सरकार के वादा खिलाफी के खिलाफ किसानों और मजदूरों का नासिक से मुम्बई मार्च

किसान यह मार्च सरकार के वादाखिलाफी के विरूद्ध और अपनी मांगों को मनवाने के लिए कर रहे हैं। इससे पहले पिछले साल फरवरी महीने में ही किसानों और मजदूरों ने नासिक से मुंबई तक का मार्च किया था।

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सरकार के वादा खिलाफी के खिलाफ किसानों और मजदूरों का नासिक से मुम्बई मार्चनासिक से मुंबई के लिए किसान कर रहे हैं मार्च (फोटो क्रेडिट- एआईकेएस ट्वीटर)

लखनऊ। महाराष्ट्र के 50 हजार से अधिक किसान राज्य सरकार के वादाखिलाफी को लेकर एक लॉन्ग मार्च कर रहे हैं। यह मार्च 21 फरवरी से नासिक से शुरू होकर 27 फरवरी को मुंबई में खत्म होगा। हालांकि प्रशासन ने इस लॉन्ग मार्च के लिए इजाजत नहीं दी है। लेकिन किसान मार्च के लिए अड़े हुए हैं। इसके लिए वह नासिक स्थित उस नाके पर पहुंच गए हैं, जहां से मुंबई का रास्ता निकलता है।

किसान यह मार्च सरकार के वादाखिलाफी के विरूद्ध और अपनी मांगों को मनवाने के लिए कर रहे हैं। इससे पहले पिछले साल फरवरी महीने में ही किसानों और मजदूरों ने नासिक से मुंबई तक का मार्च किया था। इन किसानों की मांग है कि राज्य और केंद्र की सरकार उन वादों को पूरा करे जो उन्होंने पिछले साल किसान मार्च के दौरान किया था।



इन मांगों में प्रमुख मांग हैं- सम्पूर्ण कर्जमाफी, समय पर उचित न्यूनतन समर्थन मूल्य और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना। पिछले साल मार्च के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने किसानों की इन मांगों को पूरा करने का लिखित आश्वासन दिया था। लेकिन किसानों का दावा है कि इन में से किसी भी मांग को सरकार ने पूरी तरह से लागू नहीं किया। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने उनके साथ विश्वासघात किया है, इसलिए वे फिर से मार्च करने पर मजबूर हैं।



अखिल भारतीय किसान संघ (AIKS) के अध्यक्ष अशोक धावले ने गांव कनेक्शन से बात-चीत करते हुए कहा, 'सरकार ने जितने कर्ज माफी का वादा किया था उसके आधे से भी कम धन राशि जारी की है। इसके अलावा वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) को भी सम्पूर्ण रूप से लागू नहीं किया गया। 2014 के चुनावों से पहले बीजेपी लगातार स्वामीनाथन आयोग के समर्थन में दिख रही थी लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्होंने कभी भी इस पर ध्यान नहीं दिया। इस तरह बीजेपी वादाखिलाफी और विश्वासघात कर रही है। यह सरकार पूंजीपतियों का कर्जा तो माफ कर रही है लेकिन किसानों का कर्ज वादा कर के भी माफ नहीं कर पा रही है।'



महाराष्ट्र के देवेंद्र फड़नवीस सरकार ने किसान नेताओं से बात करने के लिए अपने एक मंत्री गिरीश महाजन को भेजा था लेकिन बात नहीं बनी। किसान नेता मार्च करने पर अड़े हुए हैं। अशोक धावले ने बताया कि मार्च लगातार जारी है लेकिन प्रशासन ने नासिक से 25 किलोमीटर की दूरी पर बैरिकेडिंग कर रखी है। फिलहाल सरकार की तरफ से गिरीश महाजन एक लिखित आश्वासन लेकर किसान नेताओं के पास जा रहे हैं। किसान नेता इस लिखित आश्वासन पर विचारकर आगे की अपनी रणनीति तय करेंगे।

       

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