिंतन करने की जरूरत है, जिस प्रकार से आज तेजी से आबादी बढ़ रही है उसी प्रकार से हम प्राकृतिक स्रोतों का दोहन करने में लगे हैं हमें प्रकृति को समझना होगा। पेड़ नहीं लगेंगे तो शुद्ध हवा कैसे मिलेगी? बारिश कैसे होगी? मिट्टी का कटान कैसे रुकेगा? जंगली जानवर एवं पक्षियों का आसरा कैसे बचेगा?

ऐसे में अधिक से अधिक पेड़ लगाने की जरुरत है, साथ ही खेतो के अवशेषों का सदुपयोग कर पैसे के साथ साथ प्रकृति को भी बचाया जा स‍कता है। खेत का वेस्ट या बागों की सूखी टहनियां या जिसे हम कूड़ा-करकट कहते हैं, उससे आप घर पर स्वयं कोल ब्लॉक बना सकते हैं यह कोल ब्लॉक धुआं मुक्त भी है और इसे आप भंडारण कर रख भी सकते हैं।

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कोल ब्लॉक बनाने के मुख्य चरण...

(1) सूखे वेस्ट अवशेष टहनियों को एकत्रित करें

(2) छोटी चिमनी में जलाकर धुआं मुक्त करें

(3) जले हुए भाग को बाईंडर यानी आटा का घोल बनाकर मिश्रित करें

(4) सांचे में लाने के लिए गिराई मशीन का सहारा लें

(5) छोटे-छोटे कोल ब्लाक को धूप में सुखा लें

(6) सूखे ब्लाक अब बिना धुआँ खाना पकाने, ठंड से बचने या अन्य कार्यों के लिए तैयार है।

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जानकारी के लिए बता दें कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने भारत सरकार के सीड डिवीजन द्वारा वित्त पोषित एवं उत्प्रेरित व कृषि विज्ञान केंद्र कटिया, सीतापुर द्वारा संचालित ग्रामीण महिलाओं का सहयोग कर रही है। वे महिलाओं के श्रम को कम करने की पूरी तैयारी में हैं। ऐसे में ईधन में गोबर के उपयोग को कम कर कृषि अवशेषों के सदुपयोग लिए डॉ सौरभ गृह वैज्ञानिका एवं प्रधान अन्वेषक की निगरानी में ग्रामीण महिला तकनीकी पार्क विकसित किए जा रहे हैं। जिसमें डॉ डीएस श्रीवास्तव एक सह अन्वेषक की भूमिका अदा कर रहे हैं।


   

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