तीन तलाक केस: जानें, 5 धर्मों के उन 5 जजों के बारे में, जिन्होंने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
गाँव कनेक्शन 22 Aug 2017 7:01 PM GMT
नई दिल्ली। तीन तलाक पर अहम और ऐतिहासिक फैसला देने वाले पांच जजों की संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई से ही चर्चा में रही। पांच अलग मजहबों के पांच जजों की पीठ इस केस की सुनवाई के लिए गठित की गई थी। इससे पहले 11 से 18 मई तक रोजाना सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर अहम फैसला सुनाया। इसी संदर्भ में इन पांच जजों की पृष्ठभूमि पर एक नजर...
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जस्टिस जगदीश सिंह खेहर (सिख) : सिख समुदाय से ताल्लुक रखने वाले देश के पहले चीफ जस्टिस हैं। देश के 44वें चीफ जस्टिस है। 2011 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे और इसी 27 अगस्त को रिटायर होने वाले हैं।
जस्टिस एस अब्दुल नजीर (मुस्लिम) : 1958 में जन्मे जस्टिस नजीर ने 1983 में कर्नाटक हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। 2003 में कर्नाटक हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज बने और उसके अगले ही साल स्थायी जज बने। इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए।
जस्टिस कुरियन जोसफ (क्रिश्चिएन) : केरल से ताल्लुक रखते हैं। 1953 में जन्मे कुरियन 1979 में केरल हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। 2000 में केरल हाई कोर्ट के जज बने। इस हाईकोर्ट में दो बार कार्यकारी चीफ जस्टिस बने। 2010-13 के दौरान हिमाचल प्रदेश के चीफ जस्टिस रहे। आठ मार्च, 2013 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने और अगले साल 29 नवंबर को रिटायर होंगे।
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रोहिंटन फली नरीमन (पारसी) : 1956 में जन्मे नरीमन महज 37 साल की उम्र में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर काउंसल बने, हालांकि उस वक्त इस पद के लिए कम से कम 45 साल की उम्र का होना जरूरी था, लेकिन जस्टिस वेंकटचेलैया ने फरीमन के लिए नियमों में संशोधन किया। पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में रुचि और इसके गहन जानकार हैं। प्रकृति प्रेमी हैं।
जस्टिस उदय उमेश ललित (हिंदू) : 1957 में जन्मे जस्टिस ललित ने 1983 में बांबे हाई कोर्ट से वकालत शुरू की। अप्रैल, 2004 में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट बने। 2जी मामले में सीबीआई की तरफ से विशेष अभियोजक रहे। 2014 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने. 2022 में रिटायर होंगे।
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