किसान आंदोलन: यूपी के संभल में किसान नेताओं को जारी 50 लाख रुपए के नोटिस रद्द, किसानों ने जमानत कराने से किया था इंकार

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में शामिल होने वाले 6 किसानों को 50-50 लाख और 5 किसानों को 5-5 लाख रुपए के मुचलका भरने का नोटिस दिया गया था। नोटिस में कहा गया था ये किसान और किसान नेता गांव गांव जाकर लोगों को भड़का रहे हैं, जिससे कानून व्यवस्था खराब होने की आशंका है।

Arvind ShuklaArvind Shukla   18 Dec 2020 9:07 AM GMT

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किसान आंदोलन: यूपी के संभल में किसान नेताओं को जारी 50 लाख रुपए के नोटिस रद्द, किसानों ने जमानत कराने से किया था इंकारकिसान आंदोलन में शामिल होने वाले 6 किसानों को 50-50 लाख और 5 किसानों को 5-5 लाख रुपए के मुचलका भरने का नोटिस दिया गया था

लखनऊ। किसान आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन और दिल्ली कूच करने वाले किसान और किसान नेताओं के खिलाफ संभल जिले में जारी 50 लाख और 5 लाख रुपए के मुचलका भरने के नोटिस को रद्द कर दिया गया है। एसडीएम दीपेंद्र यादव ने गांव कनेक्शन को फोन पर इसकी जानकारी दी। इससे पहले प्रशासन ने नोटिस में लिखी राशि को टाइपिंग एरर (लिखने में गलती) मानते हुए राशि को 50 हजार किया था, लेकिन किसान नेताओं ने जमानत कराने से इनकार कर दिया।

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में शामिल होने वाले 6 किसानों को 50-50 लाख और 5 किसानों को 5-5 लाख रुपए के मुचलका भरने का नोटिस दिया गया था। नोटिस में कहा गया था ये किसान और किसान नेता गांव गांव जाकर लोगों को भड़का रहे हैं, जिससे कानून व्वयस्था खराब होने की आशंका है। भारतीय दंड संहिता की धारा 111 के तहत के इन किसानों को नोटिस जारी किए गए थे।

शुक्रवार को गांव कनेक्शन से बात करते हुए उपजिलाधिकारी संभल दीपेंद्र यादव ने कहा, सभी नोटिस आज (शुक्रवार) को रद्द दिए गए हैं। थाना हयातनगर से उक्त लोगों को लेकर रिपोर्ट मांगी गई थी, जिसमें बताया गया था कि इन लोगों (किसान/किसान नेताओं) से शांति भंग का खतरा नहीं है। उन्होंने शांति पूर्वक धरने की बात कही है, जिसके बाद सभी नोटिस रद्द कर दिए गए हैं। 50 लाख का नोटिस टाइपिंग एरर था, ऐसा थाने द्वारा बताया गया है।"


एसडीएम ने आगे बताया, "थाने की रिपोर्ट के आधार पर 107/116 की कार्यवाही के तहत धारा 111 के तहत नोटिस जारी किए गए थे कि उक्त लोग किसान आंदोलन को भड़का सकते हैं तोड़फोड़ हो सकती है, शांति भंग की आशंका है। इसके बाद इन लोगों को इनती राशि से बाउंडडाउन किया जाए। इस मामले में इनको जबाव देना होता है, फिर इन लोगों ने बताया था ये 50 लाख बहुत ज्यादा है और हम लोगों ने कभी ऐसा (शांतिभंग) कुछ किया नहीं, आगे भी हमारा धरना शांतिपूर्ण होगा, तो फिर से थाने से रिपोर्ट मांगी गई। पुलिस ने कहा कि मुचलका 50 हजार का था जो लिखने की गलती से 50 हजार हो गया था। बृहस्पतिवार को थाने की दूसरी रिपोर्ट में इसे संसोधित किया गया था और आज दोबारा रिपोर्ट मांगी गई तो निरस्त करने की संस्तुति की गई।"

हालांकि भारतीय किसान यूनियन से जुड़े पदाधिकारियों ने गांव कनेक्शन से कहा उन्हें नोटिस रद्द होने या फिर संशोधित होने की खबर नहीं है। लेकिन उन्होंने तय किया है कि वो न जमानत कराएंगे, न मुचलका भरेंगे, भले जेल जाना पड़े।

भाकियू (असली) के जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह ने गांव कनेक्शन से फोन पर कहा- नोटिस रद्द होने की उन्हें खबर नहीं है लेकिन हम लोगों ने ये तय किया है कि न जमानत कराएंगे, बांड भरेंगे, भले जेल जाना पड़े। हम किसान हैं किसान की लड़ाई लड़ते रहेंगे। किसान आंदोलन को हमारा समर्थन जारी है। पहले भी सिंघु बॉर्डर गए थे, आगे भी जाएंगे।" उन्होंने ये कहा कि जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारी उनके संपर्क में हैं कि वकील कर लो, लेकिन हमने मना कर दिया। राजपाल को 50 लाख का नोटिस मिला था।


वहीं 5 लाख का नोटिस पाने वाले बीकेयू (असली) के मंडल महामंत्री संजीव गांधी ने कहा, "जेल भेजो, लाठी मारे या गोली, न नोटिस का जवाब देंगे और ना ही जमानत कराएंगे। हम किसानों का शांति पूर्वक प्रदर्शन का इतिहास रहा है और प्रदर्शन करना हमारा संवैधानिक हक है। पुलिस ने 26 तारीख से लेकर अब तक हमें प्रदर्शन से रोकने की तमाम कोशिशें की है। 26 नवंबर (चलो दिल्ली), फिर 5 दिसंबर (चक्का जाम) फिर 8 दिसंबर भारत बंद और 12 और 14 दिसंबर को भी हिरासत में लिया है। लेकिन ये किसान के हक की लडाई है। हम जारी रखेंगे।"

कृषि कानूनों को वापस लेने और किसान आंदोलन के समर्थन में संयुक्त किसान मोर्चा के अह्वान पर 8 दिसंबर, 12, दिसंबर और 14 दिसंबर को अलग अलग कार्यक्रम किए गए। भारत बंद के दौरान पुलिस ने एहितायतन यूपी के तमाम किसान नेताओं और कई विपक्षी दलों से जुडे नेताओं को हाउस अरेस्ट किया था। पुलिस-प्रशासन के मुताबिक ये काम शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए किए गए थे। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इस दौरान किसी को शांति पूर्वक प्रदर्शन की मनाही नहीं है।

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