महाराष्‍ट्र में नहीं रुक रहा है किसानों की आत्‍महत्‍या का सिलसिला

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
महाराष्‍ट्र में नहीं रुक रहा है किसानों की आत्‍महत्‍या का सिलसिलातस्‍वीर: सांकेतिक

लखनऊ। महाराष्ट्र के लातूर जिले में एक किसान ने आत्‍महत्‍या कर ली। इस आत्‍महत्‍या का कारण सूखा बताया जा रहा है। पुलिस के अनुसार मृतक किसान कम उपज व 2 लाख रुपए के कर्ज से परेशान हो गया था।

पुलिस अधिकारी के अनुसार महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त लातूर जिले में 45 वर्षीय एक किसान ने कथित रूप से कोई जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान शिवाजी पवार के तौर पर हुई है। वह खेत में कम उपज से तंग आ गया था और दो लाख रुपए का कर्ज नहीं चुका पा रहा था, जो उसने एक कोऑपरेटिव बैंक से लिया था।

उन्होंने बताया कि पवार ने अच्छे मानसून के पूर्वानुमान के चलते इस साल अपने दोस्तों और रि‍श्तेदारों से भी पैसे उधार लिए थे। जुलाई में भी क्षेत्र में बारिश ना होने के कारण वह तनाव में था। पवार सोमवार को लातूर जिले के रेवाड़ी गांव स्थित अपने खेत में गया और कोई जहरीला पदार्थ खा लिया।

इसे भी पढ़ें- 2.69 लाख किसानों तक नहीं पहुंच पाई पीएम किसान निधि की पहली किस्त

स्‍थानीय लोगों के अनुसार उसके परिवार वालों ने उसे खेत में बेसुध पाया और तुरन्त अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत लाया घोषित कर दिया। लातूर के एमआईडीसी पुलिस थाने में दुर्घटनावश मौत का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने अभी मृतक के रि‍श्तेदारों का बयान दर्ज नहीं किया है।

मौके पर पुलिस को शव के पास से कोई पत्र भी बरामद नहीं हुआ है। गौरतलब है कि मराठा और विदर्भ क्षेत्रों में इस साल अभी तक बारिश की काफी कमी बनी हुई है।

इसे भी पढ़ें- प्रिय नीति आयोग, ये किसान हैं शेख चिल्ली नहीं

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में 1972 के बाद से अब तक का सबसे भयंकर सूखा पड़ा है। इस दौरान राज्य के 26 बांधों में पानी का स्तर 18 मई को शून्य तक पहुंच गया था। इस साल सूखे से सबसे अधिक प्रभावित महाराष्‍ट्र का मराठवाड़ा इलाका रहा है। इस इलाके के आठ जिलों में एक जनवरी से 15 जुलाई के बीच 458 किसानों ने कथित तौर पर आत्महत्या की है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आत्महत्या करने वाले 458 किसानों में से 336 किसान सहायता राशि प्राप्त करने के योग्य थे। हालांकि संबंधित जिला प्रशासन ने ज्यादा मामलों में परिवार को सहायता राशि मुहैया कराई है।

   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.