पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नहरों में कम पानी से जूझ रहे हैं किसान, सांसद ने लोक सभा में उठाई आवाज

Vivek ShuklaVivek Shukla   30 July 2019 1:44 PM GMT

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नहरों में कम पानी से जूझ रहे हैं किसान, सांसद ने लोक सभा में उठाई आवाजसांकेतिक तस्‍वीर

देश में किसानों के लिए खेत की सिचाई एक समस्‍या बनी हुई है। ऐसे में सोमवार को लोक सभा में यूपी के बागपत से भाजपा सांसद डॉ. सत्‍य पाल सिंह ने नहरों की साफ-सफाई और पानी की समस्‍या के मुद्दे को उठाया। उन्‍होंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 3 जिलों- सहारनपुर, शामली और बागपत के लगभग 4.5 लाख किसानों के लिए पिछले कई वर्षों से सिंचाई एक गम्भीर समस्या बनी हुई है।

उन्‍होंने कहा कि यमुना नदी का पानी हथनीकुंड डैम से हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली के बीच बांटा जाता है। लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ एक अन्याय हो रहा है। इस क्षेत्र की नहरों की सफाई/ खुदाई पिछले कई वर्षों से ठीक नहीं हो रही है, नहरों में पर्याप्त पानी नहीं छोड़ा जा रहा है।

इससे किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा होता जा रहा है। भूजल स्तर ( water table) प्रतिवर्ष लगभग 3 फीट नीचे जा रहा है, लगभग पूरा क्षेत्र डार्क जोन घोषित हो गया है। उसके कारण नये नलकुपों के कनेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं। किसानों को बिजली का बिल भी ज्‍यादा देना पड़ रहा है।

वहीं जब गांव कनेक्‍शन ने मुख्य सिंचाई विभाग प्रमुख इंजीनियर आरएस वर्मा से बात की। उन्‍होंने कहा कि सांसद जी ने इसे किस संर्दभ में कहा है इसका पता नहीं है। अगर हमारे विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई चल रही हो या कुछ हो रहा हो तो हम बता सकते है। ऐसे में यह कह पाना मुश्किल है कि उन्‍होंने यह किस संर्दभ में कहा है।

वहीं जब मेरठ के सिचाई विभाग के चीफ इंजीनियर (यमुना) अनिल कुमार ने गांव कनेक्‍शन को विस्‍तार से बताया कि सहारनपुर, शामली और बागपत को पूर्वी यमुना नहर से पानी दिया जाता है। पूर्वी यमुना नहर यमुना नदी से निकली है और उसमें पानी की मात्रा कम रहती है। बरसात के दौरान तो पानी रहता है लेकिन आमतौर पर पानी कम ही रहता है। इसका लेबल बराबर रखने के लिए गंगा कैलान से पानी लिया जाता है।

उन्‍होंने बताया कि पूर्वी यमुना नहर हथनीकुंड डैम से निकली है, वही पूर्व में इर्स्‍टन यमुना कैनाल जो यूपी में जाती है। दूसरी तरफ हरियाणा है तो ऊधर वेस्‍टन यमुना कैनाल निकली है। इस पानी का पांच राज्‍यों में बंटवारा है। इसमें सबका शेयर निर्धारित है जिसमें बरसात में यूपी का हिस्‍सा लगभग 23 प्रतिशत है। अगर बरसात को छोड़ दें तो यूपी का हिस्‍सा लगभग 32 प्रतिशत हो जाता है।

इसे भी पढ़ें- नहर में बह रहा 'जहर', इसी से खेती कर रहे हैं किसान, नहीं उगा पाते खुद का अनाज

इस पानी में यूपी और उत्‍तराखंड दोनों का हिस्सा शामिल है। इस हथनीकुंड डैम में मौजूदा पानी को पहले दिल्‍ली के लिए भेजा जाता है। इसके बाद जो पानी बचता है उसमें हिस्‍सा लगता है। दिल्‍ली के लिए हरियाणा की नहरों के माध्‍यम से पानी भेजा जाता है। इस दौरान हरियाणा की नहर में हरियाणा के हिस्‍से का भी पानी जाता है। ऐसे में जो लोग पानी को देखते हैं कि उन्‍हें ऐसा लगता है कि हरियाणा को पानी अधिक मिल रहा है। ऐसे में आम लोगों का यह आरोप भी होता है कि यूपी को पानी कम दिया जा रहा है। हालांकि अभी के हालात 2004 से ठीक हैं। फिर भी अभी हमारे लिए पानी पर्याप्‍त नहीं है।

वहीं साफ-सफाई को लेकर उन्‍होंने कहा कि आमतौर पर बड़े कैनाल की सफाई मुश्‍किल होती है लेकिन अन्‍य नहरों की लगभग एक तिहाई हिस्‍से को साफ किया जाता है। नहरों में हर साल सफाई करना मुश्‍किल होता है।

   

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