संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के इस फैसले का किया स्वागत, कहा- हम लखीमपुर, टिकरी समेत सभी जगह कुर्बानी देने वाले किसानों-मजदूरों-नागरिकों को यह जीत समर्पित करते हैं

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा इस निर्णय का स्वागत करता है और उचित संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेगा।

संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के इस फैसले का किया स्वागत, कहा- हम लखीमपुर, टिकरी समेत सभी जगह कुर्बानी देने वाले किसानों-मजदूरों-नागरिकों को यह जीत समर्पित करते हैं

पिछले एक साल से किसान दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं। फाइल फोटो

कृषि कानूनों के विरोध में लंबे समय से चल रहे आंदोलन में संयुक्त किसान मोर्चा की अहम भूमिका रही है। संयुक्त किसान मोर्चा ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का स्वागत किया है।

संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से डॉ दर्शन पाल ने कहा कि 12 महीने से भी लंबे समय तक तो संघर्ष चला, जिसमें किसानों ने अपनी एकजुटता बनाते हुए कृषि कानूनों को लेकर जो लड़ाई लड़ी है, उस लड़ाई ने देश में एक माहौल बना दिया कि पूरे देश के लोगों को एक रास्ता मिल गया है कि उनके जो मुद्दे हैं उसपर वो संघर्ष करेंगे।

उन्होंने आगे कहा, "मैं संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से अपने तमाम किसान साथियों को पूरे देश के किसानों को बधाई देना चाहता हूं, क्योंकि आज जिस तरह से सुबह-सुबह गुरुनानक जी की जयंती के दिन प्रधानमंत्री ने तीन कृषि कानूनों के ऊपर अपना भाषण दिया है और पश्चाताप करते हुए अपनी गलती मानते हुए तीनों कानूनों को वापस लेने बात की।"

संयुक्त किसान मोर्चा जारी बयान में कहा "संयुक्त किसान मोर्चा इस निर्णय का स्वागत करता है और उचित संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेगा। अगर ऐसा होता है, तो यह भारत में एक वर्ष से चल रहे किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत होगी। हालांकि, इस संघर्ष में करीब 700 किसान शहीद हुए हैं। लखीमपुर खीरी हत्याकांड समेत, इन टाली जा सकने वाली मौतों के लिए केंद्र सरकार की जिद जिम्मेदार है।

कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले पर प्रधानमंत्री ने कहा, "आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।"

पवित्र गुरुपर्व के वातावरण में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन किसी को दोष देने का नहीं है, किसानों के कल्याण के लिए काम करने के लिए स्वयं को समर्पित करने का दिन है। उन्होंने कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की घोषणा की। उन्होंने शून्य बजट आधारित कृषि को बढ़ावा देने, देश की बदलती जरूरतों के अनुसार फसल पैटर्न बदलने और एमएसपी को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की। समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि अर्थशास्त्रियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

वहीं सयुंक्त किसान मोर्चा ने अपने बयान में आगे कहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा प्रधानमंत्री को यह भी याद दिलाना चाहता है कि किसानों का यह आंदोलन न केवल तीन काले कानूनों को निरस्त करने के लिए है, बल्कि सभी कृषि उत्पादों और सभी किसानों के लिए लाभकारी मूल्य की कानूनी गारंटी के लिए भी है। किसानों की यह अहम मांग अभी बाकी है। इसी तरह बिजली संशोधन विधेयक को भी वापस लिया जाना बाकि है। एसकेएम सभी घटनाक्रमों पर संज्ञान लेकर, जल्द ही अपनी बैठक करेगा और यदि कोई हो तो आगे के निर्णयों की घोषणा करेगा।

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