पहले बेवक्त बारिश, अब सुखाड़ जैसे हालात से परेशान बुंदेलखंड के किसान
बारिश ना होने से खेतों में खरपतवार दिनों दिन बढ़ रहे हैं, किसान खरपतवार नाशक दवाओं का प्रयोग नही कर पा रहे हैं, बढ़ती गर्मी के प्रकोप से फसलें मुरझाने लगी हैं।
Arvind Singh Parmar 17 July 2020 6:59 AM GMT
ललितपुर (बुंदेलखंड)। 'डार को चूको बंदरा (बंदर), अषाढ़ को चूको किसान' पूरे साल इनके पंथ नई परत ये बुंदेलखंडी कहावत जलवायु परिवर्तन पर सटीक बैठने की बात करते हुऐ सत्तर वर्षीय किसान दयाली कहते हैं, "जैसे बंदर की चूक डाल से हो जाय तो पूरे साल बंदर बिरादरी में शामिल नहीं हो सकता इसी तरह आषाढ़ (खरीफ की फसल) में किसान की फसल से चूक हो जाए तो पूरे साल किसान नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता एक बार फिर ऐसे ही हालात बन रहे हैं।"
बड़ी जोत के किसान दयाली ललितपुर जिले के महरौनी तहसील अंतर्गत सतलींगा गाँव के रहने वाले हैं। बारह सदस्यों वाले परिवार के मुखिया दयाली की पिछले साल तैयार उड़द की फसल ज्यादा बारिश के कारण खेत में ही सड़ गई थी, इस बार दयाली को चिंता सता रही हैं कि उड़द, सोयाबीन की फसल पिछले साल की तरह इस बार सूखने से खराब ना हो जाए।
किसानों को उम्मीद थी इस साल खरीफ सीजन की दलहनी (उड़द, मूंग, सोयाबीन, तिलहन) फसल के लिए मानसून समय पर आएगा 21 जून के बाद हुई बारिश के तुरन्त बाद जिले के किसानों ने फसल बोते ही मानसून ने साथ छोड़ दिया। 25 दिन की फसल सूखने की कगार पर है, वहीं कई किसानों के बीज मर गए उन्हें दोबारा बुवाई करनी पड़ी।"
"शुरूआत के पहले पानी के बाद दस एकड़ भूमि में उड़द, सोयाबीन की बोनी कर दी अब 25 दिन से ज्यादा हो गये, एक भी बार बादल ना गरजे हैं ना ही बरसे। मानसून ने धोखा दे दिया फसल सूख रही हैं खेतों में मुरझा गई देखों खरपतवार बढ़ रहे हैं, "उड़द वाले खेत से खरपतवार निकालते वक्त दयाली ने कहते हैं।
खेत से खरपतवार हटाने के लिए दयाली ने खरपतवार नाशक दवा बाजार से पहले खरीद ली दयाली कहते हैं, "फसल बोने के 15 से 20 दिन में दवा डाली जाती है, जिससे कूड़ा मर जाए। इसके लिए बारिश जरूरी है तभी डाल पाएंगे। पहले डालते हैं तो फसल मर जाएगी।"
लॉकडाउन और खराब मौसम के बाद खरीफ किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं, बुंदेलखंड का किसान पिछले कई वर्षों से मौसम की मार झेल रहा है। कभी बेवक्त बारिश, सूखा, अतिवृष्टि और ओलावृष्टि जैसे हालात बनते रहे। पिछले खरीफ सीजन की दलहनी फसलें बेवक्त बारिश से तबाह हुई थी, नुकसान के इस मंजर को किसान भुला नहीं पाए पूरे साल ठोकर खाने के बाद किसान फायदे में नहीं रहा।
दयाली कि तरह जिले के करीब 2.52 लाख से ज्यादा किसानों ने उड़द, सोयाबीन जैसी दलहनी फसले बो दी। बारिश ना होने से तेज धूप का प्रकोप है, कीट पतंगे फसलों के पत्तों को खा रहे हैं खरपतवार बढ़ रहे हैं। किसान पिछले साल हुई बेवक्त बारिश से फसल बर्बाद हो गई थी। यही अंदेशा सूखे जैसे हालात से फसल बर्बादी का डर किसानों को सता रहा है।
वहीं उत्तर प्रदेश के सीतापुर, बाराबंकी जैसे इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन रहे हैं दूसरी और बुंदेलखंड में सूखे जैसे स्थिति भयावह रूप धारण कर रही हैं जलवायु परिवर्तन की उत्पन्न परिस्थियां किसानों की चिंता बढ़ा रही हैं।
अमौरा गाँव के 65 वर्षोय घनश्याम लुहार कहते हैं, "सब ऊपर वाले के हाथ है दस दिन और बारिश नहीं होगी तो खेतों की खड़ी फसलें सूख जाएंगी पिछले साल की तरह किसानों के हाथ खाली रहेंगे, होने वाले नुकसान को किसान सहन नहीं पाएगा वो टूट जायेगा।"
बारिश ना होने से खेतों में खरपतवार दिनों दिन बढ़ रहे हैं, किसान खरपतवार नाशक दवाओं का प्रयोग नही कर पा रहे हैं, बढ़ती गर्मी के प्रकोप से फसलें मुरझाने लगी हैं। वहीं कीट पतंगे का प्रकोप फसलों की पत्तियां खा रहे हैं। फसलों के नुकसान को देखते हुऐ जिले के किसान चिंतित हैं।
अमौरा गाँव के किसान इन्द्रजीत सिंह (45 वर्ष) ने दो एकड़ में बोई थी उन्हें वो जोतनी पड़ी दोबारा तिलहन की बोनी करने की बात कहते हुऐ इन्द्रजीत कहते हैं, "क्षेत्र के हमारे जैसे कई किसानों को दोबारा बोनी करनी पड़ी, इस बार अनाज नहीं जमेगा तो हम टूट जाएंगे।"
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