विशेषज्ञों ने कहा, पंजाब के मालवा क्षेत्र में कैंसर का कारण कीटनाशक नहीं

लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के बलविंदर सिंह ने कहा कि कीटनाशक कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण अवयव है और मानव जाति और पर्यावरण के लाभ के लिए इसका ठीक से से इस्तेमाल किया जाना चाहिए

गाँव कनेक्शनगाँव कनेक्शन   27 April 2019 11:44 AM GMT

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विशेषज्ञों ने कहा, पंजाब के मालवा क्षेत्र में कैंसर का कारण कीटनाशक नहीं

लखनऊ। उद्योग संगठन और विशेषज्ञों ने शुक्रवार को उन दावों को खारिज कर दिया जिनमें पंजाब के मालवा क्षेत्र में कैंसर से होने वाली मौतों के लिए कीटनाशकों के उपयोग को एकमात्र कारण बताया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस खतरनाक बीमारी के लिए कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं।

एक विज्ञप्ति के मुताबिक पर्यावरण और कृषि केंद्र के साथ-साथ क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक आउटरीच कार्यक्रम में प्रख्यात विष विज्ञानी और शोधकर्ताओं के एक दल ने बताया कि कैसे कई अन्य कारणों से कैंसर से मौतें हो रहीं हैं। क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष (प्रौद्योगिकी समिति) अजीत कुमार ने कहा, "जब कीटनाशक का उपयोग बेहतर कृषि कामकाज (जीएपी) में होता है तो वे कोई स्वास्थ्य जोखिम पैदा नहीं करते। भारत में इस संबंध में एक मजबूत नियामक प्रणाली है।"

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प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: इंटरनेट

विष विज्ञानी तेजस प्रजापति ने इस बात पर जोर दिया कि सामाजिक-आर्थिक कारक कैंसर की दर और मृत्यु दर को प्रभावित करते हैं और भवष्यि में यह एक बड़ी चुनौती बन जाएंगे। "कैंसर की दर, कैंसर के प्रकार और कैंसर की मृत्यु दर दुनिया भर में व्यापक रूप से अलग-अलग होती है। कम से कम पर्यावरण या जीवनशैली जोखिम ऐसे कारक हैं जो सभी कैंसर से होने वाली मौतों का 50 प्रतिशत हिस्सा हैं।"

उन्होंने कहा कि व्यापक तौर पर कैंसर से होने वाली मौतों के लिए तम्बाकू सेवन सबसे प्रमुख कारण है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में, इन जोखिम कारकों को कम करने की रणनीतियों को तैयार करने से विश्व स्तर पर कैंसर के बोझ को कम करने की दिशा में बेहतर परिणाम मिलेगा।

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लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के बलविंदर सिंह ने कहा कि कीटनाशक कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण अवयव है और मानव जाति और पर्यावरण के लाभ के लिए इसका ठीक से से इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया, "वैकल्पिक नियंत्रण उपायों को लागू करने के अलावा, जीएम फसलों के उपयोग से कीटनाशकों पर निर्भरता कम हो सकती है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि खाद्यान्न में रासायनिक अवशेषों की नियमित निगरानी को राष्ट्रीय प्राथमिकता दी जाए।"

प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: इंटरनेट

देश में सबसे ज्यादा कैंसर पीड़ित पंजाब के मालवा क्षेत्र में हैं। बठिंडा, श्री मुक्तसर साहिब, मानसा व फरीदकोट कैंसर की चपेट में है। बठिंडा में ही तीन साल में कैंसर एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। मालवा में बढ़ रहे कीटनाशकों के प्रयोग व पानी में यूरेनियम की अधिक मात्रा होने के चलते कैंसर पांव पसार रहा है।

एक कार्यक्रम में पहुंचे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महिंद्रा ने कहा था, मालवा क्षेत्र के चार जिलों श्री मुक्तसर साहिब, मानसा, बठिंडा और फिरोजपुर में कैंसर के बढ़ रहे मामले चिंता जनक हैं। इस क्षेत्र में कैंसर के प्रति एक लाख आबादी के पीछे 107 मामले होना बड़ी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा था, भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर और टाटा मेमोरियल कैंसर रिसर्च सेंटर, मुंबई के सहयोग से बहुत जल्द न्यू चंडीगढ़ में 300 बिस्तर वाला कैंसर ट्रीटमेंट सेंटर जल्द खोला जाएगा, जिससे मरीजों को लाभ मिल सके।

लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के बलविंदर सिंह ने कहा कि कीटनाशक कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण अवयव है और मानव जाति और पर्यावरण के लाभ के लिए इसका ठीक से से इस्तेमाल किया जाना चाहिए


     

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