अपनी ग्राम पंचायत को चमकाने के लिए यूपी के इस प्रधान को देश के दो बड़े अवार्ड से किया गया है सम्मानित

Neetu SinghNeetu Singh   9 April 2018 3:06 PM GMT

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अपनी ग्राम पंचायत को चमकाने के लिए यूपी के इस प्रधान को देश के दो बड़े अवार्ड से किया गया है सम्मानितदेश के अति पिछड़े इलाकों में है ये ग्राम पंचायत लेकिन अब देश की सबसे हाईटेक पंचायत भी..

देश के सबसे पिछड़े दस जिलों में शामिल सिद्धार्थनगर जिले की ग्राम पंचायत हसुड़ी औसानपुर को पंचायती राज दिवस पर देश के दो सर्वश्रेष्ठ पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। दिलीप त्रिपाठी देश के पहले ग्राम प्रधान हैं, जिन्हें ये दोनों पुरस्कार एक साथ दिए गए हैं।

सिद्धार्थनगर (उत्तर प्रदेश)। किसी गांव में बिजली, पानी, सड़क के साथ सीसीटीवी कैमरे लगे हों। गांव की हर गली में डस्टबीन रखी हों... पूरे गांव की हलचल पर एक मोबाइल से नजर रखी जा सकती है, आप को शायद एक बारगी भरोसा न हो। लेकिन ये 100 फीसदी सच है। ये भारत के चुनिंदा हाईटेक गांवों में शामिल है, जिसे जियोग्राफिकल इनफॉर्मेशन टैग मिला है।

इस गांव, यहां के लोगों और प्रधान की तारीफ इसलिए जरूरी है, क्योंकि ये उस इलाके में बसा है, जो गरीबी और पलायन के लिए जाना जाता है। लेकिन यहां वो सुविधाएं हैं जो शायद आप को किसी शहर या बड़े कस्बे में भी न मिलें। हम बात कर रहे हैं देश के सबसे पिछड़े दस जिलों में शामिल सिद्धार्थनगर जिले की।

इसी जिले के एक ग्राम प्रधान ने अपनी ग्राम पंचायत हसुड़ी औसानपुर को इतना हाईटेक बना दिया जिसे पंचायती राज दिवस पर नाना जी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम पुरस्कार और दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। दिलीप त्रिपाठी देश के पहले ग्राम प्रधान हैं जिन्हें दोनों पुरस्कार एक साथ मिले हैं।

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दो साल पहले तक हसुड़ी भी देश के उन गांवों में शामिल था जहां मूलभूत सुविधाएं तक नहीं थीं। लेकिन आज शहरों को मात देता प्राइमरी और जूनियर स्कूल है, पूरा गांव गुलाबी रंग में रंगा है। हर गली नुक्कड़ पर सीसीटीवी और लाउडस्पीकर लगे हैं। गांव का ये हुलिया बदला है महत्वाकांक्षी प्रधान दिलीप त्रिपाठी ने। आज जो भी इस गांव के बारे में सुनता है खुले दिल से कहता है, अगर भारत के सब प्रधान-सरपंच दिलीप की तरह काम करें तो भारत के सवा 6 लाख से ज्यादा गांवों का भविष्य बदल सकता है।

नाना जी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम पुरस्कार और दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार अभी तक किसी भी ग्राम पंचायत को एक साथ नहीं मिले हैं। देश के दस पिछड़े जिलों में शामिल सिद्धार्थनगर की ग्राम पंचायत हसुड़ी औसानपुर ये दोनों पुरस्कार एक साथ लेकर एक इतिहास लिखा है।

देश के दस सबसे पिछड़े जिलों में शामिल सिद्धार्थनगर की ये ग्राम पंचायत एक इतिहास रचा है

दिलीप त्रिपाठी ने प्रधान रहते हुए अपने गांव को गोद लिया और जो विकासकार्य कार्य करवाए हैं उनकी बदौलत वो रोल मॉडल बन गए हैं। पिछले हफ्ते यहां लगाई गई कृषि चौपाल में देशभर से पहुंचे हजारों किसान और ग्रामीणों ने इस गांव की जमकर सराहना की। दिल्ली प्रेस की मैगजीन 'फार्म एंड फूड' द्वारा आयोजित इस समारोह में हसुड़ी डिजिटल पार्टनर था। जहां देश के प्रगतिशील किसानों और कृषि क्षेत्र में नवाचार करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया।

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उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र का जिला सिद्धार्थनगर से 60 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा से भनवापुर ब्लॉक के हसुड़ी औसानपुर गांव आज आधुनिक भारत की तस्वीर बयां कर रहा है। गांव का न सिर्फ आधुनिकीकरण हुआ है बल्कि सरकारी योजनाओं की ग्रामीणों को जानकारी है और उनके बीच पारदर्शिता है।

जहां हमारे देश में ग्राम प्रधानों को लेकर ग्रामीणों के बीच खराब सोच बनी हुई है। वहीं दिलीप त्रिपाठी ने इस सोच को बदलने के लिए स्वयं ही अपने गांव को गोद लेकर निजी संसाधनों से विकास की एक नई कहानी गढ़ दी है। पिछले वर्ष 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस पर लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के लगभग 59 हजार ग्राम प्रधानों से ये आह्वान किया था कि ग्राम पंचायतों को स्मार्ट विलेज बनाएं जिससे हर गांव को शहर जैसी सुविधाएं मिल सकें। इस कार्यक्रम में दिलीप त्रिपाठी भी शामिल थे।

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एक कमरे से पूरी गाँव की जानकारी रखते गांव के प्रदीप कुमार त्रिपाठी।

मुख्यमंत्री की सोच और अपने गांव का विकास करने वाले दिलीप त्रिपाठी का कहना है, "मैं अपने गांव में वो हर एक सुविधा देने की कोशिश कर रहा हूँ जिससे हमारे जिले की जो पिछड़ेपन की छवि बनी है वो इससे कम हो सके।

हर पात्र व्यक्ति को सरकारी योजनाओं का लाभ मिले। गांव की हर बेटी सुरक्षित रहे, हर बच्चे को बेहतर शिक्षा मिले, घर की पहचान बेटी के नाम से हो, ऐसी तमाम बातों का खास ध्यान रखा है। आपसी समरसता हो इसके लिए हर घर को गुलाबी रंग से पुतवाया है। सिलाई-कढ़ाई केंद्र, कुटीर उद्योग, जैविक खेती को बढ़ावा जैसी कई सुविधाएं देने की कोशिश की है जिससे यहां का पलायन रुक सके।"

ये यहाँ के प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर है

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देश की करीब 70 फीसदी आबादी गाँवों में रहती है और पूरे देश में सवा छह लाख गांव हैं। ग्राम पंचायत की आबादी के हिसाब से हर साल ग्राम प्रधानों के खातों में विकास के लिए पैसा आता है। सिद्धार्थनगर में 1199 ग्राम पंचायतें हैं, 1190 वें नम्बर पर कम आबादी वाली हसुड़ी औसानापुर ग्राम पंचायत है, जिसमे 1024 की आबादी है। छोटी पंचायत होने की वजह से यहाँ एक साल का बजट लगभग पांच लाख रुपए आता है।

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हर तीसरे घर पर रखा है कूड़ादान।

गांव का विकास हर हाल में करना है इस सोच को पूरा करने के लिए ग्राम प्रधान दिलीप त्रिपाठी के लिए कम बजट बाधा नहीं बना। गांव के मुख्य मार्ग से लेकर हर मोहल्ले में 23सीसीटीवी कैमरें, 90 एलईडी स्ट्रीट लाइट, 20 स्ट्रीट सोलर लाइट, 23 पब्लिक एड्रेस सिस्टम, हर तीसरे घर पर एक कूड़ादान पूरे गाँव में 40 कूड़ादान, कॉमन सर्विस सेंटर, वाई-फाई, कम्यूटर क्लासेज, मार्डन स्कूल, 150 नारियल के पेड़ों का वृक्षारोपण, पूर्वांचल सांस्कृतिक संग्राहालय जैसी तमाम सुविधाएं है।

इस पंचायत में 95 प्रतिशत ग्रामीणों के आधार कार्ड, 97प्रतिशत बिजली कनेक्शन, सभी पात्र लाभार्थियों को हर सरकारी योजना के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करके सम्बंधित विभाग को भेज दिया गया है। 'डिजिटल हसुड़ी डाट काम' पर गाँव के एक परिवार के बारे में 36 तरह की जानकारी उपलब्ध है।

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किसानों का नवाचार देखते आबकारी विभाग के कैबिनेट मंत्री जयप्रताप सिंह।

यूपी के आबकारी विभाग के कैबिनेट मंत्री जय प्रताप सिंह भी इस गांव के विकास को देखने गये। उन्होंने इस गांव के विकास को देखते हुए और बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के लिए 34 लाख रुपए की योजनाओं का तोहफ़ा दिया है।

उन्होंने गांव को देखकर कहा, "अगर एक प्रधान चाह ले तो एक पंचायत का विकास सम्भव है, इस पंचायत से प्रदेश के हर ग्राम प्रधान को ये सीख लेनी चाहिए कि एक पंचायत का विकास कैसे किया जाता है। स्कूल के बच्चों और गांव के लोगों से मिला सभी के चेहरे पर खुशी की एक झलक दिखाई दी। इनकी खुशी ये बता रही थी कि अगर उन्हें गांव में ही विकास की सभी सुविधाएं दी जाएं तो वह शहर से कई गुना अपने गांव में ही खुश है।"

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नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने दिलीप त्रिपाठी को किया था सम्मानित

गांव की बेटियां अपने आप को पाती हैं महफ़ूज

रात आठ बजे अपनी परचून की दुकान पर बैठी इस गांव की लक्ष्मी गुप्ता (16 वर्ष) आत्मविश्वास के साथ कहती है, "अब लाइट आए या न आए हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। गांव की हर गली में सोलर लाइट और सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। अब दिन हो या रात हम अकेले पूरे गांव में कहीं भी आ जा सकते हैं, घर में शौचालय बनने से अब हर सुबह जल्दी उठने की चिंता खत्म हो गयी है।"

इस कमरे से पूरे गाँव की जाती मानीटरिंग

हर दिन जहां आप लड़कियों के साथ छेड़खानी और शौचालय के दौरान रेप की खबरें पढ़ते हैं वहीं उत्तर प्रदेश के इस गांव की लक्ष्मी इन सब घटनाओं से कोसों दूर अपने गांव में कहीं भी बेफिक्र होकर आ जा सकती है। लक्ष्मी की तरह अब इस गांव की हर बेटी हर माँ अपने गांव की गलियों में महफूज पाती हैं। यहां के युवा पढ़ाई करने के लिए फ्री वाईफाई का इस्तेमाल करते हैं। उत्तर प्रदेश के ग्राम प्रधानों को अगर इस गांव की तरह अपने गांवों को बनाना है तो एक बार यहां जरुर आएं।

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लक्ष्मी गुप्ता अब अपने गांव में बिना किसी डर के कहीं भी आ जा सकती है।

इस गांव के बंशीधर गुप्ता (35 वर्ष) रात के आठ बजे सरकारी स्कूल के सामने बनी पक्की सड़क की ओर इशारा करते हुए बताते हैं, "आज से दो साल पहले तक इस सड़क पर दिन में निकलना मुश्किल होता था, रात में तो गिर ही जाते थे। गढ्ढे होने की वजह से गांव का कूड़ा लोग यहीं डालते थे, बरसात में लोगों का कीचड़ में घुसकर निकलना और गिरना आम बात थी। प्रधान जी ने चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले यही सड़क बनवाई जिससे अब हर कोई दिन हो रात आंख बंद करके निकल सकता है।"

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चौकीदार गनेशी गांव में पहरेदारी करते हुए।

गांव में हर कोई निभा रहा अपनी जिम्मेदारी

ग्राम प्रधान से लेकर चौकीदार तक हर कोई अपनी जिम्मेदारी हर दिन बखूबी निभातें है। कॉमन सर्विस सेंटर की देखरेख करते प्रदीप कुमार (56 वर्ष) सुबह शाम स्वच्छता के सन्देश देना, संगीत सुनवाना इनका रोज का काम है।

इनका कहना है, "पंजीरी बांटना हो या कोई मीटिंग करनी हो हर सूचना इसी माइक से दी जाती है। लेखपाल और सेकेटरी हर किसी का काम आसान हो गया। 18 वीं सदी का गांव आज इक्कीसवीं सदी में पहुंच गया है। हर कोई अपने दरवाजे के सामने झाड़ू लगाता है और कूड़ेदान में डालता है, सफाईकर्मी हर सुबह कूड़ा लेकर जाता है। सभी के सहयोग से हमारा गांव आज आगे बढ़ रहा है।"

गश्त पर निकले चौकीदार ने कहा, "अब प्रधान जी इतना काम करते हैं तो हम गांव में टहल तो सकते ही हैं, गुरूवार को थाने डयूटी करने जाते हैं उसके अलावा हर दिन रात्रि में आधे घण्टे घूम लेते हैं। इससे पहले कभी नहीं घूमे पर अब गाँव में घूमने का मन करता है।"

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फ्री वाईफाई के प्रयोग से इस गांव लोग देश दुनिया की जानकारी रखते हैं।

ग्रामीण फोन पर ले रहे देश-दुनिया की जानकारी

किसी भी मुद्दे पर किसी को विस्तृत जानकारी चाहिए या फिर देश दुनिया में क्या चल रहा है ये जानना हो तो अब इस गांव के लोगों को चिंता करने की जरुरत नहीं पड़ती। फ्री वाईफाई कनेक्शन से अपने मोबाइल पर एक क्लिक से उन्हें पूरी जानकारी मिल जाती है। ग्यारवीं कक्षा में पढ़ने वाले अतुल त्रिपाठी कहते हैं, "किसी भी विषय पर कुछ ज्यादा जानना रहता है तो अपने फोन पर वाईफाई कनेक्ट करके उस विषय के बारे में पढ़ लेते हैं। अब सोचना नहीं पड़ता है कि फोन रिचार्ज कराना है। दूसरे कनेक्शन कई बार काम नहीं करते पर वाईफाई काम करता रहता है।"

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हसुड़ी गांव में 150 नारियल के पेड़ लगे हैं।

            

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