फेक न्यूज: भूख से हुई किसान और बैलों की मौत

इस तस्वीर से किसी पेज को 56,000 शेयर मिले तो किसी पेज को 35,000 शेयर।

Deepanshu MishraDeepanshu Mishra   26 July 2018 10:15 AM GMT

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फेक न्यूज: भूख से हुई किसान और बैलों की मौत

लखनऊ। अगर आप सोशल मीडिया पर खबरें पढ़ रहे हैं तो थोड़े सावधान हो जाएं। ऐसी खबरों पर तुरंत यकीन न करें क्योंकि सच खबरों को पीछे कर झूठी ख़बरें आप तक तेजी से फैलाई जा रही हैं।

हाल में सोशल मीडिया पर एक फोटो तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें दो बैल के साथ-साथ एक किसान मृत अवस्था में खेत में पड़ा हुआ है। किसान के साथ चप्पल की तस्वीर भी वायरल हो रही थी। उस तस्वीर में मृत बैलों की मौत का कारण भूख बताया गया।

लोगों ने तेजी से इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर वायरल किया और सरकार पर सवाल उठाने लगे, 'जब देश में भूख से जानवर मर रहे हैं तो बुलेट ट्रेन लाना बेकार है' और बड़ी-बड़ी बातें करना बेकार है, लेकिन इस तस्वीर की सच्चाई कुछ और ही थी।

सोशल मीडिया में तेजी से वायरल की इस तस्वीर की सच्चाई को कुछ न्यूज़ वेबसाइट ने भी उजागर किया। तस्वीर की सच्चाई यह थी कि मध्य प्रदेश के देवास जिले के पुंजापुरा में एक चने का खेत तैयार करने के लिए किसान अपने दो बैलों के साथ खेत में काम कर रहा था, जहां पर मौसम खराब होने के कारण आकाशीय बिजली गिरी और किसान के साथ-साथ बैलों की भी मौत हो गई थी। इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर भूख से हुई मौत का कारण बताकर वायरल कर दिया गया था।

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इतना ही नहीं, किसान के साथ जिस चप्पल की तस्वीर वायरल हो रही थी, उस चप्पल का किसान के साथ कोई लेना-देना नहीं है। चप्पल एक अफ्रीकन कंपनी हलवासिया की है, जो किसान के साथ जोड़कर वायरल किया जा रहा था। इस तस्वीर से किसी पेज को 56,000 शेयर मिले तो किसी पेज को 35,000 शेयर मिले और देखते-देखते ये तस्वीर तेजी से फ़ैल गई।


इन मुद्दों पर काम करने वाली और आईपीएस ऑफिसर रीमा राजेश्वरी गाँव कनेक्शन से बताती हैं, "हम हर बात में डिजिटल और सोशल मीडिया को गलत नहीं ठहरा सकते हैं। लोगों को बार-बार कई माध्यमों से बताया जाता कि इन खबरों पर विश्वास मत करो, ये खबरे झूठी हैं, लेकिन लोग फिर भी उन्हीं खबरों पर जाते हैं तो इन सब चीजों में लोगों की भी गलती है। हम सिर्फ किसी एक की गलती दें, ये गलत है, इसमें डिजिटल और सोशल मीडिया के साथ-साथ लोगों का भी दोष है।"

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साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट चाटक बाजपेई बताते हैं, "हम खुद भी तस्वीरों को पता लगा सकते हैं कि तस्वीर सही है या गलत है। एंड्राइड फ़ोन में जिओ लोकेशन के द्वारा सब कुछ पता चल जाता है। लोगों को इसके लिए जागरूक होना चाहिए कि उन्हें कोई भी गलत चीज आगे नहीं बढ़ानी है। लोगों को यह भी जानकारी होनी चाहिए कि किसी भी तस्वीर या खबर को आगे बढ़ाने से पहले उसकी सच्चाई पता की जानी चाहिए।"

गाँव कनेक्शन और फेसबुक मिलकर चला रहे मुहिम

ऐसी झूठी खबरों और तस्वीरों से लोगों को जागरूक करने के लिए गाँव कनेक्शन और फेसबुक ने मिलकर एक मुहिम 'मोबाइल चौपाल' शुरू की है, जिसमें गाँव, शहर, स्कूल, कॉलेज सभी जगहों पर गाँव कनेक्शन के 'गाँव रथ' के साथटीम जाती है और लोगों को जादू और नाटक के माध्यम से जागरूक करती है कि झूठी ख़बरों से खुद पहचान सकते हैं और कैसे सोशल मीडिया का बेहतर उपयोग कर सकते हैं।

तब सबसे ज्यादा फैलती हैं फेक न्यूज

एनबीसी में छपी मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के मीडिया लैब की एक रिपोर्ट के अनुसार, किसी तरह की प्राकृतिक आपदा, राजनैतिक संकट आदि के वक्त झूठी खबरें तेजी से फैल रही हैं। इसका सबसे अधिक असरदुनियाभर के राजनीतिक खबरों पर सबसे अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस शोध में कुल 1,26,000 खबरों को शामिल किया गया था, जिसे 3 मिलियन लोगों ने वर्ष 2006 से 2017 के बीच ट्विटर पर शेयर किया और री-ट्वीटकिया। यह आंकड़ा सही खबरों के मुकाबले 70 फीसदी ज्यादा है।

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