संयुक्त किसान मोर्चा की सरकार को चेतावनी: अगर मांगे नहीं मानी गईं तो 26 जनवरी को दिल्ली में करेंगे ट्रैक्टर मार्च

सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच कृषि कानून और एमएसपी पर गारंटी को लेकर पेंच फंसा हुआ है। 4 जनवरी की बैठक में मांगें पूरी नहीं होने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है...

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संयुक्त किसान मोर्चा की सरकार को चेतावनी: अगर मांगे नहीं मानी गईं तो 26 जनवरी को दिल्ली में करेंगे ट्रैक्टर मार्चसंयुक्त किसान मोर्चा की ओर से की गई प्रेस कांफ्रेंस में किसान नेताओं ने सरकार को दी चेतावनी। फोटो : गाँव कनेक्शन

नए कृषि कानूनों पर नई दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने अब सख्त रुख अपनाया है। किसान संयुक्त मोर्चा ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि अगर नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया गया और उनकी मांगें नहीं मानी गई तो 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर वे दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे।

इससे पहले 30 दिसम्बर को नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई छठे दौर की वार्ता में संयुक्त मोर्चा की ओर से सरकार के सामने रखी गयी चार मांगों में से सरकार ने दो मांगों पर अपनी सहमति जताई थी। दो मांगों पर रजामंदी मिलने से किसान नेताओं ने इस वार्ता को सकरात्मक बताया था।

इस बीच तीनों नए कृषि कानूनों और एमएसपी पर अगली चर्चा चार जनवरी को अगली वार्ता में किये जाने को लेकर फैसला किया गया था। मगर अब इन कृषि कानूनों को लेकर किसानों का रुख और सख्त होता दिखाई दे रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने अगली बैठक से पहले प्रेस कांफ्रेंस कर सरकार को कृषि कानूनों को लेकर चेतावनी देते हुए अपना नजरिया साफ़ कर दिया है।

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बातचीत करते संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेता। फोटो : गाँव कनेक्शन

आज संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस में तीनों कृषि कानूनों को लेकर अपना विरोध और मुखर किया। एक ओर जहां किसान नेताओं ने मांगें न मानने पर 26 जनवरी के दिन दिल्ली में चारों ओर से ट्रैक्टर मार्च निकालने की घोषणा की, दूसरी ओर संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से 26 तक अनेक स्थानीय और राष्ट्रीय कार्यक्रमों की भी घोषणा की।

संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान नेता दर्शनपाल ने कहा, "हमने सरकार को पहले ही बता दिया था कि हम तीनों कृषि विरोधी कानूनों को रद्द कराए बिना यहाँ से हटने वाले नहीं हैं। सरकार के पास दो ही रास्ते हैं, या तो वो जल्द से जल्द इस बिन मांगी सौगात को वापस ले ले और किसानों को एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी दे, या फिर किसानों पर लाठी-गोली चलाये।"

उन्होंने आगे कहा, "आर-पार की लड़ाई में हम निर्णायक मोड़ पर आ पहुंचे हैं, हमने इस निर्णायक कदम के लिए गणतंत्र दिवस को चुना क्योंकि यह दिन हमारे देश में गण यानी बहुसंख्यक किसानों की सर्वोच्च सत्ता का प्रतीक है।"

इतना ही नहीं, गणतंत्र दिवस तक आंदोलन को और तेज व व्यापक बनाने के लिए अनेक कार्यक्रमों की भी घोषणा की। इस किसान आंदोलन को और गति देने के लिए 6 से 20 जनवरी तक सरकारी झूठ और दुष्प्रचार का भंडाफोड़ करने के लिये देश जागृति पखवाड़ा मनाने का भी ऐलान किया गया। इस पखवाड़े में देश के हर जिले में किसानों की ओर से हर जिले में धरने और पक्के मोर्चे आयोजित करने की रणनीति बनाई गयी। इसके अलावा रैलियां और सम्मेलनों का भी आयोजन भी किया जाएगा।

सिर्फ इतना ही नहीं, चार जनवरी को एमएसपी और नए कृषि कानूनों पर सरकार से होने वाली वार्ता अगर विफल रहती है तो को 6 जनवरी को किसान केएमपी एक्सप्रेसवे मार्च निकालेंगे और उसके बाद शाहजहांपुर पर मोर्चा लगाए किसान भी दिल्ली की ओर कूच करेंगे। दूसरी ओर 13 जनवरी को किसान संकल्प दिवस मनाने और 18 महिला किसान दिवस के दिन भी तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध किया जाएगा।

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