किसान आंदोलन: किसानों के दो मांगों पर बनी सहमति, जानिए सरकार से वार्ता के बाद किस किसान नेता ने क्या कहा

एक महीने से चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) के बीच आखिरकार छठे दौर की वार्ता में सरकार से किसानों का कुछ हद तक गतिरोध टूटा है। हालांकि किसान आंदोलन अभी जारी रहेगा और अब अगली वार्ता चार जनवरी को होनी है। छठे दौर की वार्ता के बाद जानिए किसान नेताओं ने क्या प्रतिक्रिया दी और किसानों की किन दो मांगों पर बनी बात ...

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नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) के खिलाफ नई दिल्ली में करीब 35 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) के बीच आखिरकार सरकार और किसानों की छठे दौर की वार्ता कुछ हद तक सफल रही। सरकार ने किसानों की दो मांगों पर अपनी सहमति दे दी है।

इस वार्ता से पहले किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने वार्ता के लिए निमंत्रण स्वीकार करते हुए सरकार के सामने चार एजेंडे रखे थे। एक दिन पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मंत्रियों के समूह के साथ बैठक की और उम्मीद जताई थी कि किसानों से गतिरोध जल्द ही खत्म होगा।

सरकार और किसानों के बीच पांच घंटे तक चली इस बैठक में किसानों के प्रतिनिधिमंडल से अलग-अलग किसान संगठनों से 41 किसान नेता शामिल हुए। आइए इस वार्ता में शामिल किसान नेताओं से जानते हैं कि सरकार से किन-किन मुद्दों पर बनी बात और किन मुद्दों पर अभी बना हुआ है गतिरोध ...

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 30 दिसम्बर को कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच छठे दौर की वार्ता पूरी हुई। इस वार्ता में पंजाब के लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसाइटी के बलदेव सिंह सिरसा भी शामिल रहे।

बलदेव सिंह सिरसा 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "सरकार से बातचीत अच्छे माहौल में हुई, बिजली संबंधी जो बिल सरकार ला रही थी, उसे सरकार अब लेकर नहीं आएगी, और पराली को लेकर जो क़ानून सरकार ने बनाया था, उसको रद्द करने की मांग भी सरकार ने मान ली है।"

"पराली संबंधी कानून में एक करोड़ रुपए जुर्माने की व्यवस्था थी, अब एक एकड़ वाला किसान एक करोड़ कैसे देगा, तो सरकार के सामने हमने अपनी बात रखी और कहा कि किसानों के साथ यह ज्यादती है, सरकार ने पराली के कानून को रद्द करने की हमारी मांग मानी है," बलदेव सिंह सिरसा बताते हैं।

दूसरी ओर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "इस वार्ता में कृषि कानूनों और एमएसपी पर अभी चर्चा नहीं हुई है, अभी सरकार ने बिजली विधेयक वापस लिया है और पंजाब और हरियाणा में पराली से जुड़ा जो बड़ा मुद्दा था, उस कानून से किसानों को छूट मिलेगी। एमएसपी और कृषि कानूनों पर बात अब चार जनवरी को होगी।"

इस वार्ता से पहले किसानों के प्रतिनिधिमंडल की ओर से चार एजेंडे सामने रखे गए थे, इसमें नए कृषि कानूनों को वापस लेने, कृषि वस्तुओं पर MSP पर खरीद की कानूनी गारंटी देने, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन अध्यादेश 2020 और विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को वापस लेने की प्रक्रिया शामिल थी।

वहीं वार्ता के बाद राष्ट्रीय किसान महासंघ के संयोजक शिव कुमार कक्का 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "वार्ता में एमएसपी और तीनों कृषि कानूनों पर सरकार ने एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया है, जिस पर अभी किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने स्वीकृति नहीं दी है, आगे चार जनवरी को दो बजे फिर वार्ता होगी और इस पर चर्चा की जायेगी।"

किसान नेता डॉक्टर दर्शनपाल 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "तीनों कृषि कानूनों और एमएसपी पर सरकार से सकारात्मक बातचीत हुई है और यह बातचीत अभी जारी रहेगी, चार जनवरी को हम इस पर अगली चर्चा करेंगे, अभी हमारी मांग है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कर दे और एमएसपी C2+50 परसेंट वाली किसानों को दे दे, हम सरकार को झुकाना नहीं चाहते बल्कि मनाना चाहते हैं, क्योंकि तक तक किसानों का यह आंदोलन जारी रहेगा।"

वहीं राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के युवा नेता अभिमन्यु कोहर 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "सरकार ने पराली से जुड़े कानून में किसानों पर जो जुर्माना और सजा देने का प्रावधान है, उसे रद्द करने की मांग मान ली है और बिजली से जुड़े विधेयक को भी वापस लेने पर राजी हो गई है, मगर जो हमारी मुख्य मांग है एमएसपी और नए कृषि कानूनों पर, उस पर अभी विस्तृत चर्चा होगी, इस पर अभी कोई सहमति नहीं बनी है, इसलिए जो हमारा ट्रेक्टर मार्च हम निकालने जा रहे थे वो भी हमने चार जनवरी तक रोक दिया है।"

दूसरी ओर पंजाब के आजाद किसान संघर्ष कमेटी के प्रेसिडेंट हरजीत सिंह 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "सरकार ने हमारी दो मांगें मानी है, उम्मीद है कि नया साल किसानों के लिए अच्छा रहेगा, जो हम किसान ट्रैक्टर मार्च निकालने जा रहे थे, उसे भी चार जनवरी तक मुल्तवी किया गया है, मगर अपनी मुख्य मांगों के लिए किसानों का यह आंदोलन अभी जारी रहेगा, और हम किसानों से अपील भी कर रहे हैं कि हमारे आंदोलन को समर्थन देने के लिए वो आएं।"

एक और जहाँ वार्ता के बाद किसान नेताओं ने अपनी बात रखी वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी किसानों के साथ इस वार्ता को सफल बताया।

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "इलेक्ट्रिसिटी एक्ट जो अभी आया नहीं है, उन्हें लगता है कि यह एक्ट आएगा तो इससे किसानों को नुकसान होगा। सिंचाई के लिए जो बिजली की सब्सिडी दी जाती है वो राज्य जिस प्रकार से देते रहे हैं, वैसे ही चलनी चाहिए। इस पर सरकार और किसान यूनियनों के बीच सहमति हो गई है। कृषि कानून और एमएसपी पर चार जनवरी को फिर से हमारी वार्ता होगी।"

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