किसान आंदोलन में शामिल धार्मिक गुरु संत राम सिंह ने गोली मारकर की आत्महत्या
गाँव कनेक्शन 16 Dec 2020 2:00 PM GMT
देश की राजधानी में चल रहे किसान आंदोलन के 21वें दिन सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे धार्मिक गुरु संत राम सिंह ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।
संत राम सिंह ने पंजाबी में लिखा एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है। संत राम सिंह भी दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन में शामिल थे। 26 नवंबर से शुरु हुए किसान आंदोलन में अब तक लगभग 20 से अधिक किसानों की विभिन्न कारणों से मौत हो चुकी है।
पैंसठ वर्ष के संत राम सिंह नानकसर सिंगरा, पंजाब के रहने वाले थे। उन्होंने पंजाबी भाषा में अपना सुसाइड नोट लिखा है, "अपने किसान भाईयों को देखा जो अपने हक के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। बहुत दुख है, सरकार इंसाफ नहीं दे रही, जो कि जुल्म है और जुल्म करना पाप है, तो जुल्म सहना भी पाप है।"
उन्होंने आगे लिखा, "इस लड़ाई में किसानों हक के लिए कितने लोगों ने क्या कुछ नहीं किया। कई लोगों ने अपने सम्मान और पुरस्कार वापस किए, इसलिए मैं किसानों के हक के लिए और सरकार के खिलाफ आत्महत्या कर रहा हूं।"
अपना सुसाइड नोट खत्म करते हुए बाबा राम सिंह ने लिखा, "वाहेगुरू जी का खालसा, वाहेगुरू जी की फतेह"
दिल बहुत दुखी है आप को ये बताते हुए कि संत राम सिंह जी सिंगड़े वाले ने किसानों की व्यथा को देखते हुए आत्महत्या कर ली। इस आंदोलन ने पूरे देश की आत्मा झकझोर कर रख दी है। मेरी वाहेगुरु से अरदास है कि उनकी आत्मा को शांति मिले
— Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) December 16, 2020
आप सभी से संयम बनाकर रखने की विनती 🙏🏻 pic.twitter.com/DyYyGmWgGg
बाबा राम सिंह के निधन पर DSGMC के प्रधान मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, "दिल बहुत दुखी है आप को ये बताते हुए कि संत राम सिंह जी सिंगड़े वाले ने किसानों की व्यथा को देखते हुए आत्महत्या कर ली। इस आंदोलन ने पूरे देश की आत्मा झकझोर कर रख दी है। मेरी वाहेगुरु से अरदास है कि उनकी आत्मा को शांति मिले और किसानों को उनका हक़! आप सभी से संयम बनाकर रखने की विनती।"
उन्होंने और भी कहा: "संत राम सिंह जी सिंगड़े वाले ने किसानों की व्यथा को देखते हुए आत्महत्या कर ली। इस आंदोलन ने पूरे देश की आत्मा झकझोर कर रख दी है। मेरी वाहेगुरु से अरदास है कि उनकी आत्मा को शांति मिले।"
भले ही किसानों का जत्था 26 नवंबर को दिल्ली की तरफ कूच किया लेकिन पंजाब और हरियाणा के विभिन्न हिस्सों में किसानों का यह आंदोलन सितंबर महीने से ही चल रहा है। अब तक 20 से अधिक किसान इस पूरे आंदोलन में अपनी जान गवां चुके है। किसानों की मौत के अलग - अलग कारण रहे है मगर किसानों का कहना है कि इन मौतों के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है, क्योंकि सरकार के ही 'काले कानूनों' के खिलाफ ही किसान जबरदस्त ठंड व कोरोना के प्रकोप के बीच आंदोलन करने को मजबूर हैं।
इनपुट: राजन नाथ
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