फर्रुखाबाद अस्पताल में एक महीने में 49 शिशुओं की मौत : डीएम , सीएमओ का तबादला

Shrinkhala PandeyShrinkhala Pandey   4 Sep 2017 8:43 PM GMT

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फर्रुखाबाद अस्पताल में एक महीने में 49 शिशुओं की मौत : डीएम , सीएमओ का तबादलाफर्रुखाबाद में बच्चों की मौत के मामले पर डीएम व सीएमओ का तबादला।

लखनऊ (भाषा)। यूपी के फर्रुखाबाद स्थित राम मनोहर लोहिया राजकीय संयुक्त चिकित्सालय में एक महीने के दौरान 49 बच्चों की मौत के मामले में प्रदेश सरकार ने कड़ी कार्रवाई करते हुए डीएम और सीएमओ का तबादला कर दिया गया।

एक महीने में इस अस्पताल में 49 नवजात शिशुओं की मौत हो गई है। इनमें से अधिकतर मौतें नवजात शिशुओं की एक ऐसी अवस्था के चलते हुई हैं जिसे ' 'प्रीनेटाल एस्फिक्सिया ' ' यानी शिशुओं में दम घुटने की बीमारी कहा जाता है। इसके बाद शहर के डीएम और सीएमओ का तबादला कर दिया गया।

इस घटना ने गोरखपुर हादसे की याद दिला दी जहां पिछले महीने दो माह के भीतर 30 बच्चों की मौत हो गई थी। फर्रुखाबाद में कई माता पिता ने अधिकारियों को बताया कि नवजात शिशुओं को आॅक्सीजन और दवाइयां उपलब्ध कराने में देरी हुई।

20 जुलाई से 21 जुलाई के बीच अस्पताल के नियो नेटाल आईसीयू में 30 तथा प्रसव के दौरान 19 शिशुओं की मौत हुई है। लखनऊ में अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मामले के जांच अधिकारी जैनेंद्र जैन ने कोतवाली में धारा 176, 188 और धारा 304 के तहत मुकदमा दर्ज कराया है। 30 अगस्त को जिलाधिकारी रवीन्द्र कुमार ने एसएनसीयू वार्ड का निरीक्षण किया और भर्ती बच्चों की जानकारी ली। इस दौरान उन्हें यह जानकारी दी गई की 20 जुलाई से 20 अगस्त के बीच 49 बच्चों की मौत बीमार के कारण हुई थी।

इस मामले में प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आज कड़ी कार्रवाई करते हुए जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी तथा जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का तबादला कर दिया।

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हालांकि प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) प्रशांत त्रिवेदी ने पत्रकारों से कहा, ' 'जिस तरह से यह मामला पेश किया गया उस तरह की घटना यह नहीं है। फर्रुखाबाद में कल रात सीएमओ और सीएमएस के खिलाफ एफआईआर हुई है लेकिन इसके आधार पर कोई कार्वाई नहीं की जा रही है।' ' पहले हम इस मामले की जांच करेंगे, उसके बाद इस पर कोई कार्रवाई करेंगे।

सीएमओ उमाकांत पांडेय और सीएमएस अखिलेश अग्रवाल को हटाने की बाबत पूछे गये सवाल पर त्रिवेदी ने कहा, ' 'जिलाधिकारी जिला प्रशासन प्रमुख होता है, उन्हें जिलाधिकारी के साथ तालमेल बिठाकर काम करना चाहिये। अगर कोई मामला था तो उन्हें प्रशासन की जानकारी में लाना चाहिये था। वास्तव में वहां मेडिकल की गलती की वजह से कुछ हुआ या तकनीकी गलती से कुछ हुआ, तो यह जांच में साफ हो जायेगा। ' ' उनसे पूछा गया कि क्या बच्चों की यह मौतें आॅक्सीजन की कमी की वजह से हुई तो उन्होंने कहा ' 'हम आक्सीजन को लेकर बहुत ज्यादा उत्तेजित हो रहे है जबकि ऐसा कुछ नहीं था। ' ' प्रमुख सचिव (सूचना) अवनीश अवस्थी ने कहा,' 'ऐसा लगता है कि जिलाधिकारी, सीएमओ और सीएमएस के बीच आपसी तालमेल नहीं था। इसलिये इन लोगों को हटाया गया है।

महानिदेशक स्वास्थ्य इस मामले की जांच के लिये एक विशेषज्ञों की टीम वहां भेज रहे है और एक बात पूरी तरह से साफ है कि आक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है। ' ' इस बीच जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने बताया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर कल शाम नगर मजिस्ट्रेट ने जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी तथा मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के विरद्ध धारा 304 (गैर इरादतन हत्या:), 176 (जानकारी छिपाने) तथा (188) आदेश की अवहेलना: के तहत शहर कोतवाली में मामला दर्ज कराया है।

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