किसान आंदोलन : कड़ाके की ठंड के बीच बारिश से भीगा किसानों का राशन, गद्दे और कपड़े, टेंटों के भीतर भरा पानी

कड़ाके की ठंड के बीच नई दिल्ली की सड़कों पर पिछले 42 दिनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं। मगर पिछले तीन दिनों से हो रही बारिश ने किसानों ने मुश्किलों को और भी बढ़ा दिया है। बारिश की वजह से न सिर्फ उनका राशन भीग गया, बल्कि टेंटों के अंदर भी पानी भर गया है।

shivangi saxenashivangi saxena   5 Jan 2021 12:47 PM GMT

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किसान आंदोलन : कड़ाके की ठंड के बीच बारिश से भीगा किसानों का राशन, गद्दे और कपड़े, टेंटों के भीतर भरा पानीनई दिल्ली में बारिश की वजह से आंदोलन कर रहे किसानों की बढ़ीं मुश्किलें। फोटो : राहुल यादव

टिकरी बॉर्डर ( नई दिल्ली)। नए साल के पहले दिन दिल्ली पिछले 15 सालों में सबसे ज्यादा ठंडी रही। इसके बाद तीन जनवरी से शुरू हुई बारिश अभी भी थमने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों की मुसीबत बढ़ गई।

पिछले तीन दिनों से हो रही बारिश की वजह से ट्रैक्टर-ट्रालियों में अपने साथ लेकर आए किसानों का राशन, गद्दे, कपड़े सब कुछ भीग चुका है। किसी तरह सड़कों पर टेंट लगाकर रह रहे किसान अपने सामान को बारिश और कीचड़ से बचाने की कोशिश कर रहे हैं। राशन भीग जाने की वजह से अब कुछ ही लंगरों में किसानों के लिए खाना तैयार हो रहा है।

इस सबके बावजूद नए कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे किसान पीछे हटने को तैयार नहीं है और इन मुश्किलों के बाद भी उनके हौसले और बुलंद हो चुके हैं। किसानों का कहना है कि जब तक सरकार इन काले कानूनों को वापस नहीं लेगी, हम यहाँ से हटने वाले नहीं है।

बारिश के बीच रेनकोट पहने अपने साथियों की मदद कर रहे पंजाब के एक किसान जगजीत सिंह 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "हमें परमात्मा से कोई शिकायत नहीं है। यहाँ किसान अपने हकों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। मोदी सरकार को सोचना चाहिए कि किसान महीनों से अपने अधिकार की मांग रहे हैं, फिर भी हर मीटिंग बेनतीजा निकल रही है।"

चार जनवरी को एमएसपी और नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के प्रतिनिधिमंडल के बीच सातवें दौर की वार्ता में भी कुछ नतीजा निकल कर सामने नहीं आया और अब अगली बैठक आठ जनवरी को तय की गयी है। किसानों की मांग है कि सरकार किसानों को एमएसपी की गारंटी दे और नए कृषि कानूनों को वापस ले। मगर नई दिल्ली के छह बॉर्डर पर पिछले 42 दिनों से आंदोलन कर रहे किसानों के हाथ अब तक खाली हैं और कड़ाके की ठंड के बीच लगातार हो रही बारिश से उनकी समस्याएं और भी बढ़ गयी हैं।

दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर जब 'गाँव कनेक्शन' किसानों के बीच पहुंचा तो फुटपाथ पर अपना टेंट लगाये फतेहाबाद के एक किसान निर्मल सिंह अपने अन्य साथियों के साथ रात का खाना बनाने में जुटे थे। बारिश के बीच एक ओर निर्मल जहाँ खाना बनाने की कोशिश कर रहे थे, वहीं उनके साथी तिरपाल को पकड़े हुए थे ताकि बारिश का पानी खाने में न जाए।

बातचीत में निर्मल बताते हैं, "किसी को नहीं लग रहा था कि इतना नुकसान हो जाएगा। हम लोगों के सोने के लिए जो गद्दे-चादर बिछे थे, वो भी भीग गए, अब हम लोगों को रात बैठ कर ही गुजारनी होगी।"

फुटपाथ पर निर्मल के टेंट से थोड़ी दूर पर बलविंदर सिंह भी बारिश के बीच टेंट के भीतर बैठे दिखाई दिए। करीब 75 वर्ष के बलविंदर एक महीने पहले संगरूर से टिकरी बॉर्डर पहुंचे थे। बारिश के बाद उन्हें हल्का बुखार और सिरदर्द महसूस हुआ जिसके बाद उनके परिवार ने उन्हें तुरंत दवाई दी। बलविंदर का कहना है कि जब तक वो सरकार से क़ानून वापस नहीं करा लेते, घर नहीं लौटेंगे।

ठण्ड और बारिश के बीच यहाँ अपनी मांगों के लिए डटे किसानों की समस्याएँ कम नहीं हैं। बारिश के बीच दिल्ली मेट्रो स्टेशन का पानी पाइप के जरिये रोड पर आ जाता है। सीवरेज ठीक न होने की वजह से सड़क पर पानी भरता गया और पर कीचड़ के साथ मिल गया। कुछ किसानों ने डंडे के जरिये सीवर में बंद पाइप को खोलने की कोशिश भी की, मगर कीचड़ और फिसलन के बीच वो अपने टेंट के पास सिर्फ मिट्टी दाल पाए ताकि सीवर का गंदा पानी आगे न बढ़े।

"यह देखिये, नीचे प्लास्टिक बिछी है, उसके बावजूद हमारे सोने के लिए जो गद्दे-चादरें हैं, सब भीग चुके हैं। यही सीवर का पानी हमारे गद्दों पर आता है। बारिश अभी भी हो रही है, मगर हम किसान हार मानकर पीछे हटने वालों में से नहीं हैं। हर कोई परेशान है, मगर हम तीनों कानूनों को वापस कराये बगैर जाने वाले नहीं।"

टिकरी बॉर्डर पर सड़कों और फुटपाथ पर डेरा जमाए किसानों के कई टेंट लगे हैं। किसी का तेज हवा और बारिश में तिरपाल फट गया है तो किसी के पंडालों में पानी भर गया है। कड़ाके की ठंड के बीच इस किसान आंदोलन में अब तक 60 से ज्यादा किसान अपनी जान गवां चुके हैं।

इस बीच बातचीत में किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी के प्रांतीय सचिव सर्वण सिंह पंधेर 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "बेशक किसानों की हर रोज़ शहादतें हो रही हैं, लेकिन इस तरह की मुश्किलों के बावजूद किसान हर मोर्चे पर डटे हुए हैं। इस समय केन्द्र सरकार का रुख़ आंदोलन के प्रति संजीदा नहीं है। ज़ाहिर हो रहा है कि आठ जनवरी को होने वाली मीटिंग में से भी कुछ हासिल नहीं होगा।"

सर्वण सिंह पंधेर के अनुसार, अगर सरकार किसानों की मांगे नहीं मानती हैं तो किसान 26 जनवरी को परेड निकालेंगे और तमाम बैरिकेड तोड़कर दिल्ली कूच करेंगे।

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