सरकार के साथ 8वें दौर की वार्ता से पहले किसानों का ट्रैक्टर मार्च, कहा- ये 26 जनवरी का ट्रेलर है

किसान और सरकार के बीच 8वें दौर की वार्ता से पहले निकाले गए ट्रैक्टर मार्च को किसानों ने 26 जनवरी की परेड का ट्रेलर बताया है।

Arvind ShuklaArvind Shukla   7 Jan 2021 6:45 PM GMT

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किसान आंदोलन का 43वां काफी हलचल भरा रहा। हजारों ट्रैक्टर के साथ आंदोलनकारी किसानों ने दिल्ली के चारों तरफ ट्रैक्टर मार्च किया, जिसे उन्होंने 26 जनवरी की दिल्ली परेड का ट्रेलर बताया है। वहीं दूसरी तरफ पंजाब में भाजपा से जुड़े कई नेताओं और विधायकों ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की है।

कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी जामा पहनाने की लड़ाई लड़ रहे किसानों ने 7 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च कर अपनी ताकत दिखाई। सरकार के साथ एक और दौर की वार्ता से पहले संयुक्त किसान मोर्चा के अह्वान पर दिल्ली और हरियाणा के बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों ने पांच अलग-अलग जत्थों में निकलकर कोंडली-पलवल मानेसर हाईवे पर ट्रैक्टर मार्च किया। इतनी बड़ी संख्या में ट्रैक्टरों की रैली को लेकर सोशल मीडिया में काफी चर्चा हो रही है। खुद किसानों ने कहा कि आज जितने ट्रैक्टर मार्च में शामिल हुए हैं उससे ज्यादा ट्रैक्टर 26 जनवरी को दिल्ली की परेड में शामिल होंगे, अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी।

किसान संगठनों के मुताबिक 5000 से 8000 ट्रैक्टर के साथ किसानों ने 7 जनवरी को दिल्ली के बाहरी इलाकों में केएमपी हाईवे पर मार्च किया। फोटो अमित पांडे

कोंडली मानेसर पलवल हाईवे पर ट्रैक्टर मार्च कर किसान अपने-अपने धरना स्थलों, सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, शाहजहांपुर बॉर्डर, टिकरी आदि जगहों पर लौट गए। इस दौरान शाजहांपुर बॉर्डर से एक फेसबुक लाइव में योगेंद्र यादव ने कहा, "ये ट्रैक्टर मार्च देश के इतिहास में याद किया जाएगा। अगर 26 जनवरी तक समाधन नहीं होगा तो हमें ट्रैक्टर मार्च दिल्ली के अंदर लाना होगा। हम नहीं चाहते इस देश के गणतंत्र दिवस की शान में कोई भी धब्बा लगे, किसी तरह का बिघ्न पैदा हो।"

ट्रैक्टर ट्राली में दर्जनों लोगों के साथ मार्च में शामिल हुए हरियाणा के कैथल जिले से आए वीजेंद्र सिंह न कहा, यहां किसान ठँड से मरे जा रहे हैं और सरकार मीटिंग पर मीटिंग कर रही है। एक रात यहां आकर मंत्री लोग देक लें फिर उन्हें पता चलेगा।" सिंघु बॉर्डर पर इसी ट्रैक्टर पर सवाल एक पंजाब के एक बुजुर्ग किसान ने कहा, "शुक्रवार की बैठक में क्या फैसला लेती है ये उसकी मर्जी लेकिन आप आज का ट्रैक्टर मार्च देखेंगे तो पता चलेगा ऐसा आंदोलन कहीं देखा है। ये एक ट्रैलर है, 26 जनवरी को परेड करेंगे, ऐसी परेड़ जैसी देश ने न 26 जनवरी पर देखी होगी ना 15 अगस्त को। सरकार को कानून तो वापस लेने ही होंगे।"

इसी बीच कृषि मंत्रालय में राज्य मंत्री कैलाश चौधरी का बयान भी आया। कृषि राज्य मंत्री और राजस्थान से सांसद कैलाश चौधरी ने कहा, "मैं किसान यूनियन के भाईयों से कहना चाहता हूं कि शांति बनाए रखें। सरकार वार्ता के लिए हमेशा तैयार है। कल की तारीख भी तय है। कल निश्चित रूप से समाधान निकलेगा।" कृषि मंत्री में वामपंथियों पर आंदोलन को भड़काने और किसानों को दिशाभ्रमित करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने किसानों से अपील की कि वो ऐसे लोगों से सतर्क करें।

7 जनवरी को पंजाब में नानकसर गुरुद्वारे के बाबा लाखा सिंह ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा- लोगों की जानें जा रही हैं, बच्चे, किसान, बुजुर्ग और महिलाएं सड़क पर बैठे हैं। दुख असहनीय है। मुझे लगा कि इसे किसी तरह हल किया जाना चाहिए। इसीलिए मैं कृषि मंत्री से मिला था। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को एक प्रस्ताव भेजेगी, कृषि मंत्री ने मुझे आश्वासन दिया कि वो समाधान खोजने में साथ देंगे।

हालांकि देश शाम योगेंद्र यादव ने कहा हमारी जानकारी में सरकार की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। ये सिर्फ मीडिया मैनेजमेंट है ताकि ट्रैक्टर मार्च की खबर ज्यादा न दिखे।

गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद पंजाब बीजेपी के नेता सुरजीत कुमार ज्याणी ने कहा कि सरकार किसानों की सभी मांगों को पूरा करने के लिए तैयार है लेकिन किसान नेता कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हैं। मुझे लगता है कि कुच किसान यूनियन समाधान नहीं चाहती हैं।

गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते पंजाब बीजेपी के नेता सुरजीत कुमार ज्याणी। फोटो- साभार ANI

किसान आंदोलन को लेकर घटनाक्रम बृहस्पितवार को पंजाब बीजेपी के नेता और विधायकों ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। अमित शाह से मुलाकात के बाद पंजाब बीजेपी के नेता सुरजीत कुमार ज्याणी ने कहा, "सरकार किसानों की सभी मांगों को पूरा करने के लिए तैयार है लेकिन किसान नेता कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हैं। मुझे लगता है कि कुछ किसान यूनियन समाधान नहीं चाहती हैं। मुझे लगता है उनकी योजना कुछ और है।"

पंजाब बीजेपी ने नेताओं ने गृह मंत्री से पंजाब में बीजेपी नेताओं और कार्यकार्ताओं के घर बाहर हो रहे प्रदर्शन का मामला भी उठाया। सुरजीत कुमार ज्याणी ने कहा कि पंजाब में कानून व्यवस्था और बर्बाद हो गई है।

इससे पहले मंगलवार को पंजाब बीजेपी के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी। ज्याणी वो नेता हैं जिन्हें साल 2020 में पंजाब में किसान यूनियन से बात करने के लिए बीजेपी की तरफ से बनाई गई किसान समन्वय समिति के अध्यक्ष थे।

सरकार की रणनीति और किसान संगठनों की तैयारियों के बीच 7 जनवरी को दिनभर किसानों के ट्रैक्टर मार्च का मुद्दा छाया रहा। सिंघु बॉर्डर पर ट्रैक्टर में शामिल एक किसान ने कहा- "आज किसानों ने छोटी सी अंगड़ाई ली है। 26 जनवरी को बहुत बड़ी लड़ाई है।"

27 नवंबर से दिल्ली के चारों तरफ पर डेरा डाले हैं किसान

सितंबर 2020 में संसद से कृषि बिलों के विधेयक के रुप में पेश होने के बाद से ही पंजाब और हरियाणा में किसान विरोध जारी है। कई राज्यों के किसानों ने 26-27 नवंबर को चलो दिल्ली का ऐलान किया था। किसान अपने साथ तीन महीने का राशन और रहने का पूरा इंतजाम लेकर चले थे। इस दौरान इन्हें रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने जगह-जगह बैरिकेंड की, हाईवे पर मिट्टी डलवाई, हाईवे को जेसीबी से खुदवाया लेकिन आंदोलनकारी किसान सभी नाकों को तोड़कर 27 नवंबर को दिल्ली पहुंच गए थे।

आंदोलन में भारी संख्या में राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसान भी शामिल हैं। यूपी के किसान गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं तो राजस्थान के किसान हरियाणा-राजस्थान के शाहजहांपुर बॉर्डर पर एक पखवाड़े से जमा है। दिल्ली आने से रोके जाने पर मध्य प्रदेश के किसानों का एक बड़ा जत्था पलवल में भी आंदोलन कर रहा है। इस दौरान किसान संगठनों और सरकार के बीच 7 दौर की वार्ता हो चुकी है। आंठवें दौर की वार्ता 8 जनवरी शुक्रवार को प्रस्तावित है।

सिंघु बॉर्डर से टिकरी बॉर्डर के लिए केएमपी पर मार्च करते किसान। फोटो अमित पांडे, गांव कनेक्शन

किसानों की प्रमुख 4 मांगे हैं

1.तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए।

2.एमएसपी पर संपूर्ण खरीद को कानून बनाया जाए।

3.प्रस्तावित बिजली विधेयक को वापस लिया जाए।

4.पराली संबंधी नए कानून से किसानों को हटाया जाए

अब तक दो मांगों पर बनी है सहमति

1."इलेक्ट्रिसिटी एक्ट' जो अभी आया नही हैं। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक किसान चाहते हैं, सिंचाई के लिए जो सब्सिडी राज्यों को दी जाती है वो उसी तरह जारी रहे, इस पर किसान यूनियन और सरकार के बीच सहमति हो गई है।

2. कृषि मंत्री के मुताबिक सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई छठे दौर की वार्ता में बिजली संशोधन विधेयक 2020 और Delhi-NCR से सटे इलाकों में पराली जलाने के लेकर अध्यादेश संबंधी आशंकाओं को दूर करने के लिए सहमति बन गई है। कई किसान नेताओं ने भी कहा था कि पराली कानून संबंधी कानून पर सहमति बनी है। जानकारी के मुताबिक इस संबंध में जो एक करोड़ का जुर्माना और सजा का प्रवाधान है, उससे किसानों को अलग रखा जाएगा।

Tractor March दिल्ली-हरियाणा के टिकरी बॉर्डर से 7 जनवरी को निकला किसानों का जत्था। फोटो अरेंजमेंट

8 जनवरी की बैठक में ये प्रस्ताव रखे जा सकते हैं..

सरकार ऐसा कह सकती है कि ये राज्यों पर लागू होगा कि नए कृषि कानून लागू करें या नहीं। ऐसा भी चर्चा है कि पंजाब हरियाणा के किसानों को इन कानूनों से दूर रखने की बात करें। हालांकि खुद किसान संगठन भी कह रहे हैं कि वो उन्हें उम्मीद है कि शुक्रवार की बैठक में कुछ सकारात्मक हो सकता है, 4 जनवरी की बैठक के बाद किसानों ने कहा था कि सरकार 8 जनवरी की बैठक में कृषि कानूनों पर अहम फैसला ले सकती है।

इनपुट- अमित पांडे, दिल्ली

   

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