बीएचयू द्वारा निर्मित फिल्म ‘फिर वही दिन’ पहुंची स्वीडन के नोबेल संग्रहालय में 

Vinod SharmaVinod Sharma   16 Oct 2017 6:55 PM GMT

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बीएचयू द्वारा निर्मित फिल्म ‘फिर वही दिन’ पहुंची स्वीडन के नोबेल संग्रहालय में नोबेल संग्रहालय

विनोद शर्मा

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

वाराणसी। बीएचयू में बनी फिल्म “फिर वही दिन” यहां से हजारों मील दूर स्वीडन के नोबेल संग्रहालय तक पहुंच गई है, बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग में बनी फिल्म की सराहना विदेश तक हो रही है।

विश्व के विख्यात केमिस्ट, इंजीनियर और डायनामाइट आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल के स्वीडन के स्टॉकहोम में बने संग्रहालय तक फिल्म पहुंचायी गयी। यहां पहुंचाने का खास मकसद था कि दुनिया लकवा बीमारी को लेकर जागरूक हो। साथ ही फिल्म का संदेश पूरे विश्व में जाए।

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संग्रहालय तक जैसे ही यह पिक्चर पहुंची लोग अवाक रह गए। वहां मौजूद लोगों के अंदर यह जानने की ललक दिखी कि आखिर इस फिल्म को किसने बनाया, जब फिल्म के कल्पनाकार आईएमएस न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र ने बताया कि किसी फिल्मी इंडस्ट्रीज से नहीं, बल्कि यह फिल्म बीएचयू के सर सुन्दरलाल अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा बनाई गई है। नोबेल संग्रहालय के सदस्यों ने पहले लकवा बीमारी को लेकर प्रो. विजयनाथ मिश्र से जाना और उससे बचाव को जाना।

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फिल्म के बारे में प्रो. मिश्र कहते हैं, "यह फिल्म गरीब इलाकों में फिल्मायी गया है, जो इलाज से वंचित रह जाते हैं। जिसके बाद संग्रहालय के लोगों ने जमकर सराहना की। संग्रहालय के फिल्म थियेटर में दिखाने का आग्रह किया।

फिल्म की डीवीडी और फोल्डर को प्रो. मिश्र ने संग्रहालय के चीफ ड्यूटी ऑफिसर हालमैन को भेंट किया। प्रो. मिश्र ने बीएचयू अस्पताल द्वारा जनता को मिलने चिकित्सकीय सुविधाओं और विवि की फैकल्टीज के बारे में बताया तो संग्रहालय के लोगों ने बीएचयू को कहा थैंक यू बीएचयू। 63 वर्ष की उम्र में इस विख्यात वैज्ञानिक की मौत लकवे के कारण हुई थी। इसी वैज्ञानिक के नाम पर पूरे विश्व में नोबेल पुरस्कार दिया जाता है।

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