जाने-माने फिल्म अभिनेता और लेखक गिरीश कर्नाड का लंबी बीमारी के बाद निधन

भारत सरकार के नागरिक सम्मान पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित करनाड को 1972 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और 1998 में ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था।

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जाने-माने फिल्म अभिनेता और लेखक गिरीश कर्नाड का लंबी बीमारी के बाद निधन

लखनऊ। जानेमाने लेखक और अभिनेता गिरीश कर्नाड का सुबह लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 81 साल के थे। फिल्म लेखन और अभिनय के अलावा उन्होंने निर्देशन और रंगमंच में भी अपना हाथ आजमाया था। भारत सरकार के नागरिक सम्मान पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित कर्नाड को 1972 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और 1998 में ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था।

इसके अलावा कन्नड़ फिल्म 'संस्कार' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। उनके खाते में चार फिल्मफेयर अवॉर्ड भी दर्ज हैं। फिल्मों में आने से पहले वह कन्नड़ भाषा में नाटक लिखते थे। उनके चर्चित नाटकों में 'यताति', 'तुगलक', 'हयवदना', 'अंजु मल्लिगे', 'अग्निमतु माले', 'नागमंडल' और 'अग्नि और बरखा' शामिल हैं।

करन का जन्म 1938 में महाराष्ट्र के माथेरन में हुआ था। उनकी शुरुआती पढ़ाई मराठी भाषा में हुई। पढ़ाई के दौरान ही उनका झुकाव थिएटर की तरफ बढ़ा। जब वह 14 साल के थे तो उनका परिवार कर्नाटक के धारवाड़ में विस्थापित हो गया। इसके बाद उन्होंने कन्नड़ भाषा में भी अपनी पकड़ बना ली। 1963 में उन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट यूनियन का अध्यक्ष भी चुना गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा, "वह एक अभिनेता के अलावा एक बढ़िया वक्ता भी थे और कई मुद्दों पर खुल के बात करते थे। उनके जाने से देश को अपूरणीय क्षति हुई है।"

उनके टीवी धारावाहिकों में मालगुडी डेज़ शामिल हैं जिसमें उन्होंने स्वामी के पिता की भूमिका निभाई। वह 90 के दशक की शुरुआत में दूरदर्शन पर विज्ञान पत्रिका 'टर्निंग प्वाइंट' के प्रस्तुतिकर्ता भी थे। बाद के वर्षों में करनाड सलमान खान की 'टाइगर जिंदा है' और अजय देवगन की 'शिवाय' जैसी फिल्मों में भी दिखाई दिए।

(भाषा से इनपुट के साथ)

  

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