कर्ज की मार : महाराष्ट्र में जलती चिता पर बैठा किसान तो केरल में सरकारी दफ्तर के सामने दी जान

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कर्ज की मार : महाराष्ट्र में जलती चिता पर बैठा किसान तो केरल में सरकारी दफ्तर के सामने दी जाननासिक में पिछले दो दिनों में चार किसानों ने की आत्महत्या।

नासिक। देश का अन्नादाता संकट में है। किसान पिछले डेढ़ महीने से सड़क पर है। अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहा है। वहीं दूसरी ओर कर्ज के बोझ तले किसान मौत को गला रहा है। बावजूद इसके सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। आज महाराष्ट्र के नासिक जिले में पिछले दो दिन में कथित तौर पर कर्ज से दबे चार किसानों की खुदकुशी का मामला सामने आया, जिसमें एक किसान ने तो खुद ही अपनी चिता तैयार की थी।

उप-संभागीय अधिकारी अजय मोरे ने बताया कि मालेगांव तालुका के वडनेर-खकुर्दी गांव के रहने वाले 77 वर्षीय सुपादु भीका पवार ने बुधवार को अपने घर में खुद ही अपनी चिता तैयार की, उस पर बैठ गए और मुखाग्नि देने की प्रक्रिया भी की।

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मोरे ने बताया कि जब कुछ स्थानीय लोगों ने गौर किया कि पवार के घर से धुआं उठ रहा है तो वे वहां पहुंचे और उन्हें मालेगांव के सिविल अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पवार के परिजन ने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी के नाम पर खेती के लिए कर्ज लिया था और उन्हें कर्ज चुकाने में काफी मुश्किलें आ रही थीं। इस घटना के सिलसिले में वडनेर-खकुर्दी पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है।

चंदवड तालुका के शिवूर गांव के 65 वर्षीय किसान कचरु पुंजा अहीर नाम के एक और किसान कर्ज के बोझ से दबे हुए थे और उन्होंने मंगलवार की रात को जहर खाकर खुदकुशी कर ली। राजस्व विभाग के सूत्रों ने बताया कि कलक्टर के दफ्तर को बुधवार को उनकी खुदकुशी से जुड़ी रिपोर्ट मिली। तहसीलदार सुनील सुंदने ने गुरुवार को बताया कि एक अन्य घटना में बगलान तालुका के ब्राह्मणगांव के रहने वाले हरिश्चंद्र वसंत अहीर ने बुधवार को कुएं में कूदकर जान दे दी। शुरुआती जांच के मुताबिक अहीर खेती के कर्ज से दबे हुए थे। पुलिस ने बताया कि चंदवड तालुका के बोराले के रहने वाले 32 साल के किसान अप्पासाहेब खांडेराव जाधव ने बिजली की करंट वाली तार को पकड़कर मंगलवार की रात खुदकुशी कर ली। साल 2010 में एक सहकारी समिति से लिए गए 50,000 रुपए का कर्ज नहीं चुकाने पर नोटिस मिलने के बाद से वह तनाव में थे।

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मध्य प्रदेश में एक और किसान ने लगाई फांसी

मध्य प्रदेश एक और किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। किसान ने आत्महत्या करने से पहले सुसाइड नोट में शंकर उदैनिया नाम के एक साहूकार पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। फिलहाल पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए खुरई शासकीय अस्पताल पहुंचा दिया है। मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन के बाद से अब तक19 किसान जान दे चुके हैं। घटना खिमलासा थाने के तहत आने वाले बसाहरी गांव की है। किसान गुलई ने बुधवार को खेत में लगे महुआ के पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। किसान की जेब से सुसाइड नोट मिला है, जिसमें जिक्र किया गया है कि उसने शंकर उदैनिया से एक लाख रुपये का कर्ज लिया था। यह कर्ज ब्याज के साथ चुका दिया है। इसके बाद भी उदैनिया उससे ढाई लाख रुपए नकद मांग रहा है।

ग्राम प्रशासनिक कार्यालय के बाहर किसान ने की खुदकुशी

कोझीकोड। अपनी जमीन के लिए कर चुकाने के वास्ते पिछले 18 महीनों से किए जा रहे प्रयासों के बावजूद जब एक किसान को सफलता नहीं मिली तो उसने जिले के ग्राम प्रशासनिक कार्यालय के बाहर फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। पुलिस ने कहा कि काविलपुरायीडाथिल जॉय (57) बुधवार को एक बार फिर जिले के चेंबानोद ग्राम प्रशासनिक दफ्तर इसी उद्देश्य से गया था। इससे पहले करीब डेढ साल से वह इस काम के लिए प्रयास कर रहा था लेकिन हर बार अफसर कुछ न कुछ कारण बताते रहे। इस बार भी अधिकारियों ने उसे वापस भेज दिया और दलील दी थी कि उसकी जमीन विवादित है। इसके बाद किसान ने बीती रात साढ़े नौ बजे फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। पुलिस ने कहा कि उनके परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं।

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आंदोलन के बाद से अबतक 38 मौतें

एक जून को महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में किसानों ने सड़क पर उतर कर आंदोलन शुरू किया था। आंदोलन शुरू होने के बाद अब तक मध्य प्रदेश में 19, महाराष्ट्र में 7, झारखंड में दो, उत्तर प्रदेश के बांदा में एक, केरल में एक और पंजाब में 10 किसान आत्महत्या कर चुके हैं, यानी देश भर में एक जून से अब तक कम से कम 37 किसानों ने आत्महत्या की है।

भाषा से इनपुट

            

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