इस साल भी देश में चीनी के बंपर उत्पादन का अनुमान, स्थिर रह सकती हैं कीमतें

Mithilesh DharMithilesh Dhar   28 Feb 2020 6:00 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
ISMA, sugar production, sugar production in 2020-21, cane area, cane yieldsकई राज्यों में भारी बारिश की वजह से गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचा था फिर भी उत्पादन में बढ़ोतरी का अनुमान है।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) का अनुमान है कि चालू पेराई सीजन (1 अक्टूबर 2019 से) में चीनी का उत्पादन पहले अनुमान से पांच लाख टन ज्यादा हो सकता है। इससे पहले इस्मा ने नवंबर 2019 में देश में 260 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान जारी किया था जो कि पिछले साल के 330 लाख टन से 70 लाख टन कम था।

इस्मा की ताजा रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन पिछले पेराई सीजन 2018-19 के लगभग बराबर 118 लाख टन तक होने का अनुमान है।

निजी चीनी मिलों के सबसे बड़े संगठन इस्मा (Indian Sugar Mills Association) का अनुमान है चालू पेराई सीजन 2019-20 में चीनी का उत्पादन 265 लाख टन हो सकता है, जो कि पहले अनुमान से दो फीसदी ज्यादा है। इससे पहले खाद्य मंत्रालय ने अनुमान जताया था कि इस साल देश में चीनी का उत्पादन करीब 2.7 करोड़ टन रह सकता है।

यह भी पढ़ें- देश की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 2,400 करोड़ रुपए बकाया

इस्मा की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019-20 में चीनी का उत्पादन पिछले साल 2018-19 की अपेक्षा कम है लेकिन देश में खपत के अनुसान पर्याप्त है। पिछले साल के मुकाबले उत्पादन में कमी का मुख्य कारण उत्पादक राज्यों में गन्ना उत्पादन में कमी है। 2018-19 में चीनी उत्पादन 3.32 करोड़ टन था और तब चीनी मिलों ने 15 फरवरी तक करीब 1.7 करोड़ करोड़ चीनी तैयार की थी जो कि इस वर्ष के बराबर ही है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस साल उत्पादन अनुमान से थोड़ा और बढ़ सकता है।

बेमौसम बारिश, बाढ़ और सूखे के कारण कर्नाटक और महाराष्ट्र में गन्ने की फसल को काफी नुकसान पहुंचा था, इस कारण कुछ राज्यों के चीनी उत्पादन में कमी आने का भी अनुमान है। महाराष्ट्र में पिछले पेराई सीजन में 107.20 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था जबकि चालू पेराई सीजन में केवल 62 लाख टन ही उत्पादन होने का अनुमान है। वहीं बात अगर कर्नाटक की करें तो चीनी का उत्पादन पिछले साल पेराई सीजन के 44.30 लाख टन से घटकर इस पेराई सीजन में 33 लाख टन तक हो सकता है।

इस्मा ने बताया है कि बी-हेवी मलैसज (शीरा) और गन्ना रस का प्रयोग एथेनॉल के उत्पादन में ज्यादा हो रहा है, इस कारण भी चीनी उत्पादन पिछले साल से कम रहने का अनुमान है।

देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 1.18 करोड़ टन रह सकता है जोकि पिछले सीजन 2018-19 के बराबर है।

कृषि व्यापार मामलों के जानकार कमल शर्मा बताते हैं, "एक अक्टूबर 2019 से जब पेराई शुरू हुई थी तब मिलों के पास लगभग 145 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक पहले से ही था। देश में चीनी की सालाना खपत करीब 255 से 260 लाख टन की ही है। ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि इस साल आम लोगों के लिए चीनी की कीमत स्थिर रहेगी।"

"और यह भी देखना होगा उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों की मिलों में पेराई चल रही है। ऐसे में उत्पादन अनुमान से ज्यादा भी हो सकता है।" वे आगे कहते हैं।

इधर मिलों पर बकाया बढ़ता जा रहा

सरकार की तमाम कवायदों के बावजूद किसानों का चिनी मिलों के पास 24,00 करोड़ रुपए रुका हुआ है। पिछले खाद्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार चीनी मिलों पर वर्ष 2018-19 का 2,300 करोड़ रुपए और वर्ष 2017-18 का 100 करोड़ रुपए बकाया है। खाद्य मंत्रालय के अनुसार फरवरी 2020 तक 2018-19 के लिए 87,000 करोड़ रुपए और 2017-18 के सत्र के लिए 85,000 करोड़ रुपए के बकाये का भुगतान करना है, जबकि नियम यह कहता है कि किसानों को अगर 14 दिनों के अंदर पैसे नहीं मिलते तो मिलों को बकाये पैसे पर 15 फीसदी सालाना ब्याज देना होता है।

सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर में तो स्थिति और खराब है। जबकि प्रदेश सरकार ने भी वादा किया था कि प्रदेश के गन्ना किसानों को भुगतान हर हाल में 14 दिनों के अंदर किया जायेगा। उत्तर प्रदेश शुगर मिल एसोसिएशन से मिली रिपोर्ट के अनुसार चालू पेराई सीजन 2019-20 के पहले पांच महीनों में, एक अक्टूबर से 20 फरवरी 2020 तक राज्य की चीनी मिलों पर किसानों का बकाया बढ़कर 7,392.47 करोड़ रुपए पहुंच गया है जबकि पेराई सीजन 2018-19 का 515.55 करोड़ रुपए बकाया है। यही नहीं, पेराई सीजन 2017-18 का 40.45 करोड़ रुपए और पेराई सीजन 2016-17 का 22.29 करोड़ रुपए चीनी मिलों पर बकाया है।

उत्तर प्रदेश में इस समय 119 चीनी मिलों में पेराई चल रहा है। चीनी उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश टॉप पर है। प्रदेश में 35 लाख से अधिक किसान परिवार गन्ने की खेती से जुड़े हुए हैं। वर्ष 2019-20 में 26.79 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ने की खेती हो रही है

उत्तर प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र में भी किसानों का पैसा चीनी मिलों में फंसा हुआ है। महाराष्ट्र चीनी आयुक्तालय की रिपोर्ट के अनुसार चालू पेराई सीजन में 15 दिसंबर 2019 तक मिलों ने 534.80 करोड़ रुपए का गन्ना किसानों से खरीदा है जिसमें से भुगतान 111.55 करोड़ रुपए ही हुआ है। इस तरह चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया 415.24 करोड़ रुपए पहुंच गया है।


  

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.