कृषि कानूनों पर बातचीत के लिए सरकार ने किसानों को दिल्ली बुलाया, बैठक में नहीं पहुंचे कृषि मंत्री, किसानों ने छोड़ी बैठक

नये कृषि बिलों पर जारी गतिरोधों पर बात करने के लिए केंद्र सरकार ने पंजाब के 29 किसान संगठनों को बात करने के लिए कृषि भवन बुलाया था, लेकिन कृषि मंत्री के न पहुंचने के कारण संगठनों ने बैठक को बीच में ही छाेड़ दिया।

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कृषि कानूनों पर बातचीत के लिए सरकार ने किसानों को दिल्ली बुलाया, बैठक में नहीं पहुंचे कृषि मंत्री, किसानों ने छोड़ी बैठकबैठक से बाहर आकर हंगामा करते कृषि संगठनों से जुड़े पदाधिकारी। (सभी फोटो साभार के Kavitha Kuruganti ट्वीटर से)

नये कृषि कानूनों पर जारी गतिरोधों पर केंद्र सरकार और किसानों के बीच हुई बैठक बेनतीजा रही। बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के न पहुंचने के कारण किसानों ने बैठक को बीच में ही छोड़ दिया। नाराज किसानों ने कृषि कानूनों की कॉपियां भी फाड़ दी।

नई दिल्ली के कृषि भवन में बुधवार 14 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने पंजाब के किसान और संगठनों को कृषि बिलों पर बात करने के लिए बुलाया था। इसमें कुल 29 किसान संगठन शामिल हुए।

लगभग दो घंटे तक चली बैठक में कृषि मंत्रालय की ओर से सचिव संजय अग्रवाल इस बैठक में मौजूद थे, जबकि किसान संगठनों की ओर से भारतीय किसान यूनियन (राजेवाला) के प्रमुख बलबीर सिंह राजेवाला, जगरूप सिंह, कुलवंत सिंह, दर्शन पाल, जगजीत सिंह डालेवाल, सुरजीत सिंह फूल सहित कई किसान नेता शामिल हुए।

कृषि भवन में हुई बैठक में पहुंचे किसान और किसान नेता।

किसानों ने बैठक को बीच में ही छोड़ दिया। बैठक के बारे में भारतीय किसान यूनियन (राजेवाला) के प्रमुख बलबीर सिंह राजेवाला ने बताया, "किसानों ने बीच बैठक से ही वॉक आउट कर दिया। कृषि कानूनों के खिलाफ हमारा आंदोलन जारी रहेगा।"

"हम चर्चा से संतुष्ट नहीं थे इसलिए हम बाहर चले गए। हम चाहते हैं कि इन काले कानूनों को खत्म किया जाए। सचिव ने कहा कि वह हमारी मांगों को आगे बढ़ाएंगे।" वे आगे कहते हैं।

समचार एजेंसी ANI से बातचीत में दूसरे किसान यूनियन लीडर ने कहा कि हम बाहर चले गए क्योंकि कोई मंत्री बैठक के लिए नहीं आया था। हम चाहते हैं कि इन कानूनों को वापस ले लिया जाए। सरकार के रवैये से गुस्साए किसानों ने बैठक के लिए अब दिल्ली नहीं आने का ऐलान भी किया। उन्होंने कहा, "अगर सरकार हमसे मिलना चाहती है तो कृषि मंत्री को पंजाब आना होगा। अब हम किसी भी सूरत में बाबुओं की धमकियां सुनने दिल्ली नहीं आएंगे।'

कृषि संगठनों ने केंद्र सरकार पर धोखा देने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि बैठक सिर्फ दिखावे के लिए बुलाई गई थी और कोई भी उनकी मांगें सुनने को तैयार नहीं हैं।

पूर्व केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट करके सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा, "तीन महीने से आंदोलन कर रहे किसानों के साथ सरकार का यह व्यवहार ठीक नहीं है।"

कृषि भवन के बाहर विरोध करते किसान

"यदि भारत सरकार किसानों की शिकायतों को हल करने के बारे में गंभीर है तो उसे साफ दिल से बातचीत करनी चाहिए। कृषि और खेत मज़दूरों द्वारा अस्वीकार किए गए कृषि कानूनों को निरस्त करें।" उन्होंने आगे लिखा।

बैठक के बाद भारतीय किसान यूनियन (दकुंडा) के अध्यक्ष बूटा सिंह बुर्जिल ने गांव कनेक्शन को बताया, " रेल रोको सहित प्रदेश व्यापी आंदोलन जारी रहेगा। हम 15 अक्टूबर को बैठक में आगे की कार्ययोजना निर्धारित करेंगे।'

क्या है पूरा मामला

केंद्र की मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन नये कानून लेकर आयी है। जिनमें किसानों को सरकारी मंडियों के बाहर खरीद और बिक्री करने के छूट, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।

पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिए सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।

यह भी पढ़ें- सरल शब्दों में समझिए उन 3 कृषि विधेयकों में क्या है, जिन्हें मोदी सरकार कृषि सुधार का बड़ा कदम बता रही और किसान विरोध कर रहे

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