महोबा का यह किसान करता है बागवानी और सब्जी की खेती, कमाई से हर साल खरीदता है पांच बीघा खेत

महोबा के इस किसान ने परंपरागत खेती छोड़ शुरू की बागवानी और सब्जी की खेती, सब्जी की कमाई से धूमधाम से की बेटी की शादी, पोते पढ़ते हैं अच्छे स्कूल में

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   24 Nov 2018 9:45 AM GMT

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महोबा का यह किसान करता है बागवानी और सब्जी की खेती, कमाई से हर साल खरीदता है पांच बीघा खेत

महोबा। " मैंने अपनी बेटी की शादी एक डॉक्टर से बड़े धूमधाम से की थी। मेरे पोते महोबा के सबसे अच्छे स्कूल में पढ़ते हैं। मैं हर साल पांच बीघा जमीन जरूर खरीदता हूं। यह सब संभव हो पाया है खेती से।" ये कहना है विकास खंड कबरई के गांव सिजहरी निवासी किसान हर गोविंद सैनी का। हर गोविंद परंपरागत खेती छोड़ आधुनिक तरीके से सब्जी और बागवानी से हर साल लाखों रुपए कमा रहा हैं।

विकासखंड कबरई के गांव सिमरही निवासी हरगोविंद सैनी(52वर्ष) दस साल पहले अपने खेतों में गेहूं, चना और मटर की खेती करते थे। लेकिन उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं होता था। हरगोविंद ने बताया, " मुझे जिला उद्यान अधिकारी ने बागवानी और सब्जी खेती करने की बात कही। उन्होंने मुझे आधुनिक तरीखे से खेती करने की सलाह दी।

मैं भी समय-समय पर उद्यान विभाग जाकर जानकारियां लेता रहता हूं। अब मुझे सब्जी की खेती से काफी मुनाफा होता है। एक साल में करीब 20 लाख रुपए कमा लेता हूं। मैंने अपनी बेटी की शादी बड़े ही धूमधाम से की। दामाद को उपहार में एक कार उपहार में दिया। यह सब खेती की कमाई से ही संभव हो पाया। मेरे पाते महोबा के सबसे अच्छे स्कूल में पढ़ते हैं। "

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हर गोविंद को अपनी सब्जियों को बेचने महोबा मंडी ले जाते हैं।

हरगोविंद ने बताया, मेरे पिता से मुझे बस पांच बीघे जमीन मिली थी। उसी जमीन पर मैंने सब्जी और बागवानी करनी शुरू कर दी। धीरे-धीरे मुझे काफी मुनाफा होता गया। हम लोग कमाई से बहुत खेत खरीदते गए। आज मेरे पास 30 बीघा जमीन है। "


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हरगोविंद ने दो हेक्टेयर में नींबू के बाग लगा रखे हैं। इसके साथ-साथ एक हेक्टेयर में आंवले के बाग लगे हैं। बाकी जमीन में बैंगन, मिर्च, मटर, ककड़ी, खीरा और अन्य सब्जियों की खेती करते हैं। हर गोविंद ने बताया, हर साल मैं सात लाख रुपए नींबू बेचकर कमा लेता हूं। करीब 1 लाख रुपए आंवला, पांच लाख रुपए बैंगन, दो लाख लाख धनिया और एक लाख रुपए मिर्च बेचकर कमा लेते हूं।

सिंचाई के लिए पूरे खेत में लगा हुआ है ड्रिप इरिगेशन।

ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से करते हैं सिंचाई

हर गोविंद ड्रिप इरिगेशन विधि द्वारा खेतों में सिंचाई करते है। उन्होंने बताया, " पहले मैं नालियों से सिंचाई करते था, जिसमें समय और पानी दोनों बहुत लगता था। हमारे बुंदेलखंड में वैसे भी पानी की बहुत समस्या है। इससे कम पानी में ही पूरी सिंचाई हो जाती है। अगर किसान खेत में साधारण सिंचाई के बजाय ड्रिप सिंचाई विधि का प्रयोग करे तो तीन गुना ज्यादा क्षेत्र में उतने ही पानी में सिंचाई कर सकते हैं।


ड्रिप सिंचाई का प्रयोग सभी फसलों की सिंचाई में करते हैं, लेकिन बागवानी में इसका प्रयोग ज्यादा अच्छे से होता है। अगर कोई किसान बागवानी करना चाहता है तो पौधे लगाने से पहले उसे ड्रिप इरिगेशन लगवानी चाहिए। लघु सीमांत किसानों को 90 तो सामान्य को 80 प्रतिशत का अनुदान योजना पर दिया जा रहा है।"

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बैंगन की खेती से हर गोविंद हो होता है काफी मुनाफा

बेटा का भी मिलता है पूरा सहयोग

हर गोविंद का बेटा प्रेम चंद्र (35वर्ष) भी अपने पिता के साथ खेती का काम करता है। प्रेम चंद्र ने बताया, " पहले मैं किराने की दुकान चलाता था। हर माह करीब 40 हजार रुपए कमा भी लेता था, लेकिन मैंने देखा कि दुकान से ज्यादा मुनाफ खेती में है। मेरे पिता मुझसे ज्यादा कमात थे। फिर मैंने दुकान बंद कर पिता जी के साथ खेती करने लगा। अब हम लोगों को काफी आमदनी होने लगी है। कमाई से हम लोग हर साल चार-पांच बीघा खेत खरीदते हैं।"

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खेती की कमाई से हर गोविंद ने एक कार भी खरीद ली है।

गांव के दो दर्जन लोगों को दे रखा है रोजगार

बुंदेलखंड में पानी और बेरोजगारी की समस्या बहुत है। ऐसे में हर गोविंद ने गांव के करीब दो दर्जन से ज्यादा लोगों को गांव में ही रोजगार मुहैया करा रखा है। हर गोविंद के खेत में गांव के ही लोग काम करते है। इसमें से ज्यादातर महिलाएं और युवतियां होती हैं। इसी गांव की रहने वाली सीता ने बताया, " एक दिन का हमें 100 रुपए मिलता है। मुझे अच्छा लगता है कि मुझे पैसों के लिए किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ता है। मेरे साथ गांव की कई लड़कियां बाबा के खेत में काम करती हैं।"

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