अंडा-चिकन खाने से नहीं फैलता कोरोना वायरस, अफवाहों के चलते पोल्ट्री इंडस्ट्री को लाखों का नुकसान

Divendra SinghDivendra Singh   6 March 2020 9:53 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
अंडा-चिकन खाने से नहीं फैलता कोरोना वायरस, अफवाहों के चलते पोल्ट्री इंडस्ट्री को लाखों का नुकसान

सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे कोरोना वायरस के अफवाहों का असर सबसे ज्यादा पोल्ट्री इंडस्ट्री पर पड़ा है। इससे पिछले एक महीने में पोल्ट्री इंडस्ट्री का लाखों का नुकसान हुआ है।

"पहले से ही घाटे में चल रहे पोल्ट्री व्यवसाय कोरोना के अफवाह से और नुकसान उठा रहा है। जबकि लोगों को जागरुक भी किया जा रहा है। बाजार न मिलने से मजबूरी में सस्ते में बेचना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश में तो 40 प्रतिशत फार्म पहले से ही बंद हो चुके हैं। अगर ऐसा ही रहा तो सभी को बंद करना पड़ेगा।" पांच हजार से ज्यादा पोल्ट्री कारोबारियों के संगठन उत्तर प्रदेश पोल्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष अली अकबर कहते हैं।

ऑल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन (एआईपीबीए) दो मार्च को सरकार से राहत पैकेज की मांग करते हुए दावा किया कि इस क्षेत्र में एक महीने में लगभग 1,750 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है। चिकन की मांग में गिरावट के कारण पोल्ट्री बर्ड की कीमतें 10-30 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर गई हैं, जबकि उत्पादन की औसत लागत 80 रुपये प्रति किलोग्राम है।

भारतीय पोल्ट्री उपकरण निर्माता संघ (आईपीईएमए) के अध्यक्ष चंद्रशेखर राव बताते हैं, "अफवाहों के चलते पोल्ट्री से जुड़े लाखों लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है, चिकन की बिक्री में 30-35 प्रतिशत तक कमी आ गई है। अगर ऐसा ही रहा तो आगे और भी नुकसान होगा।"


इन अफवाहों को लेकर एफएसएसएआई प्रमुख जी एस अयंगर ने गुरुवार को कहा कि ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि कोरोनोवायरस चिकन, मटन और सीफूड खाने से फैलता है। यह वायरस उच्च तापमान में जीवित नहीं रहेगा। उन्होंने कहा, "यह मूल रूप से एक पशु वायरस है। एक वैज्ञानिक होने के नाते मैं कह सकता हूं कि चिकन, मटन और सीफूड खाने से कोरोना का संक्रमण नहीं फैल सकता। इसके बारे में लोगों की गलत धारणा है। यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं है।

देश में पोल्ट्री उद्योग का कुल कारोबार 90 हजार करोड़ रुपए का है, जिसमें 65 प्रतिशत हिस्सा चिकन मीट का और 35 फीसदी हिस्सा अंडे का है। पोल्ट्री इंडस्ट्री का भारत में तेजी से विस्तार हुआ है। तेलंगाना, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से लेकर से पंजाब-हरियाणा और उत्तर प्रदेश में करोड़ों लोग इस कारोबार से जुड़े हैं।

केंद्रीय पशुपालन, डेयरी व मत्स्य पालन मंत्री गिरिराज सिंह ने भी कोरोना वायरस को लेकर चल रही अफवाओं से बचने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि चिकन, मछली और अंडे खाने से कोरोना वायरस नहीं फैलता है, जिसे खाना है खूब खाए। मछली, चिकन या अंडा खाने से शरीर में प्रोटीन की कमी पूरी होती है।

गिरिराज सिंह ने ट्वीट किया, 'कोरोना वायरस का संबंध कहीं भी मछली, अंडे और चिकन से साबित नहीं हो पाया है. अफवाहों से बचें. मछली, अंडा और चिकन छोड़ने से प्रोटीन की कमी हो सकती है। इसलिए स्वच्छता का ध्यान रखें और सभी भोजन अच्छी तरह पकाकर खाएं।'

नेशनल एग कोऑर्डिनेशन कमेटी (NEC) के आंकड़ों के अनुसार, अंडे की कीमतें एक साल पहले के मुकाबले लगभग 15 फीसदी कम हैं। नेशनल एग कोऑर्डिनेशन कमेटी (NECC) के आंकड़ों के हिसाब से अहमदाबाद में अंडे की कीमतें फरवरी 2019 के मुकाबले 14 फीसदी कम हैं, जबकि मुंबई में यह 13 फीसदी, चेन्नई में 12 फीसदी और वारंगल (आंध्र प्रदेश) में 16 फीसदी कम है।

केंद्रीय पशुपालन, डेयरी व मत्स्य पालन मंत्री गिरिराज सिंह अपने कार्यालय में मीडिया को कोरोना वाइरस से जुड़ी भ्रांति और इसके इर्द गिर्द झूठे भय के माहौल को दूर करने के लिए सम्बोधित किया।‬

महाराष्ट्र पोल्ट्री फार्मर एंड ब्रीडर एसोसिएशन के अनुसार जनवरी 2020 में महाराष्ट्र में ब्रायलर का दाम 75.56 रुपए प्रति किलो रहा, जबकि जनवरी 2019 में 72.97 प्रति किलो था। लेकिन फरवरी 2020 में इसका दाम 43.39 प्रति किलो हो गया, जबकि फरवरी 2019 में इसका दाम 69.27 रुपए प्रति किलो था, जिसमें 32 रुपए प्रति किलो का अंतर देखा जा सकता है।

नेशनल एग कोऑर्डिनेशन कमेटी (एनसीईई) के सीईओ डॉ इज़ील कुमार ने कहा, "देश में हजारों मुर्गी किसान चिकन और अंडे की बिक्री में अचानक गिरावट के कारण गंभीर तनाव में हैं। पोल्ट्री क्षेत्र को लगभग 400 करोड़ का नुकसान हुआ है और हैदराबाद को केवल तीन सप्ताह में 100 करोड़ का नुकसान हुआ है।"

मक्का और सोयाबीन के किसानों पर भी इसका असर पड़ेगा क्योंकि देश में सोयाबीन खाने और मक्का के लिए कोई बाजार नहीं है। पिछले दिनों में मक्का के दाम 25 रुपए प्रति किलोग्राम से घटकर 15 रुपए प्रति किलोग्राम हो गए हैं। देश में कुल मक्का का लगभग 47 फीसदी इस्तेमाल पॉल्ट्री फीड बनाने में ही इस्तेमाल किया जाता है। मक्के के अलावा सोयाबीन दूसरा बड़ा घटक है।


तेलंगाना में फीड और फीड बनाने वाली मशीन का कारोबार करने वाली फर्म साई दुर्गा इंडस्ट्री के मैनेजिंग डायरेक्टर पर्वत रेड्डी फोन पर बताते हैं, "हमारे यहां पोल्ट्री फीड बनाने के लिए मशीनों को ऑर्डर आता है, लेकिन पिछले एक-दो महीने में फीड और फीड बनाने की मशीनों के ऑर्डर आने कम हो गए हैं। अगर फार्मर को मार्केट ही नहीं मिलेगा तो क्या करेगा। यहां पर कई कंपनियों का यहीं हाल है। इससे मक्के के दाम में भी कमी आयी है।"

देश में कई कंपनियां किसानों से ठेके पर अंडा-चिकन पालन करवाती हैं। इस काम में जगह, स्ट्रक्चर और देखरेख किसान की होती है, वहीं चूजा, फीड और दवा की लागत कंपनियां उठाती हैं। बदलते में किसान को तैयार चूजे पर प्रति किलो के हिसाब से कमीशन मिलता है।

कई राज्यों में अफवाहों पर रोक लगाने के और जागरुक करने के लिए चिकन मेला का भी आयोजन हो रहा है। छत्तीसगढ़ के महासमुंद में चिकन मेला लगाने वाले अलोक कुमार पांडेय भी पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। वो बताते हैं, "पिछले कुछ दिनों में लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है, इसी लिए हम जगह-जगह पर मेला का आयोजन करा रहे हैं, ताकि पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े लोगों का कुछ तो फायदा हो जाए। हमारे यहां तो कई जिलों में ये मेला लगाया गया है और आगे मार्च तक कई और जिलों में लगेगा। इसमें हम 50 रुपए के कूपन से चिकन बिरयानी, चिकन करी, अंडा करी यहां खाने और साथ ही पार्सल के लिए भी देते हैं।"

ये भी पढ़ें : कोरोना वायरस के डर को खत्म करने के लिए कई प्रदेशों में लग रहा चिकन मेला


   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.